फिल्मकार उमेश सिंह ने महेन्द्र मिसिर के गीतों की ब्रांडिंग करने की बतायी जरूरत
के के सिंह सेंगर की रिर्पोट। राष्ट्रनाक प्रतिनिधि।
एकमा (सारण)। पूर्वी गीत के जनक माने जाने वाले सारण के महान सपूत साहित्यकार व स्वतंत्रता सेनानी महेन्द्र मिसिर के गीतों की ब्रांडिंग करने की जरूरत है। तब जाकर उस महान कलाकार का सही आकलन संसार कर सकेगा। सारण भोजपुरिया समाज के सोशल मीडिया पेज पर महेन्द्र मिसिर के व्यक्तित्व व कृतित्व पर बोलते हुए उक्त विचार प्रसिद्ध नाट्यकर्मी व फिल्मकार उमेश कुमार सिंह ने प्रकट की। फिल्मकार उमेश ने बहुमुखी प्रतिभा के धनी महेन्द्र मिसिर को एक अध्यात्मिक संत करार देते हुए उनके बहुआयामी व्यक्तित्व को पुनः साहित्य जगत से आकलन करने की आवाज उठायी। ताकि मिसिर की अपेक्षाकृत बाकी पहचान आगे आ सके। नाट्यकर्मी उमेश ने साहित्य जगत से महेन्द्र मिसिर के प्रचलित जन्मदिन पर भी सवालिया निशान लगाते हुए शोधपूर्ण सुधार का आह्वान किया। अपने विचार में सारण जिले के मांझी प्रखंड के नचाप गांव निवासी रंगकर्मी उमेश सिंह ने कहा कि देश विदेश के भोजपुरी जगत में महेन्द्र मिसिर के गीत रोजाना कहीं न कहीं गाया बजाया जाता है। फिर भी भिखारी ठाकुर जैसी उनकी लोकप्रियता हम सभी नहीं दे पाये हैं। जबकि महेन्द्र मिसिर का व्यक्तित्व बहुत ही व्यापक था।साहित्य के क्षेत्र में हर मिजाज के गीत महेन्द्र मिसिर ने लिखे और सभी गीत कहीं न कहीं अध्यात्म से जुड़े हुए हैं। जो एक पहुंचे हुए संत जैसे महेन्द्र मिसिर दिखते हैं। वहीं पहलवानी, वादक व स्वतंत्रता सेनानी का व्यक्तित्व का तो पूरा आकलन ही हम सभी नहीं कर पाये। उमेश ने महेन्द्र मिसिर के पूर्वी गायन को एक खास शैली बताया और कहा कि इसे गाने के लिए कुछ खास आवाज होती है जो सभी कलाकारों से यह गायन असंभव है। इस तरह के गायन करने वाले गायकों को विशेष सम्मान है। इसकी जानकारी लोक गायक रामेश्वर गोप व युवा पत्रकार के. के. सिंह सेंगर ने दी है।


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