आखिर जिंदगी की जंग हार गयी दलित की बेटी
लेेेखक: अहमद अली
उसे घसीटते हुए सुनसान जगह ले जाया गया। उसकी गर्दन की हड्डी तीन जगह टूट गयी। बलात्कार किया गया। जीभ काट दी गयी।दलित की बेटी थी वो और दरिंदे दबंग थे। अब आईये पुलिस की कार्रवाई पर भी नजर डालते हैं। आरम्भ में पुलिस ने कहा ये लड़की नौटंकी कर रही है। घटना 14-9-2020 की है और FIR
दर्ज किया जाता है 22-9-2020 को। पुलिस ने पूरी कोशिश की घटना को छुपा देने की। और हमारे देश के मिडिया को फुर्सत नहीं है कंगना और दीपीका से। लोगों को दो तीन दिन पहले पता चला शायद प्रचारतंत्र को भी। दिल्ली में कई बेहतर अस्पताल हैं, लेकिन उसमें इलाज के लिये भेजना प्रशासन ने जरुरी नहीं समझा। क्यो ?
आप स्वंय समझिये। ये मैं आप ही पर छोड़ रहा हूँ। हिन्दू एकता का नारा देने वाले राष्ट्रवादी भी कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। नजर आयेंगे भी नहीं क्यों ये दलित केवल चुनाव के समय हीं हिन्दू के रुप में याद किये जाते हैं। चुनाव के बाद मनुस्मृति ने इनकी जगह जहाँ बनाई गयी है ये बेचारे वहीं भेज दिये जाते हैं। बाप आज धरना दे रहा है, अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिये। उसे अपनित भी किया गया। आजाद भारत आज इस दुर्दशा में पहुँच गया है। ये भी खबर आ रही है कि योगी की पुलिस शव को भी देने से इन्कार कर रही है। हो सकता है वो हैवान भाजपा के समर्थक हों।
ज्योतिबा(काल्पनिक) तो चल बसी, लेकिन छोड़ गयी एक प्रश्न – आज क्या हमारा समाज एक सभ्य समाज की श्रेणी में है ? सोंचिये, गम्भीरतापूर्वक और इस बेटी तथा अन्य बेटियों की रक्षा के लिये संघर्ष का एक मशाल भी जलाईये।”बेटी बचाओ और बेटी पढा़ओ” सिर्फ एक जुमाला है मोदी, योगी और भाजपा का। अब भी तो समझिये !
(लेखक के अपने विचार है)


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