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जब सही जानकारी होगी पूरी, तभी कोरोना से होगा दूरी

जब सही जानकारी होगी पूरी, तभी कोरोना से होगा दूरी

• उम्र, जाति, पद, लिंग एवं क्षेत्र से नहीं है कोरोना का संबंध
• बिना सतर्कता बरते किसी में भी फ़ैल सकता है संक्रमण
• शहर-गांव व अमीर- गरीब जैसे भ्रांतियों से रहें दूर

पूर्णियाँ। ‘‘कोरोनावायरस तो विदेशी रोग है. यह आया भी विदेश से ही है. हमलोग तो ठहरे पूरे देसी आदमी. ये वायरस हमलोगों को संक्रमित नहीं करेगा. ये अमीर देश से आया रोग है और अमीरों को ही होगा. गाँव में तो शुद्ध हवा चलती है जिसमें कोई वायरस जिंदा नहीं रह पाएगा’’. यदि आप भी ऐसे ही वार्तालाप में शरीक होकर कोरोनावायरस को अमीरों का रोग समझ रहे हैं, तो सावधान हो जाएं. सोशल मीडिया एवं कुछ अनाधिकृत स्रोतों के माध्यम से यह अफवाह फैलाई जा रही है कि कोरोनावायरस सिर्फ अमीरों में होने वाला रोग है. इन अफवाहों का असर अब छोटे-छोटे शहरों के साथ गाँवों में दिखने लगा है. लोग सही जानकारी के अभाव में कोरोना जैसी गंभीर रोग को अमीरी एवं गरीबी से जोड़कर देखने लगे हैं.

कोरानावायरस संक्रमण को लेकर इस तरह से कई भ्रांतियां सोशल मीडिया, व्हाट्सएैप सहित अनाधिकृत माध्यमों से फैल कर समुदाय में जा रही है. इन भ्रांतियों को सही मान लेने से जाने-अनजाने हम स्वयं के साथ अपने परिवार वालों के लिए इस बीमारी को आमंत्रित कर रहे हैं. इन अफवाहों का यह असर दिख रहा है कि लोग अब यह समझने की भूल कर रहे हैं कि यह गांव में रहने वालों का रोग नहीं है. लोग इसे शहरी रोग समझ रहे हैं. जबकि ये सभी बातें पूरी तरह निराधार है.

कोरोनावायरस संक्रमण को लेकर सही जानकारी जरुरी:
विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वाली संस्था सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन ने ऐसी बिना किसी प्रमाणिकता वाली बातों को खतरनाक बताया है और कहा है सोशल डिस्टेंसिंग व रोकथाम के नियम कायदों का पालन नहीं किया गया तो इसके खतरनाक परिणाम सामने आ सकते हैं. किसी भी अधिकृत स्रोत ने इस बात की भी पुष्टि नहीं की है कि कोरोनावायरस संक्रमण का संबंध अमीर-गरीब या किसी विशेष क्षेत्र से है. सभी अधिकृत स्रोतों ने यह जानकारी अवश्य दी है कि कोरोनावायरस का संक्रमण किसी भी संक्रमित के नजदीकी संपर्क में आने से ही फैलता है. चाहे वह किसी भी उम्र, लिंग, जाति, समुदाय व क्षेत्र विशेष का हो.

कोरोनावायरस संक्रमण से जुड़ी भ्रांतियों से बचें :
सिविल सर्जन डॉ मधुसूदन प्रसाद ने कहा कि संक्रमण के इस काल में जब इस रोग को लेकर कई तरह की भ्रांतियां फैल रही हैं, सही जानकारी ही इसका बचाव है. ऐसी अफवाहों के फैलने से ना सिर्फ एक ही व्यक्ति बल्कि एक बड़ी आबादी खतरे में आ सकती है. ऐसे अफवाहों को रोकने की पुरजोर कोशिश समाज के हर स्तर पर होनी चाहिए. विशेष तौर पर ग्रामीणों को सही सूचनाओं को पाने में सजगता बरतनी चाहिए. इसके लिए राज्य स्तर पर टोल फ्री नम्बर 104 जारी किया गया है, जिसपर कॉल कर कोरोना के संबंध में किसी भी प्रकार की जानकारी ली जा सकती है.

उम्र, जाति, समुदाय व लिंग से नहीं है संक्रमण का संबंध:
बिहार में भी 6 अप्रैल तक कोरोनावायरस संक्रमण के 32 मामले देखने को मिले हैं. इनमें पटना, मुंगेर, गोपालगंज, सीवान, गया, सारण, लखीसराय, भागलपुर एवं नालंदा में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आये हैं. इन सभी मामलों के विश्लेषण से यह साफ हो जाता है कि कोरोनावायरस से संक्रमित ये लोग 25 से 40 वर्ष आयु वर्ग के हैं. साथ ही सभी एक सामान्य आयवर्ग वाले परिवार से संबंध रखते हैं. सभी मामले को गौर से देखने पर यह स्पष्ट होता है कि कोरोना संक्रमण अमीर से लेकर गरीब वर्ग के सभी लोगों को हो सकता है. इसलिए सभी लोगों को समान रूप से सतर्क होने की जरूरत है. यद्यपि, सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि बुजुर्गों को आम लोगों की तुलना में कोरोनावायरस संक्रमण से अधिक खतरा हो सकता है. लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि बाकी आयु वर्ग के लोग इस संक्रमण से सुरक्षित हैं.

प्रमाणिक सूचनाओं वाले माध्यमों को ही चुनें:
प्रमाणिकता वाली सूचना देने वाले अधिकृत माध्यमों को चुने जाने के लिए भी केंद्र व राज्य सरकार की ओर से अपील की गयी है. इनमें विश्व स्वास्थ्य संगठन, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन आदि शामिल हैं. सही सूचनाएं पहुंचाने के लिए सरकार की ओर से कोरोनावायरस संक्रमण को लेकर जानकारी देने व जागरूकता लाने का काम किया गया है.

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