राष्ट्रनायक न्यूज

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80 वर्ष के शिवशंकर तिवारी आठ गांवों में साइकिल से घुम कर बांट रहे शिक्षा

80 वर्ष के शिवशंकर तिवारी आठ गांवों में साइकिल से घुम कर बांट रहे शिक्षा

  • सरकारी वृद्धा पेंशन से भी हैं वंचित
  • रिविलगंज के जिगना गांव के शिवशंकर की निजी जिन्दगी लोगों के लिए पहेली

राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।

छपरा (प्रो. अजीत कुमार सिंह)। उम्र 80 के पार। साधारण धोती, कुर्ता व कांधे पर गमछा रख साइकिल से पौ फटते ही रसूलपुर थाना क्षेत्र के माधोपुर, नवादा, चनचौरा, बाल, बनपुरा, चैनवा, रसूलपुर, केदार परसा आदि गांवों के लिए साइकिल से निकल पड़ते हैं शिव शंकर तिवारी। सुबह में पहला पड़ाव होता है चनचौरा पंचायत का माधोपुर गांव। जहां करीब एक हजार रूपये मासिक मजदूरी पर मुखिया विजय कुमार उपाध्याय के परिवार के अंग्रेजी मिडियम के बच्चों को एक घंटा ट्यूशन पढाते हैं। फिर अन्य गांवों के लिए निकल जाते हैं।रसूलपुर से माधोपुर गांव आने के दौरान बीच में चौबाह स्थान की गाछी में ये वृद्ध ट्यूटर विस्किट से थोड़ा जलपान कर चापाकल से पानी पीते हुए धूप सेवन भी करते हैं। कहते हैं घर सारण जिले के ही रिविलगंज थाना के जिगना गांव है। अपने जमाने के विज्ञान से स्नातक हैं। शुरु से ही अध्ययन अध्यापन का शौक रहा है, जो जारी है। कोलकाता, लखनऊ में भी यही रोजगार रहा। अब पिछले कुछ सालों से रसूलपुर में एक सजातीय मिठाई दुकानदार धीरेन्द्र तिवारी के यहां रहते हैं और उनके बच्चों को शाम में ट्युशन पढ़ा देते हैं। उम्र के इस पड़ाव में साइकिल चला कर दस-दस किलोमीटर तक गांवों में जाकर ट्यूशन देने पर तिवारी कहते हैं कि मेरे स्वस्थ जिन्दगी का यही राज है। फिर भी उम्र अपना असर तो दिखा ही रही है। फिर भी लड़ रहे हैं और थकने पर पैदल ही साइकिल लेकर कुछ दूर चलते हैं।ये वृद्ध ट्यूटर अपने निजी जिंदगी की बात किसी से शेयर नहीं करते। बस इतना ही कहते हैं कि एक पुत्र है, जो किसी दूसरे प्रदेश में नौकरी करता है और अपने बाल बच्चों के साथ रहता है। इसके आगे कुछ नहीं कहते। सरकार की ओर से सामाजिक सुरक्षा का वृद्धा पेंशन भी मिलने से इंकार करते हैं। निजी जिंदगी पर ज्यादा बातें करना ये पसंद नहीं करते। सो बाबा की जिन्दगी लोगों के लिए पहेली है। बात चीत से स्वाभिमानी लगने वाले इस वृद्ध ट्यूटर के आश्रयदाता जितेन्द्र तिवारी कहते हैं कि अपनी निजी जिन्दगी पर बाबा ज्यादा बातें करना पसंद नहीं करते। बस ये सुबह होते ही स्नान ध्यान कर अपने पेशे में निकल जाते हैं।इनसे पढ़ने वाले इंटर तक के बच्चे काफी खुश रहते हैं और कहते हैं कि बाबा अंग्रेजी और मैथ में जो पढाते लिखाते हैं। वह काफी रोचक लगता है।

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