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आयुष्मान भारत कार्यक्रम के तहत ‘स्कूल हेल्थ एंड वेलनेस प्रोग्राम’ का किया जाएगा आयोजन, शिक्षकों को बनाया जाएगा स्वास्थ्य राजदूत

आयुष्मान भारत कार्यक्रम के तहत ‘स्कूल हेल्थ एंड वेलनेस प्रोग्राम’ का किया जाएगा आयोजन, शिक्षकों को बनाया जाएगा स्वास्थ्य राजदूत

  • विद्यालय स्तर पर चल रहे स्वास्थ्य गतिविधियों को लेकर 6 से 18 वर्ष तक के  स्कूली बच्चों को स्वास्थ्य व स्वच्छता को किया जाएगा जागरूक:
  • हर तरह के आयोजन से संबंधित समस्याओं की पहचान करेगी आरबीएसके के टीम

पूर्णिया। स्कूल हेल्थ एंड वेलनेस प्रोग्राम के तहत विद्यालयों में विभिन्न तरह के स्वास्थ्य कार्यक्रमों के सफ़ल संचालन में स्कूली बच्चों के समग्र शैक्षणिक विकास में उनके स्वास्थ्य एवं पोषण-स्तर की सकारात्मक भूमिका होती है। इसी के मद्देनजर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय नई दिल्ली के संयुक्त प्रयास से आयुष्मान भारत कार्यक्रम के अंतर्गत स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया है। स्वास्थ्य एवं शिक्षा विभाग के संयुक्त प्रयास से स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के साथ ही विभिन्न स्कूलों में स्वास्थ्य से संबंधित कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है। स्कूल जाने वाले बच्चों में स्वास्थ्य एवं स्वच्छता से संबंधित जागरूकता पैदा करने और विद्यालय स्तर पर संचालित स्वास्थ्य गतिविधियों को प्रोत्साहित करना ही इसका मुख्य उद्देश्य है। इस संबंध में राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार, बिहार राज्य माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अपर सचिव सह निदेशक गिरिवर दयाल सिंह एवं प्राथमिक शिक्षा के निदेशक डॉ रणजीत कुमार सिंह के द्वारा संयुक्त रूप से राज्य के सभी जिलों के सिविल सर्जन, जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को पत्र लिखकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया हैं। आयुष्मान भारत कार्यक्रम के तहत संचालित स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम को लेकर विभिन्न विद्यालयों में स्वास्थ्य व्यवहार को बढ़ावा देने और रोगों के रोकथाम के लिए एक महिला व एक पुरूष शिक्षक को हेल्थ एंड वेलनेस एम्बेसडर के रूप में नामित कर उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। और यही दोनों शिक्षक प्रत्येक बुधवार को हेल्थ एंड वेलनेस दिवस का आयोजन कर सप्ताह में कम से कम एक घण्टे तक स्कूली बच्चों को रोचक कहानी व हर तरह के गतिविधियों के माध्यम से सत्रों का संचालन करेंगे। स्वास्थ्य से संबंधित संदेशों को समाज के हर तबकों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी के लिए विभिन्न कक्षाओं से दो छात्रों का चयन किया जाएगा जो हेल्थ एंड वेलनेस संदेश वाहक के रूप में अपनी भूमिका का निर्वहन करेंगे।

विद्यालय स्तर पर चल रहे स्वास्थ्य गतिविधियों को लेकर 6 से 18 वर्ष तक के  स्कूली बच्चों को स्वास्थ्य व स्वच्छता को किया जाएगा जागरूक: 
सरकारी एवं सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त विद्यालयों के 6 से 18 वर्ष तक के  स्कूली बच्चों को स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न तरह के गतिविधियों के बारे में जागरूक किया जाएगा। जिसको लेकर विभिन्न स्कूलों में प्रशिक्षित शिक्षकों के द्वारा स्वस्थ व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न बीमारियों के रोकथाम के लिए आयु विशेष शिक्षा प्रदान करना है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के लिए समर्पित मोबाइल टीम के माध्यम से स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं की पहचान करने के बाद उसका समाधान भी करना हैं। साप्ताहिक आयरन एंव फॉलिक एसिड अनुपूरण कार्यक्रम एवं राष्ट्रीय कृमि दिवस कार्यक्रम के तहत विद्यार्थियों को आईएफए एवं एल्बेंन्डाजोल की गोलियों का सेवन सुनिश्चित करवाना हैं। सैनिटरी नैपकिन प्रावधान को करना और आयु विशेष के लिए टीकाकरण का प्रबंध करना। विद्यार्थियों को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं का लेकर प्रशिक्षण प्रदान करना। प्रत्येक बच्चे का इलेक्ट्रोनिक रिकार्ड संधारित करना, कार्यक्रम की प्रगति से संबंधित प्रतिवेदन विहित प्रपत्र में संबंधित अधिकारी को नियमित रूप से भेजना हैं।

हर तरह के आयोजन से संबंधित समस्याओं की पहचान करेगी आरबीएसके के टीम:
जन्म से लेकर 18 वर्ष तक के बच्चों में जन्मजात विकृति, विकलांगता, विकास-अवरोध एवं अन्य तरह की कमियों से संबंधित स्वास्थ्य स्थितियों का ससमय पहचान करना और उसके निराकरण की जिम्मेवारी पूरी तरह से आरबीएसके के टीम की हैं। अनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत बच्चों में खून की कमी या इससे होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए सप्ताह में एक दिन आयरन की गोली दी जानी हैं। आरबीएसके के टीम को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए है कि शिक्षा विभाग के द्वारा प्रखंड स्तर पर कार्यरत बीआरपी को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से आईएफए की गोली उपलब्ध कराना हैं। ताकि वह स्कूल स्तर पर नामांकित बच्चों को समय पर फॉलिक एसिड की गोली खिलाई जा सके। प्राथमिक विद्यालयों में नामांकित 5 से 9 वर्ष तक के बच्चों को सप्ताह में एक दिन मध्यान भोजन के बाद शिक्षकों द्वारा ग़ुलाबी गोली का सेवन कराना हैं। जबकि माध्यमिक एवं उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालयों के 10 से 19 वर्ष तक के किशोरों व किशोरियों को प्रार्थना के बाद नीली गोली खिलाना हैं।

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