राष्ट्रनायक न्यूज। हाल ही में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने 44 केंद्रीय श्रम कानूनों के स्थान पर तैयार चार श्रम संहिताओं-औद्योगिक संबंध संहिता, 2020, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य स्थितियां संहिता, 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 और वेतन संहिता, 2019 के तहत नियमों को अंतिम रूप दे दिया है। ये संहिताएं संसद में पारित होने और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अधिसूचित की जा चुकी हैं। निस्संदेह भारत के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय उद्योग-कारोबार के बढ़ते मौकों के मद्देनजर ये चार श्रम संहिताएं पासा पलटने वाली और उद्यमियों, श्रमिकों और सरकार तीनों के लिए फायदेमंद सिद्ध हो सकती हैं। इन श्रम संहिताओं के तहत जहां कामगारों के लिए मजदूरी सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराने का दायरा काफी बढ़ाया गया है, वहीं श्रम कानूनों की सख्ती कम करने और अनुपालन की जरूरतें कम करने जैसी व्यवस्थाओं से उद्योग लगाने के लिए प्रोत्साहन मिलेंगे और इससे रोजगार सृजन में भी मदद मिलेगी।
उच्चतम न्यायालय भी कई बार अप्रासंगिक हो चुके ऐसे श्रम कानूनों की कमियां गिनाता रहा है, जो काम को कठिन बनाते हैं। देश और दुनिया के आर्थिक संगठन बार-बार कहते रहे हैं कि श्रम सुधारों से ही भारत में उद्योग-कारोबार का तेजी से विकास हो सकेगा। यदि हम श्रम को शामिल कर विभिन्न मापदंडों पर बनाई गई वैश्विक रैंकिंग को देखें, तो पाते हैं कि भारत उनमें अभी बहुत पीछे है। विश्व बैंक की कारोबार सुगमता रैंकिंग ‘इज आॅफ डूइंग बिजनेस’, 2020 में भारत 63वें स्थान पर रहा है। विश्व आर्थिक मंच के ग्लोबल सोशल मोबिलिटी इंडेक्स, 2020 के तहत वैश्विक सामाजिक सुरक्षा की रैकिंग में भारत 82 देशों की सूची में 76वें क्रम पर है। ‘ग्लोबल इकनॉमिक फ्रीडम इंडेक्स, 2020 में भारत 105वें स्थान पर है। इसी तरह विश्व आर्थिक मंच के वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा सूचकांक, 2019 में 140 देशों की अर्थव्यवस्थाओं में भारत 58वें स्थान पर है।
वियतनाम, बांग्लादेश तथा अन्य देश लचीले श्रम कानूनों के कारण न केवल औद्योगिक विकास की डगर पर लाभान्वित होते दिखाई दे रहे हैं, बल्कि वे उद्योग-कारोबार की रैंकिंग में भी आगे हैं। ऐसे में भारत में नई श्रम संहिताओं से उद्योग-कारोबार सरलता से आगे बढ़ सकेंगे। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि कोविड-19 की चुनौतियों के बीच दुनिया में औद्योगिक विकास के लिए भारत की एक नई पहचान बनी है। वित्त वर्ष 2021-22 के नए बजट में भी भारत को दुनिया का नया मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाए जाने के लिए प्रावधान सुनिश्चित किए गए हैं। ऐसे में नई श्रम संहिताओं से देश के उद्योग-कारोबार को नई गतिशीलता मिलेगी। इनसे संगठित व असंगठित दोनों ही प्रकार के श्रमिकों को कई नई सुविधाएं मिलेंगी। असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा फंड का निर्माण होगा। देश के सभी जिलों के साथ खतरनाक क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों को अनिवार्य रूप से कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) की सुविधा से लाभान्वित किया जाएगा। सेल्फ असेसमेंट के आधार पर असंगठित क्षेत्र के श्रमिक अपना इलेक्ट्रॉनिक पंजीयन करा सकेंगे। इतना ही नहीं, घर से कार्य पर आने व जाने के दौरान दुर्घटना होने पर कर्मचारी क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का हकदार होगा। अपनी इच्छा से महिला श्रमिक रात की पाली में भी काम कर सकेंगी। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि केंद्र सरकार ने 178 रुपये रोजाना का राष्ट्रीय बुनियादी वेतन तय कर दिया है। न्यूनतम वेतन इससे कम नहीं हो सकता। सभी श्रमिकों को नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य होगा। दूसरी ओर औद्योगिक संबंध संहिता के तहत सरकार भर्ती और छंटनी को लेकर कंपनियों को ज्यादा अधिकार देगी। इससे औद्योगिक मुश्किलों के दौर में बड़ी कंपनियों के लिए कर्मचारियों की छंटनी और प्रतिष्ठान बंद करना आसान होगा। चार नई श्रम संहिताएं भारत को दुनिया का नया मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने में मददगार साबित हो सकती हैं।


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