बनियापुर में भोजपुरी एवं हिंदी के साहित्यकार की श्रद्धांजली सभा आयोजित, साहित्याकरों के व्यक्तित्व व कृतित्व पर हुई चर्चा
बनियापुर(सारण)। भोजपुरी भारती साहित्यिक सांस्कृतिक मंच द्वारा बनियापुर डाकबंगला परिसर में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। जिसमें भोजपुरी एवं हिंदी के साहित्यकार स्व.जख्मी कान्त निराला एवं मानस मर्मज्ञ स्व. परशुराम प्रसाद सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित किया गया। भोजपुरी भारती संस्था के अध्यक्ष मुंगालाल शास्त्री की अध्यक्षता में आयोजित इस श्रद्धांजलि सभा में शब्दांजली अर्पित करते हुए वरिष्ट कवि वीरेन्द्र कुमार मिश्र अभय ने अपने कविता “काल का चक्र घुमें जब..” से दोनो विभूतियों को याद किया। उन्होंने आगे कहा कि जख्मी कान्त जी में मंच के अनुरुप रचना पढने की एक अद्भुत शैली थी। वहीं परशुराम जी संगठन विस्तार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। अपने अध्यक्षीय संबोधन में मुंगालाल शस्त्री ने कहा कि जख्मीकान्त निराला को विभिन्न भाषाओं का ज्ञान था। उनके भीतर भोजपुरी व हिंदी का साहित्य भंडार था। साथ ही उनको संस्कृत, बौद्ध साहित्य, अंग्रेजी समेत जिस भाषा में बात करें वो सबको अपने भीतर समाहित किये हुए थे। युवा कवि एवं अभिनेता अभिषेक भोजपुरिया ने कहा कि जख्मीकंत निराला ने अपनी रचना व व्यक्तित्व से साहित्य जगत में अलग पहचान बनाया। वो आर्थिक रुप से जख्मी थे पर साहित्यिक रुप से निराला था। आज उनके निधन से साहित्य जगत को एक अपूरणीय क्षति हुई है। युवा नेता उमाशंकर साहु ने कहा कि परशुराम जी जैसे बहुत कम लोग होते हैं जो साहित्य सृजन में अपना योगदान देता हो। वहीं जख्मीकांत निराला का व्यक्तित्व रेत पर चांदी का चमकना जैसा है। नागेन्द्र गिरी ने अपने गीत “जख्मी जी जख्म दिल के बढा दिहनी” श्रद्धांजलि अर्पित किया। इस श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित लोगों में कुमार कौशल, रवीन्द्र त्रिपाठी, श्यामदेव श्याम, सुनेश्वर, निर्भय, डाॅ. चन्द्रदेव प्रसाद बेजोड़, निकेश ठाकुर, सत्येन्द्र प्रसाद सुक्ष्मदर्शी, नागेन्द्र गिरी शिक्षक, विक्रम चौधरी, डाॅ. सुधीर कुमार, कृष्णनंद त्यागी तथा रामराज प्रसाद आदि थे।


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