नवजात शिशुओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए गर्भवती महिलाओं को रहना होगा ज्यादा सतर्क
- गर्भावस्था में माताओं का सही पोषण जरूरी
- आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा गर्भवती महिलाओं की हुई गोदभराई
- आईसीडीएस की डीपीओ ने क्षेत्र भ्रमण कर किया गोदभराई का निरक्षण
पूर्णिया (बिहार)। ‘किसी बच्चे का जन्म होने से पूरे परिवार में खुशियों की लहर दौड़ जाती है। ऐसे में पूरे परिवार को होने वाले बच्चे और उनकी माता के अच्छे स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखना जरूरी है। गर्भावस्था में महिलाएं अपने स्वास्थ्य का जितना बेहतर ध्यान रखेंगी उनका होने वाला बच्चा उतना ही तंदुरुस्त होगा।’ ये बातें आईसीडीएस की डीपीओ शोभा सिन्हा ने पूर्णिया पूर्व प्रखंड के बेलौरी पंचायत, वार्ड 44 में आंगनवाड़ी सेविकाओं द्वारा घर-घर जाकर गर्भवती महिलाओं के गोदभराई का निरक्षण करने के दौरान कही। इस दौरान उनके साथ पोषण अभियान की जिला समन्यवक निधि प्रिया, महिला पर्यवेक्षिका नूतन मौर्या एवं आंगनवाड़ी सेविका व सहायिका उपस्थित रही। माता एवं शिशु के बेहतर स्वास्थ्य के लिए सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर प्रतिमाह सेविकाओं द्वारा गोदभराई की जाती है जिसमें गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान जरूरी पोषण और टीकाकरण की जानकारी दी जाती है।
गर्भवती महिला को रहना होगा ज्यादा सावधान :
निरक्षण में डीपीओ शोभा सिन्हा ने बताया होने वाला बच्चा जन्म से ही तंदुरुस्त हो, इसके लिए गर्भवती महिलाओं को अपने गर्भावस्था से ही ज्यादा सावधान रहना चाहिए। गर्भावस्था में महिलाओं को बेहतर पोषण युक्त भोजन खाना चाहिए जो उनके और होने वाले बच्चे को स्वस्थ रखने में सहायक होगा। इस दौरान महिलाओं को विशेष रूप से गांव में रहने वाली महिलाओं को भारी काम करने से परहेज करना चाहिए। सही समय पर टीकाकरण करवाने व जरूरी दवाओं का सेवन करना चाहिए। गर्भावस्था में किसी तरह की परेशानी होने पर उन्हें आंगनबाड़ी सेविका, आशा, एएनएम या नजदीकी चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। आईसीडीएस महिलाओं और शिशुओं के बाहर स्वास्थ्य के लिए हमेशा कार्यरत है।
शिशुओं को उचित पोषण तथा स्तनपान जरूरी :
पोषण अभियान की जिला समन्यवक निधि प्रिया ने कहा गर्भावस्था में महिलाओं और जन्म के बाद शिशुओं को उचित पोषण का मिलना बहुत जरुरी है। प्रारंभिक अवस्था में उचित पोषण नहीं मिलने से बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है। जन्म के बाद से 6 माह के शिशुओं को सिर्फ स्तनपान ही कराना चाहिए. जबकि 6 से 8 माह के शिशुओं को स्तनपान के साथ पौष्टिक ऊपरी आहार भी देना चाहिए। छ्ह माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराने से दस्त और निमोनिया के खतरे से बचाया जा सकता है। 9 से 24 माह के बच्चों को स्तनपान के साथ तीन बार अर्ध ठोस पौष्टिक आहार देना चाहिए। माँ को बच्चे के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए आहार की विविधता का भी ध्यान रखना चाहिए।
महिलाओं और शिशुओं का समय पर टीकाकरण जरूरी :
महिला पर्यवेक्षिका नूतन मौर्या ने कहा गर्भावस्था में महिलाओं को नियमित टीकाकरण करवाना जरूरी है। गर्भावस्था के दौरान प्रसव पूर्व चार जांच कराना चाहिए। जांच के बाद टीकाकरण कार्ड को सुरक्षित रखना चाहिए। प्रसव के बाद नवजात शिशुओं को भी नियमित टीकाकरण करवाना चाहिए। टीकाकरण शिशुओं को बहुत सी गंभीर बीमारियों से बचाकर रखता है। टीकाकरण की विस्तृत जानकारी के लिए महिलाएं अपने क्षेत्र के आशा या एएनएम से सम्पर्क कर सकती हैं।
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