जेपीयू में मनाई गई जयप्रकाश नारायण की जयंती
राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।
छपरा (सारण)। जेपीयू के सीनेट हॉल में जयप्रकाश नारयण की जयंती के अवसर पर कुलपति डॉ फारूक अली ने कहाँ कि जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो सुरक्षा कहाँ संभव है। उन्होंने कहाँ कि जब विद्या के मंदिर में भ्रष्टाचार प्रवेश कर जाए तब कोई भी सेवा सार्थक नहीं हो सकता क्योंकि सभी सेवक विद्या के मंदिर से ही निकलते हैं। आज लगभग हर शिक्षण-संस्थानों में भ्रष्टाचार प्रवेश कर चुका है और इसी के विरुद्ध लोकनायक ने बिगुल फूँका था। यह सुधार सामाजिक परिवर्तन के बिना सम्भव नहीं है। कुलपति ने लोकनायक सम्बन्धित संस्मरण साझा करते हुए बताया कि 1977 में केंद्र की सरकार बदलने के बाद राजघाट, दिल्ली स्थित गाँधी की समाधि के समक्ष जब वे कुर्सी पर बैठे तो मैंने अपने कैमरे से तस्वीर खींचा और उनके साथ खिंचवाया भी। समारोह की शुरुआत विश्वविद्यालय परिसर स्थित लोकनायक की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर हुआ। कुलसचिव कैप्टन श्री कृष्ण ने कहा कि लोकनायक कभी भी किसी पद की लालसा मन में नहीं पाले। हम सभी को उनके बताए मार्गों पर चलना चाहिए। सभा को राजेंद्र महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो प्रमेन्द्र रंजन सिंह, परिसंपदा पदाधिकारी प्रो रवीन्द्र कुमार सिंह , हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ अजय कुमार, जय प्रकाश महिला महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो मधुप्रभा सिंह, पीआरओ प्रो हरीश चंद्र, गंगा सिंह महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो इन्दु सिंह, डॉ आशा रानी, सहायक पीआरओ डॉ दिनेश पाल, आईटी इंचार्ज प्रो धनजंय कुमार आज़ाद, डॉ अनुपम कुमार सिंह, डॉ मंजुलता आदि ने सम्बोधित करते हुए जेपी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर सुनील कुमार, विवेक कुमार, धनंजय कुमार, प्रमोद आदि कार्यक्रम में उपस्थित थे। कुलसचिव ने धन्यवाद ज्ञापन किया। समारोह का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया।


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