राष्ट्रनायक न्यूज

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पहले बाढ़ ने फसल किया बर्बाद, अब लीवर फ्लूक ,लिम्पी और खुरहा से हो रही है सारण के दुधारू मवेशियों की मौत

पहले बाढ़ ने फसल किया बर्बाद, अब लीवर फ्लूक ,लिम्पी और खुरहा से हो रही है सारण के दुधारू मवेशियों की मौत

  • डेढ़ वर्षो से नहीं लगाई गई खुरहा (खुरपका , मुह पका)का टीका जिसके कारण हजारों पशुओं की हुई मौत

राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।

गड़खा (सारण)। पहले बाढ़ ने जिला के आठ प्रखंड के लाखों किसानों का फसल समेत घरों को क्षतिग्रस्त किया। अभी उससे किसान और पशुपालक उबड़े नहीं थे कि अब लीवर फ्लूक लिम्पी की और खुरहा (मुंहपका और खुरपका)की बीमारी से  दुधारू मवेशियों की मौत होने का सिलसिला शुरू हो गया है। ऐसे में  सरकार एवं साहूकारों से कर्ज लेकर पशुपालन कर रहे पशुपालकों के सामने विकट परिस्थितियां उत्पन्न हो गई है। बीमारी के चलते देखते ही देखते पशुओं मौत हो जाती है। इसे पूरा परिवार टूट जाता है।पशुओं पर आधारित परिवारों के सामने भूखमरी की स्थिति सामने आ रही है, परंतु जिला पशुपालन विभाग द्वारा अब तक सरकारी स्तर से टीका एवं दवा का प्रबंध नहीं किया जा रहा है। इससे ग्रामीणों में दिनोंदिन आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

 दिघवारा में खुरहा से सैकड़ों मवेशियों की हो चुकी है मौत:

 सारण जिले के गड़खा और दिघवारा में खोरहा का प्रकोप सर्वाधिक देखने को मिल रहा है। दिघवारा प्रखंड के मथुरापुर गांव के दसरथ राय धारीपुर गांव के बिंदेश राय जय नारायण राय श्रवण सिंह भोला सिंह आमी के शंकर पंडित पकवालिया गांव के लाल बिहारी राय सहित सैकड़ों पशुपालकों की गाय भैंस समेत अन्य मवेशियों की मौत हो चुकी है। गड़खा प्रखंड के रामगढ़ा में सबसे अधिक हो रहा के मामले सामने आए हैं। वही दिघवारा प्रखंड के मथुरापुर, पकवालिया ,हराजी, आमी,नवल टोला में खोरहा बीमारी से सैकड़ों मवेशियों पीड़ित हैं।

झारखंड से आई लिम्पी में महामारी से पशुपालकों में बढ़ी बेचैनी:

अभी पशुपालक खुरहा जैसे बीमारी का इलाज के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। तब तक झारखंड से आई लिम्पी ने किसानों को परेशान कर दिया है। अमनौर प्रखंड के बसंतपुर बंगला,नौरंगा, अमनौर,डोमन छपरा, खासपति,ढोरलाही, किशुनपुर, अपहर, नौतन ,सलखुआ,लखना ,मकेर प्रखंड के जगदीशपुर जनता बाजार,लच्छी कौतुका समेत अन्य गांव में दिन-प्रतिदिन तेजी से फैल रही है। जानकारों का कहना है कि यह बीमारी पहले झारखंड में पाई जाती थी वहीं से कोई बीमार पशु सारण जिला में आ गई, जिससे एक पशु से दूसरे पशु में यह बीमारी का लगातार फैलाव हो रहा है। यदि समय से टीका नहीं दिया गया तो पूरे जिले में बीमारी अपना पांव पसार महामारी का स्वरूप ले लेंगी। ढोरलाही के रूपेश राय सुरेश राय कवि राम, किशोर राय,  श्यामदेव, मंगरु राम,  तेज नारायण राय  राम भजन शर्मा , उपेन्द्र राय, लच्छू कौतुका के मनोज सिंह तुर्की के प्रभु राय,मानपुर गाँव के साहेब सिंह,कटसा रामलाल राय,जदु राय,कृष्णा राय समेत अन्य लोगों की मवेशिया लिम्पि रोग से पीड़ित है। जिन का इलाज निजी स्तर पर किया जा रहा है।

बाढ़ के प्रभावित घास चारा खाने से लिवर फ्लूक:

सारण जिले में जुलाई से लेकर अक्टूबर तक जिले के 8 प्रखंडों में प्रलयकारी बाढ़ आई थी। किसानों के फसल समेत पशुओं के चारा भी बाढ़ में तबाह हो गई। पहले तो भूख के कारण कई पशुओं ने दम तोड़ दिया। बाद में बाढ़ से प्रभावित घास और चारा खाने से पशुओं में लिवर फ्लूक  की बीमारी हो रही है। इससे पशुओं के घुटने में सूजन दिखाई, उठने बैठने में दिक्कत एवं गोबर बिना पच्चे हुए भूसा सहित आने लगता है। गले के नीचे सूजन होना आंखों से कीचड़ आना समेत अन्य लक्षण चिकित्सकों द्वारा बताई जा रही है।

पशुओं की ईयर टैग के बाद ही आएगी खुरहा के वैक्सीन:

गड़खा प्रखंड 23 पंचायतों में 41768 मवेशियों में से 35 हजार मवेशियों की ईयर टैगिग कर ली गई है। अभी बाकी 7 हजार मवेशियों की बाकी है। उनके होने के बाद ही खुरहा की वैक्सीन उपलब्ध हो पाएगी।टिका 15 दिसंबर को आने वाली थी, फिर 15 जनवरी और 15 फरवरी को आने वाली थी परंतु पशुओं के कान में लगने वाली ईयर टैग के काम बाकी के कारण अब तक टिका उपलब्ध नहीं हो पाई है।जैसी ही टिका उपलब्ध होंगी युद्धस्तर पर लगाना शुरू कर दिया जाएगा।

डॉ मंजू सिन्हा, धर्मशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी, गड़खा:

हाहाकार:-खुरहा का टीका न बाजार में मिल रही न सरकारी स्तर से आँखों के सामने मर रही दुधारू पशु मवेशियों में खुरहा बीमारी का टीका अब पिछले डेढ़ वर्षो से सरकारी स्तर पर उपलब्ध नहीं हुई पाई हैम प्रत्येक साल सरकार द्वारा खुरहा का टीका वर्ष में एक बार सभी मवेशियों को लगाई जाती है, परंतु कोरोना महामारी के चलते इस बार खुरहा कि टीका नहीं लग पाई है। अभी लगने की उम्मीद भी नहीं है।ऐसे में बाजार में भी वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो पा रही है। किसानों में अपने रोग पीड़ित मवेशियों की इलाज के लिए टिका हेतु बाजारों में हाहाकार मचा है, परंतु टीका उपलब्ध नहीं होने के कारण आंखों के सामने पशुओं की मौत हो रही हैं।