हाथरस के निर्भया को न्याय के बदले यूपी की सरकार सबूत को मिटाने में लगी रही: सुनील राय
नीरज कुमार शर्मा की रिर्पोट। राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।
अमनौर (सारण)। हाथरस के गरीब दलित असहाय के लड़कियों का अस्मत लूटी जा रही है, राम राज्य की कल्पना करने वाली यूपी की सरकार बलात्कारियो को एनकाउंटर करने के बदले शव को ही जलवा डाला, क्योंकि लड़की गरीब दलित की थी। उक्त बातें सोसल मीडिया के माध्यम से राजद के जिला अध्यक्ष सुनील राय ने घटना की निदा करते हुए सरकार से न्याय की मांग किया है।इनका कहना है कि 14 सितंबर को उसके साथ घटना होती है और 29 सितंबर को सबको पता चल रहा है। जानते हैं क्यों ? क्योंकि 15 दिन से इस खबर को दबाने की सिर्फ यूपी की सरकार ने कोशिश नहीं की पूरा मीडिया आपको पता है क्या दिखाता रहा क्योंकि इस बीच में दलित बच्ची 18 साल की उसकी उम्र थी उसके साथ निर्भया जैसी वारदात हुई। उससे ज्यादा हमारी दिल्ली की मीडिया के लिए दीपिका गोवा में थी कौन से कलर की कार में थी, सारा अली खान उसको एयरपोर्ट पर पीछा करना ज्यादा जरूरी था, पूरा बॉलीवुड जो है ड्रग्स लेता है, नहीं लेता है क्या करता है वह सब आपके सामने दिखाना जरूरी था लेकिन इस बच्ची की आवाज आपके सामने दिखाना कतई जरूरी नहीं था। ना इस हमारी दिल्ली की मीडिया के लिए ना सरकार के लिए और सरकार ने पूरी कोशिश की उसको दबाने के लिए। रात को 2.30 बजे परिजन गिड़गिड़ाते रहे लेकिन हाथरस की पीड़िता के शरीर को उप्र प्रशासन ने जबरन जला दिया। जब वह जीवित थी तब सरकार ने उसे सुरक्षा नहीं दी। जब उस पर हमला हुआ सरकार ने समय पर इलाज नहीं दिया। पीड़िता की मृत्यु के बाद सरकार ने परिजनों से बेटी के अंतिम संस्कार का अधिकार छीना। जल गए सबूत, खाक हो गया न्याय और बचा लिए गए दरिंदे। आधी रात में घर वालों को पुलिस ने घर में बंद करके बिटिया को जला दिया। रात के अंधेरे एवं पुलिस पहरे में सामूहिक बलात्कार पीड़िता के दाह संस्कार की यह सब उन सभी दावों पर भारी है जिनसे हम अपने सभ्य और लोकतांत्रिक होने का दावा करते है।


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