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विश्वविद्यालय संगीत एवं नाट्य विभाग में “संगीत की विभिन्न विधाओं में सौंदर्य” विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय ई संगोष्ठी का उद्घाटन

विश्वविद्यालय संगीत एवं नाट्य विभाग में “संगीत की विभिन्न विधाओं में सौंदर्य” विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय ई संगोष्ठी का उद्घाटन

दरभंगा। प्रकृति के कण में संगीत व्याप्त है और संगीत में ईश्वर का रूप व्याप्त है। उसमें कितना सौंदर्य होगा इसका आकलन करना कठिन है। संगीत साधना है और साधना लक्ष्य की प्राप्ति का साधन है।साधना का सौन्दर्य अनुपम है , अद्वितीय है। उक्त बातें आज विश्वविद्यालय संगीत एवं नाट्य विभाग में “संगीत की विभिन्न विधाओं में सौंदर्य” विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय ई संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए संगोष्ठी के मुख्य संरक्षक कुलपति प्रो सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कही। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का पहला कार्य अध्ययन अध्यापन एवं शोध कार्य है। यह सभी कार्य छात्र कल्याण से सम्बन्धित है ।इसको ध्यान में रखते हुए प्रत्येक विभाग ई संगोष्ठी के माध्यम से इसे पूरा कर रहे हैं। अपने संबोधन में संगोष्ठी के संरक्षक प्रतिकुलपति प्रो डॉली सिन्हा ने अरिस्टोटल, प्लेटो एवं कैंट के व्यक्तव्यों का उल्लेख करते हुए कही कि संगीत है तो सौंदर्य है। उन्होंने कहा कि मैं संगीत को विज्ञान की नजर से देखती हूं। फ्रिक्वेंसी, पिच एवं टोन सदृश पारिभाषिक शब्द विज्ञान एवं संगीत दोनों में व्यवहृत होता है। उद्घाटन सत्र के बाद प्रथम तकनीकी सत्र में वाराणसी से विद्वान संगीतज्ञ पं देवाशीष डे का बीज भाषण सह सोदाहरण व्याख्यान हुआ। पं पशुपतिनाथ मिश्र एवं पं मुकुन्ट विष्णु कालविन्ट जी के शिष्य श्री डे ने सर्वप्रथम शास्त्र में वर्णित तथ्यों का विस्तृत वर्णन करते हुए विषय को सुन्दर ढंग से स्थापित किया,उसके बाद ख्याल शैली के अन्तर्गत सुन्दर और विद्वतापूर्ण गायन के विभिन्न प्रकार के बन्दिशों में सौन्दर्य को स्थापित किया, यथा- चितवत चन्द्र चकोर,बिहारी सिय अपलक मुख छवि अवध किशोर; राग मधुकौस में जीवन के रंग हजार, राग विहाग में हिय में सिय राम,विहाग में ही द्रुत लय में अविचल अडिग अटल हनुमान, मिश्र खमाज में चतुरंग की बंदिश सुनो सुनो गुणी सकल, त्रिवट आदि सहित अनेक प्रस्तुतियां की। इसके बाद ठुमरी को विश्लेषित करते हुए ठुमरी की उत्पत्ति के बारे में बताया।बन्दिश की ठुमरी-नाहि बोलूं नाहि बोलूं नाहि बोलूंगी,स्वरार्थ प्रबन्ध की रचना ‘ ना मांगो धन मद’ के बाद राग देशी में गुण की कदर कीजिए ‘ रचना की प्रस्तुति कर विषय को सम्पूर्णता प्रदान की। उन्होंने कहा कि संगीत में सौन्दर्य बताने की सीमा है, इसे प्रस्तुति द्वारा ही व्यक्त किया जा सकता है। संगोष्ठी के तृतीय सत्र और द्वितीय तकनीकी सत्र में सिक्किम विश्वविद्यालय, गैंगटाक से पधारे डा सन्तोष कुमार और डा सुरेंद्र कुमार का व्याख्यान हुआ। डा सन्तोष कुमार ने बाँसुरी में सौन्दर्य की व्याख्या करते हुए इसकी बनावट, इसके वादन में सौन्दर्य को प्रस्तुत किया। डा सुरेंद्र कुमार ने स्वर लगाव, लोक रचनाओं में सौन्दर्य को निरूपित किया। लोकगीत के शब्दों में सौन्दर्य को प्रस्तुत करते हुए ‘देख लें दरोगा बाबू अंगना में जाइ के ,बेटी कइसे मारल जाली फसली लगाइ के’की भावपूर्ण प्रस्तुति की। तृतीय तकनीकी सत्र में अलीगढ से पं देवाशीष चक्रवर्ती ने संगीत में सौन्दर्य विषय को अपने व्याख्यान और गिटार वादन द्वारा निरूपित किया।उन्होंने संगीत में शास्त्रों में वर्णित सौन्दर्य को व्यावहारिक रूप से विस्तारपूर्वक बताया।इस क्रम में डा चक्रवर्ती ने राग मिश्र काफी में मध्यलय और द्रुत लय की रचना, राग विहाग में सुन्दर रचना सहित कई धुनों की अत्यंत मोहक प्रस्तुति की जो उपस्थित एवं ऑनलाइन जुडे हुए सभी सदस्यों के लिए ज्ञानवर्धक रहा। चतुर्थ तकनीकी सत्र में विश्वविद्यालय संगीत एवं नाट्य विभाग के शिक्षक डा वेद प्रकाश ने संगीत में सौन्दर्य को आवश्यक तत्व बताते हुए राग भीमपलासी का सुन्दर वादन बाँसुरी पर किया,इनके साथ तबला संगति विभाग के शिक्षक संगीत मल्लिक ने की। इसके बाद मधुर धुन बजा कर अपने सोदाहरण व्याख्यान का समापन किया। कुलगीत एवं दीप प्रज्वलन के पश्चात विभागाध्यक्ष डा ममता रानी ठाकुर ने आगत अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन संगोष्ठी के संयोजक प्रो लावण्य कीर्ति सिंह काब्या ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन विभाग की शिक्षिका सह संकायाध्यक्ष ललित कला संकाय प्रो पुष्पम नारायण ने किया। कार्यक्रम में कुलसचिव डा मुश्ताक अहमद, संकायाध्यक्ष विज्ञान प्रो रतन कुमार चौधरी, विभागाध्यक्ष अंग्रेजी विभाग प्रो एन के वच्चन, विभागाध्यक्ष गणित प्रो एन के अग्रवाल, हिंदी के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो चन्द्र भानु प्रसाद सिंह सहित कई शिक्षक, शोधार्थी एवं छात्र छात्राएं उपस्थित थीं। संयोजिका प्रो लावण्य कीर्ति सिंह ‘काव्या’ ने इस सेमिनार का रिपोर्ट प्रस्तुत किया। अन्त में ,राष्ट्रगान के साथ संगोष्ठी का समापन हुआ पुन: विभाग द्वारा कल नाट्य शास्त्र विषय पर राष्ट्रीय ई संगोष्ठी का आयोजन होगा जिसमें कुल सचिव डॉ मुश्ताक अहमद बतौर मुख्य अतिथि संगोष्ठी का उद्घाटन करेंगे।