तीन तरीके अपनाकर बैंक एफडी की पूर्व निकासी पर जुर्माना देने से बचें
नई दिल्ली, (एजेंसी)। छोटे निवेशकों के बीच सावधि जमा (एफडी) सबसे लोकप्रिय निवेश माध्यम है। ऐसा इसलिए कि निवेशकों को निवेश से जुड़ा जोखिम नहीं उठाना पड़ता है। साथ ही एक तय रिटर्न मिलना तय होता है। एफडी में सात दिन से लेकर 10 साल तक के लिए निवेश किया जा सकता है। हालांकि, सुरक्षित विकल्प होने के बावजूद एफडी के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि इसे तय समय से पहले निकासी करने पर बैंक जुमार्ना वसूलते हैं। भारतीय स्टेट बैंक पांच लाख रुपये के एफडी समय पूर्व निकासी करने पर 0.5 फीसदी का जुर्मान लगाता है। हालांकि, इसके बचने के तरीके हैं जिसे हम बता रहे हैं।
पूर्व निकासी पर जुमार्ना देने से इस तरह बचें:
1. एफडी को समय पूर्व निकासी से बचने के लिए आप लैडरिंग अप्रोच का चुनाव कर सकते हैं। इस विकल्प के तहत जमाकर्ता इंटेरेस्ट रिस्क को बेहतर तरीके से प्रंबंधित कर सकता है और उसे लिक्विडिटी मिलती है। इस विकल्प के तहत अपनी पूंजी को कई हिस्सों में बांटकर उसे अलग-अलग परिपक्वता अवधि के लिए निवेश कर सकते हैं। निवेशक अपनी सुविधा के अनुसारर 1 साल, 3 साल या 5 साल की अवधि चुन सकता है। उदाहरण के लिए अगर आपको पांच लाख रुपये का एफडी कराना है तो आप इसे पांच भागों में बांटकर अलग-अलग समय अवधि के लिए निवेश कर सकते हैं। ऐसा कर आप कभी भी पैसे की कमी का सामना नहीं करेंगे। जब जरूरत होगी आप पैसे की निकासी कर पाएंगे।
2. अगर तरलता की चिंता है यानी जरूरत पड़ने पर तुरंत मिल सके, इसका प्रबंध करना है तो स्वीप-इन एफडी अकाउंट का विकल्प चुन सकते हैं। इस विकल्प में न सिर्फ बचत खाता जैसी निकासी की सुविधा मिलती है बल्कि एफडी पर मिलने वाला ब्याज भी मिलता है। ऐसे में इस खाते से प्री-मेच्योर विदड्रॉल पर पेनाल्टी भी नहीं देनी होगी। इस खाते में एक सीमा से अधिक जमा राशि अपने आप एफडी खाते में ट्रांसफर हो जाती है। इसके अलावा अगर बचत खाते में पर्याप्त बैलेंस नहीं है तो एफडी खाते से सेविंग अकाउंट में बैलेंस ट्रांसफर हो जाता ह। इस विकल्प के तहत बचत खाता में न्यूनतम रकम बनाए रखना जरूरी ताकि एफडी में किसी प्रकार की रुकावट न आए।
3. पैसे की जरूरत पड़ने पर एफडी से पूर्व निकासी की बजाय इस पर लोन लिया जा सकता है। अधिकतर बैंक अपने निवेशक को एफडी के बदले लोन की सुविधा उपलब्ध कराते हैं। एफडी पर लोन की ब्याज आमतौर पर इस डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज से 1-2 फीसदी तक अधिक होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि एफडी के बदले लोन लेना पर्सनल लोन लेने से बेहतर है क्योंकि आमतौर पर दोनों में पर्सनल लोन के लिए अधिक ब्याज चुकाना पड़ सकता है। एसबीआई एफडी रेट से 1 फीसदी अधिक की दर से लोन उपलब्ध कराती है. इसके अलावा एसबीआई बिना किसी प्रोसेसिंग फीस और प्री-पेमेंट फैसिलिटीज के लोन उपलब्ध कराती है। कुछ बैंक ऐसे भी हैं जो एफडी डिपॉजिट्स के 90 फीसदी तक की राशि का लोन देते हैं।


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