दीपावली में पटाखों के धुएं से वायु प्रदूषण को न दें बढ़ावा: सीएस
छपरा। कोरोना संक्रमण काल के दौरान मनाए जाने वाले त्योंहारों में काफी सतर्क रहने की जरूरत है। कुछ दिनों में दीपावली का त्योहार है। इस दौरान जलने वाले पटाखों की शोर और दमघोंटू धुएं से स्वास्थ्य को नुकसान भी हो सकता है। यह समय सभी आयु वर्ग के लिए सतर्कता बरतने का समय है। नवजात, बुजुर्ग और गर्भवतियों की सेहत के लिए तो अधिक ख्याल रखने की जरूरत है। उक्त् बातें बुधवार को सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने कहीं। उन्होंने कहा कि त्योहार मनाते समय उनकी असुविधाओं को नजरंदाज नहीं करें और ध्यान रखें कि घर में सुरक्षित रहें। कोरोना से संक्रमित व्यक्तियों को अधिकतर सांस लेने में समस्या होती है। ऐसे में पटाखों के धुएं से उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। इसको लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने भी सोशल मीडिया पर पोस्टर के माध्यम से जागरूक किया है।
पांच साल से कम उम्र के बच्चे और वृद्ध का रखें विशेष ख्याल
सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने सारणवासियों से अपील करते हुए कहा कि पटाखों की तेज आवाज और धुआं वैसे तो सभी आयु वर्ग के लिए नुकसानदायक होता है, लेकिन पांच साल से कम उम्र के बच्चों और 60 साल से अधिक उम्र के वृद्धों में रोग प्रतिरोधक शक्ति कम होती है। बुजुर्ग अस्थमा, हृदय संबंधित रोग या अन्य मानसिक और शारीरिक रोगों से जूझ रहे होते हैं। इसलिए पटाखों के घातक तत्वों (सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कॉपर, लेड, मैग्नेशियम, सोडियम, जिंक, नाइट्रेट एवं नाइट्राइट) से फैले जहरीले धुएं इनके लिए हानिकारक हो सकते हैं। पटाखों की तेज आवाज से मानसिक तनाव, हृदयाघात, कान के पर्दे फटने का या तेज रोशनी से आंखों को नुकसान होने का डर रहता है।
पटाखों के धुएं से वायु प्रदूषण व कोरोना संक्रमण को मिलेगा बढ़ावा
सीएस ने बताया कि पटाखों से निकलने वाले घातक तत्वों से त्वचा को भी नुकसान पहुंचता है। बुजुर्गों को इस दौरान घर के बाहर नहीं निकलने दें। दमा के मरीजों को हमेशा इन्हेलर साथ रखने और जरूरत पड़ने पर तुरंत इस्तेमाल की हिदायत दें। यदि उनमें किसी भी प्रकार की शारीरिक या मानसिक असुविधा या बदलाव दिखे तो तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें। साथ ही पटाखों के धुएं से वायु प्रदूषण व कोरोना संक्रमण को बढ़ावा भी मिल सकता है। इसलिए इस बार कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुये रोशनी के जरिये त्योहार में खुशिया बांटें, प्रदूषण नहीं। पटाखों से सिर्फ बुजुर्गों को हीं नहीं छोटे बच्चों और गर्भवतियों को भी नुकसान पहुंचता है। इनके तेज आवाज से जहां शिशुओं के कान के पर्दे फटने, त्वचा और आंखों को नुकसान का डर होता है। वहीं गर्भस्थ बच्चे को भी नुकसान होता है। इससे शिशु के जन्म के बाद भी उसमें कई विकृतियां हो सकती हैं। इसलिए शिशुओं और गर्भवती को भी बाहर नहीं निकलने दें।
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