नीतीश जी को गुस्सा क्यों आता है
लेखक: अहमद अली
रुपेश हत्या कांड और बिहार के अन्य अपराधिक घटनाओं पर कल पत्रकारों के सवाल पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आग बबूला हो गये। लोग पूछ रहे हैं कि आज कल नीतीश जी को बहुत जल्द गुस्सा क्यों आ जाता है। सीधा सा जवाब है। ज़रा पीछे चलिये। बिहार के चुनाव से ही नीतीश जी की उन्ही के सहयोगी दल ने इतना घेराबन्दी कर रखी है कि ये पूरी तरह दबाव में आज कल अपना समय बिता रहे हैं। अर्थात, चुनाव के दौरान चिराग पासवान को इनके विरोध में उतार देना, चुनाव के बाद दो दो उपमुख्यमंत्री बनाना (ताकि ये हिले नहीं), विधान सभा का स्पीकर भी भाजपा का बनना, गृह सचिव भी भाजपा का होना, किसी भी घटना के लिये इनके मित्र दल द्वारा सीधा मुख्यमंत्री को ही जिम्मेवार ठहराना, अरुणाचल प्रदेश में इनके छह विधायकों को बी.जे.पी. द्वारा अपनी पार्टी में शामिल करा लेना तथा बिहार में भी इसी तरह का प्रयास करना आदि आदि ( ये मोटी मोटी वज़हें हैं।और भी कई हैं जिसको लिखने पर काफी विस्तार हो जायेगा) तो, अब आप ही बताइये, जो इन्सान इतना घिर गया हो और उसे घेरने की कोशिश रोज-रोज उसी का मित्र कर रहा हो, उसका दिमागी संतुलन कितना दुरुस्त होगा ? अब आइये दूसरे पहलू पर। कि, नीतीश जी तिकरम के मास्टर माईंड हैं, यह।
पूरा बिहार ही नहीं बल्कि समूचा देश जानता है। कुर्सी भी उन्हें जान से प्यारी है, यह भी सर्व विदित है। जोड़-तोड़ एवं जोड़-घटाव भी करने में माहिर हैं, यह भी सच है। लेकिन यह भी सच है कि इस सब के बावजूद वो इतना गुस्सैल नहीं थे। वो हमेशा मीठा जहर ऐसे खिला देते थे कि साँप भी मर जाता था और लाठी भी सुरक्षित बच जाती थी। लेकिन आज कल अपने मित्र से इतना परेशान हैं कि उनके दिमाग का नस हमेशा टाईट रहता है। ऐसे में साधारण सा सवाल भी उन्हें तिलमिला देता है। ये तो हुआ गुस्से का कारण। अब एक प्रश्न और जो उनसे पूछा जा सकता है, कि इतने दिन तक जिसको दोस्त बनाए रखा, क्या उसके चरित्र को नहीं जाना आपने ? वो ऐसा दोस्त है जो हमेशा आस्तीन में ही रहना पसंद करता है और मौके पर, “मत चूको चौहान” हमेशा गुनगुनाते रहता है। वो जिस दर्शन से लैस है, कि ऐसा ही मिजाज पैदा करता है। अब तो आप पहचान गये होंगे ? अगर अभी भी नहीं, तो बार बार आने वाला यह गुस्सा एक दिन आपको पागल बना देगा। बाकी आपकी मर्जी।
(लेखक के अपने विचार है।)
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