सारण: चौराहे पर खड़ी तरैया विधानसभा की राजनीति
संजय सिंह सेंगर की रिर्पोट। राष्ट्रनायक प्र तिनिधि।
तरैया (सारण)। जिले के तरैया विधानसभा क्षेत्र में विधानसभा चुनाव होना तो कोई नई बात नहीं है ऐसे चुनाव कई बार हो चुके हैं और क्षेत्र मतदाता इसके आदि रहे हैं लेकिन इस बार चुनाव में उम्मीदवारों की स्थिति एवं मतदाताओं का असमंजस बहुत ही दिलचस्प मोड़ पर है और वास्तव में ही दिख रहा है तरैया के चुनावी समीकरण बिगड़ने की वजह से एक तरफ उम्मीदवार अपने अपने वोट बैंक को टटोलने एवं संभालने में लगे हैं वहीं तरैया विधानसभा क्षेत्र के मतदाता अभी अपने आप को चौराहे पर महसूस कर रहे हैं।
ईवीएम मशीन पर आने वाले क्रम संख्या के हिसाब से देखें तो एक नंबर में एनडीए के प्रत्याशी जनक सिंह का नाम आता है जो अपनी पार्टी भाजपा के चुनाव चिन्ह कमल के फूल छाप के साथ मैदान में उतरे हैं लेकिन ईवीएम मशीन पर एक नंबर में रहने के बावजूद भी परिणाम एक नंबर आने में असमंजस है क्योंकि उनके परंपरिक वोट बैंक मैं सेंध मारने के लिए कई निर्दलीय उम्मीदवार सशक्त रूप से मैदान में उतरे हैं वहीं पार्टी के साथ गठबंधन में रहे जदयू से भी बागी उम्मीदवार मैदान में आने के बाद उनकी परेशानियां बढ़ते हुए दिख रही थीं वहीं उनके मुख्य प्रतिद्वंदी रहे राजद का टिकट अति पिछड़ा प्रत्याशी को मिलने से भी अति-पिछड़े वर्ग के वोटों पर असर पढ़ते हुए दिख रहा है।
मशीन में दूसरे नंबर पर नाम आता है शौकत अली का जो बहुजन समाज पार्टी के चुनाव चिन्ह हाथी पर चुनाव लड़ रहे हैं और हालांकि चुनाव से पहले तरैया विधानसभा क्षेत्र में बसपा की कोई विशेष गतिविधि नहीं होने के बाद भी बसपा के पारंपरिक वोटों के साथ साथ अल्पसंख्यक समुदाय से कुछ मतदाता भी इनसे प्रभावित होंगे और ईवीएम मशीन पर तीसरा बटन राष्ट्रीय जनता दल के लालटेन का है और तरैया में लालटेन की स्थिति इस बार बहुत ही विचित्र स्थिति में है जहां पार्टी नेताओं के अंदरूनी कलह को देखते हुए पार्टी नेतृत्व ने राजद की जीत इस सीट पर सुनिश्चित करने के लिए अति पिछड़ा वर्ग के प्रत्याशी को टिकट देकर भेजा वही राजद से विधायक रह चुके मुद्रिका प्रसाद राय द्वारा बागी होकर चुनाव लड़ रहे होने की स्थिति में राजद के युवा नेता मिथिलेश राय भी सशक्त रूप से मैदान में हैं एवं ऐसे में स्थिति यही दिख रही है की राजद के सिपाही लगे हैं लालटेन को जलाने में वही उनके ही दो-दो बागी उम्मीदवार लालटेन से कोई नाता न रखते हुए क्षेत्र में अपने अपने जनाधार को साबित करने की लड़ाई लड़ रहे हैं और इस से राजद को नुकसान होता हुआ साफ दिख रहा है।
चौथे नंबर पर शिवसेना के उम्मीदवार रंजय कुमार सिंह पार्टी के चुनाव चिन्ह “सींघा बजाते हुए व्यक्ति” के साथ चुनाव मैदान में हैं वही पांचवें नंबर पर पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया डेमोक्रेटिक के उम्मीदवार राज किशोर प्रसाद अपने पार्टी के चुनाव चिन्ह मेज के साथ मैदान में उतरे हैं वही छठे नंबर पर फॉरवर्ड ब्लॉक ऑफ इंडिया के उम्मीदवार राणा प्रताप सिंह अपने चुनाव चिन्ह शेर छाप के साथ मैदान में है वहीं सातवें नंबर पर जन अधिकार पार्टी लोकतांत्रिक के उम्मीदवार संजय कुमार सिंह अपने चुनाव चिन्ह कैंची के साथ चुनाव मैदान में हैं।
इसी प्रकार आठवें नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी अमन आनंद अपने चुनाव चिन्ह एयर कंडीशनर के साथ, नौवें नंबर पर चांदनी देवी अपने चुनाव चिन्ह अलमीरा के साथ चुनाव मैदान में हैं, वही दसवें नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में प्रोफेसर धनंजय कुमार सिंह अपना भाग्य आजमा रहे हैं एवं कोरोना काल से लेकर बाढ़ की अवधि के दौरान प्रोफेसर द्वारा सक्रिय रुप से किए गए समाजिक कार्यों एवं राहत वितरण से लेकर लोगों को पहुंचाए गए हर तरह की मदद को देखते हुए उन्हें भी एक सशक्त प्रत्याशी के रूप में देखा जा रहा है।
इसी क्रम में ग्यारहवें नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी ब्रज बिहारी सिंह अपने चुनाव चिन्ह सेव के साथ ईवीएम मशीन में मौजूद रहेंगे वहीं बारहवें नंबर पर राजद के बागी उम्मीदवार मिथिलेश राय अपने चुनाव चिन्ह कप प्लेट के साथ मैदान में उतरे हैं और तरैया की राजनीति मैं गहरी पैठ बना चुके मिथिलेश राय ने अपने जिस वोट बैंक के दम पर चुनाव लड़ने का दावा किया था वह वोट बैंक आज भी उनके साथ दिख रहा है।
ईवीएम मशीन में तेरहवें नंबर पर आएंगे निवर्तमान विधायक मुद्रिका प्रसाद राय जोकि राजद से बागी होकर चुनाव लड़ रहे हैं और पार्टी के विधायक रहने के बाद उनके साथ रहे कार्यकताओं एवं पार्टी पदाधिकारियों के साथ बागी हुए विधायक अपने वोट बैंक के दम पर चुनाव मैदान में डटे हुए हैं।
वही 14 में नंबर पर शत्रुघन सिंह उर्फ़ नेताजी अपने चुनाव चिन्ह कैमरे के साथ तरैया के चुनावी मैदान में एक निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोक रहे हैं वही 15 में नंबर पर जदयू प्रदेश सचिव रहे शैलेंद्र प्रताप सिंह पार्टी से इस्तीफा देकर बागी उम्मीदवार के रूप में अपना दमखम साबित करने में लगे हुए हैं, एवं लगभग दो दशक से क्षेत्र में सक्रिय रहे श्री सिंह का इस चुनाव में अपना एक अलग स्थान है।
ईवीएम मशीन के सोलहवें नंबर पर स्थित होंगे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे सरोज कुमार गिरि उर्फ संगम बाबा जोकि पिछले काफी समय से कभी क्रिकेट तो कभी अन्य सामाजिक आयोजनों एवं कोरोना संकट तथा बाढ़ की अवधि के दौरान बड़े पैमाने पर किए गए राहत वितरणों की वजह से चर्चा में रहे हैं, लेकिन उनके द्वारा किए सामाजिक कार्यों का प्रतिफल वोटों के रूप में कहां तक परिणत होता है यह आने वाला समय बताएगा।
वहीं सत्रहवें नंबर पर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपने चुनाव चिन्ह “ट्रैक्टर चलाता हुआ किसान छाप” के साथ युवराज सुधीर सिंह तरैया में अपना भाग्य आजमा रहे हैं एवं महाराजगंज के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के भतीजे एवं वाईपीएल के युवराज शुरू से ही क्षेत्र में हर प्रकार की गतिविधियों में सक्रिय रहे हैं एवं बाढ़ एवं कोरोना काल में भी उन्होंने सक्रियता दिखाते हुए लोगों को राहत सामग्री भी उपलब्ध कराई है एवं हमेशा से तरैया के लोगों के चहेते रहे युवराज वोट लेने के मामले में लोगों के कितने चहेते साबित होते हैं इस सवाल का जवाब भी समय के गर्भ में ही है।
ज्ञातव्य हो कि इस बार तरैया विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशियों की संख्या अधिक है एवं अपने अपने जनाधार एवं सामाजिक पकड़ के साथ सशक्त रूप से उभरे निर्दलीय उम्मीदवारों ने वास्तव में ही पार्टी के उम्मीदवारों की परेशानी बढ़ा दी है एवं सार्वजनिक रूप से इस बात को ना मानने के बावजूद भी अंदरुनी रूप से देखा जाए तो सभी दलों के उम्मीदवार इन निर्दलीय प्रत्याशियों की वजह से अपने पारंपरिक वोट बैंक को नियमित रूप से टटोल रहे हैं कि कहीं कोई सेंधमारी तो नहीं हुई।
फिलहाल सबसे ज्यादा भ्रमित तरैया के आम मतदाता हैं जिन्हें किसी पार्टी विशेष या व्यक्ति विशेष से लगाव नहीं रहा है और वह सिर्फ तरैया के बेहतर विकास के लिए वोट देना चाहते हैं ऐसे लोग वास्तव में असमंजस में हैं क्योंकि सभी प्रत्याशी अपने अपने हिसाब से तरैया के विकास करने की ही बात कर रहे हैं, नियत तिथि को नियत समय पर मतदान होगा नियत समय पर परिणाम भी घोषित होगा लेकिन तब तक चल रहा असमंजस बहुत ही विचित्र स्थिति पैदा कर रहा है और सही में लग रहा है की चौराहे पर खड़ी है तरैया की राजनीति।


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