बैंकिंग भर्ती में बहुजनों के आरक्षण से धोखाधरी, हंगामा
इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सेलेक्शन यानी IBPS ने भर्ती के लिए जो विज्ञापन दिया है, उसको लेकर बवाल मचा है। जो विज्ञापन जारी किया गया है, उसमें एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण में से 10 फीसदी आरक्षण कम कर के EWS के कोटे में दे दिया गया है, जबकि सामान्य वर्ग के लिए 50 फीसदी सीटें आरक्षित रखी गई है।
IBPS ने हाल ही में बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्रा, पंजाब एंड सिंध बैंक और यूको बैंक में भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला था, जिसकी प्रारंभिक परीक्षा 3, 10 और 11 अक्टूबर को हुई थी। कुल 1417 पदों के लिए निकली भर्ती में ओबीसी के लिए 300 पद आरक्षित थे, जो कि 27 फीसदी आरक्षण की जगह 21 फीसदी आरक्षण के हिसाब से दिया गया था। उसी तरह एससी को मिलने वाले 15 प्रतिशत आरक्षण की जगह 13 प्रतिशत आरक्षण के हिसाब से 196 पद दये गए जबकि एसटी को 7.5 प्रतिशत आरक्षण की जगह सिर्फ 6 प्रतिशत आरक्षण के तहत 89 पद दिया गया। बहुजन समाज यानी की एससी, एसटी और ओबीसी के हिस्से का 10 प्रतिशत आरक्षण काटकर 142 सीटें EWS के खाते में दे दी गई है। सबसे हैरानी की बात यह है कि जहां सबका आरक्षण कम किया गया है, वहीं सामान्य वर्ग के लिए 50 फीसदी के अघोषित रिजर्वेशन को बरकरार रखते हुए उसे 690 सीटें दी गई है।
इस विज्ञापन के सामने आते ही इस पर बवाल मच गया है। बहुजन समाज के युवाओं ने इस धोखाधड़ी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सुप्रीम कोर्ट के वकील, एडवोकेट के.के. एल गौतम का कहना है कि यह पूरी तरह से असंवैधानिक है। जब मामला अभी विचाराधीन है तो आखिर कैसे इस तरह की भर्ती निकाली जा सकती है।


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