राष्ट्रनायक न्यूज

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तरैया में प्रशासन के नाक के नीचे चल रहे दर्जनों अवैध नर्सिंग-होम क्लीनिक एवं लैब

तरैया में प्रशासन के नाक के नीचे चल रहे दर्जनों अवैध नर्सिंग-होम क्लीनिक एवं लैब

संजय सिंह सेंगर की रिर्पोट। राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।

तरैया (सारण)। प्रखंड में स्थानीय प्रशासन के स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के कारण दर्जनों प्राइवेट क्लीनिक, नर्सिंग होम एवं लेबोरेटरी का काला कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है वही क्षेत्र के लोगों को अपने मेहनत एवं खून पसीने की गाढ़ी कमाई गंवाने के साथ-साथ कभी-कभी अपने प्रियजनों के जान से हाथ धोने की नौबत भी आ जाती है लेकिन आज तक प्रशासन द्वारा ऐसे संस्थानों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई।

ज्ञातव्य हो की तरैया के खदरा किनारे स्थित देवरिया रोड, पचरौर रोड, एवं छपरा रोड सहित प्रखंड भर के विभिन्न गांवों एवं चौक चौराहों पर ऐसे अवैध क्लिनिको की भरमार है जहां आने वाले रोगियों को इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है एवं परिजनों द्वारा हो-हल्ला या हंगामा करने पर नर्सिंग होम के दलालों द्वारा मुआवजे के रूप में कुछ राशि परिजनों को देखकर मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है एवं फिर से यह काला कारोबार इसी तरह से फलने फूलने लगता है।

ऐसे ही एक नर्सिंग होम में काम करने वाली एक महिला कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया की तरैया में में कई जगह तो एस्बेस्टस के नीचे भी वेंटीलेटर आईसीयू और ऑपरेशन थिएटर जैसे व्यवस्थाएं की गई है जहां कई अनुभवी डॉक्टर आकर भी मरीज का ऑपरेशन करके चुपचाप चले जाते हैं लेकिन बाद में साधन के आभाव में एवं वातावरण प्रतिकूल होने की वजह से रोगी को परेशानी होने लगती है उसके बाद छपरा या पटना रेफर कर दिया जाता है लेकिन तब तक रोगी के परिजनों से सुविधा देने के नाम पर मोटी रकम ऐंठ ली जाती है जिसकी कोई वापसी नहीं होती एवं गंभीर अवस्था में रेफर कर देने के बाद रोगी अपना घर जमीन तक बेचकर अन्य शहरों में इलाज कराने को मजबूर होते हैं।

इसी प्रकार प्रखंड के के रेफरल अस्पताल में सर्पदंश के इलाज की व्यवस्था होने के बावजूद भी समय पर समुचित व्यवस्था नहीं होने के अभाव में सर्पदंश के रोगियों को छपरा रेफर कर दिया जाता है जिसके वजह से प्रखंड क्षेत्र में कई निजी सर्प-दंश क्लीनिकों की भरमार हो गई है जिसमें रोगी पहुंच जाने पर नहीं काटा हुआ या काटने के बावजूद भी जहर नहीं पहुंचे हुए रोगीयों से भी दस से बीस हजार पर वसूले जाते हैं वहीं जहर का लक्षण पाए जाने के बाद पचास हजार से लेकर डेढ़-दो लाख रुपए तक वसूले जाते हैं एवं गंभीर अवस्था में पहुंचे रोगियों परिजनों के सामने एडवांस में पैसे जमा कराने के अलावा कोई चारा नहीं होता, इसमें कई सर्पदंश क्लिनिक ऐसे हैं जहां 10 पर 15 वर्षों से चलने के बावजूद भी बिजली के कनेक्शन तक उपलब्ध नहीं है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है वहां पहुंचने वाले रोगियों को क्या सुविधा मिलती होगी। कुल मिलाकर विभागीय उदासीनता के कारण ही ऐसे कारोबार बाजारों में फल फूल रहे हैं एवं पत्र-पत्रिकाओं में आए दिन इस तरह के समाचार छपते रहने के बावजूद भी कोई करवाई नहीं होना कहीं ना कहीं इन मामलों में विभागीय पदाधिकारियों के संलिप्तता को भी दर्शाता है। इस संबंध में तरैया प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ० श्रीनाथ से बात करने पर पहले तो वे कोई भी ठोस जवाब देने से बचते रहे बाद में उन्होंने स्पष्ट कह दिया कि आप इस विषय में सिविल सर्जन से बात करके जानकारी प्राप्त करें।

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