राष्ट्रनायक न्यूज

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राज्यस्तरीय रैंकिंग में कसबा की जीएनएम इंदु को मिला तीसरा स्थान

  • अमानत प्रशिक्षण से पहले गर्भवती महिलाओं को रेफर किया जाता था लेकिन अब क़स्बा में ही कराया  जाता   प्रसव
  • आत्मबल के साथ निभाती हैं अपनी जिम्मेदारी: मधुबाला

राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।

पूर्णिया (बिहार) केयर इंडिया के द्वारा दिये गए अमानत प्रशिक्षण के बाद बेहतर कार्यशैली एवं सुगमतापूर्वक सैकड़ों गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराने वाली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कसबा की जीएनएम इंदु कुमारी को केयर इंडिया की ओर से राज्य स्तरीय रैंकिंग में 85.41 प्रतिशत अंक के साथ बिहार में तीसरा स्थान मिला है। जिसको लेकर ज़िला स्वास्थ्य समिति की ओर से सिविल सर्जन डॉ उमेश शर्मा, क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक नजमुल होदा, ज़िला कार्यक्रम प्रबंधक ब्रजेश कुमार सिंह, केयर इंडिया के जिला टीम लीडर आलोक पटनायक, केयर इंडिया के जिला तकनीकी अधिकारी डॉ देवब्रत महापात्रा, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कसबा के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार सिंह, बीएचएम उमेश पंड़ित सहित कई अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा बधाई दी जा रही है।

अमानत प्रशिक्षण से आत्मबल बढ़ा जिस कारण गर्भवती महिलाओं का स्थानीय स्तर पर कराया जाता है प्रसव: इंदु

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कसबा में पदस्थापित जीएनएम इंदु कुमारी ने बताया स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव कराने के लिए आने वाली औसतन 95 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को सदर अस्पताल पूर्णिया रेफ़र करते थे क्योंकि सबसे ज़्यादा परेशानी प्रसव के बाद ( पीपीएच ) बहुत ज्यादा रक्तस्राव हो जाता था लेकिन अब मुश्किल से दो या चार ही प्रसव से पीड़ित महिलाओं को रेफर करते हैं। क्योंकि विगत तीन वर्ष पूर्व अमानत का प्रशिक्षण लिए थे तब से लेकर आज तक किसी भी तरह की प्रसव पीड़ित महिलाओं को स्थानीय स्तर पर ही प्रसव कराती हूं। अगर किसी तरह की कोई गम्भीर समस्या वाली प्रसव से कराह रही महिलाएं आती हैं तो उसका भी हमलोगों के द्वारा आसानी से प्रसव करा दिया जाता है। क्योंकि पहले हमलोगों को जो प्रशिक्षण मिला हुआ था उसमें टेक्नोलॉजी की कमी थी लेकिन अब एक से एक बढ़कर नई टेक्नोलॉजी आ गई है जिस कारण आसानी से प्रसव कराया जाता है। वर्ष 2017-18 में केयर इंडिया के द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कसबा की 6 स्टाफ़ नर्स को मिलाकर एक टीम बनायी  गयी थी और उसी टीम को प्रत्येक महीने एक सप्ताह का अमानत का प्रशिक्षण दिया गया था। जिसमें हमलोगों को नई टेक्नोलॉजी के माध्यम से प्रसूति महिलाओं को किस तरह से प्रसव कराना है उसके संबंध में बताया गया था। उसी प्रशिक्षण के बाद मेरे द्वारा गर्भवती महिलाओं का आसानी से प्रसव कराया जाता है। अगर कोई परेशानी होती है या समझ में नहीं आता तो पीएचसी के चिकित्सक या केयर इंडिया की मधुबाला कुमारी को कॉल के माध्यम से जानकारी लेकर प्रसव करा दी जाती है।

कोरोना काल में पूरे आत्मविश्वास के साथ गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया:

जीएनएम इंदु ने बताया वैश्विक महामारी कोविड-19 काल के दौरान सीएचसी के लगभग दो दर्जन से ज्यादा स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना हो गया था जिस कारण अस्पताल को बंद कर दिया गया था। लेकिन इसी बीच 25 जुलाई को कसबा प्रखंड मुख्यालय के रानी सती चौक निवासी अमर कुमार लाठ उर्फ़ लड्डू गोपाल की 31 वर्षीय पत्नी सारिका लाठ प्रसव से कराह रही थी। कोरोना संक्रमण के कारण सभी जगह के अस्पताल बंद था जबकि प्रसव से कराह रही गर्भवती महिला को अस्पताल लेकर उनके परिजन आ गए। फार्मासिस्ट विकास के द्वारा जानकारी दी गई तो मैं पूरे आत्मविश्वास के साथ अस्पताल आकर कोरोना के गाइड लाइन के अनुसार स्वस्थ व सुरक्षित नवजात का प्रसव करवाया। अगर चाहती तो रेफ़र करा सकती थी लेकिन ऐसा नहीं किया। क्योंकि अमानत प्रशिक्षण मिलने के बाद एक तरह की नई ऊर्जा मिलती है और आत्मविश्वास भी काफ़ी बढ़ जाता है। जिस कारण गंभीर समस्या वाली गर्भवती महिलाओं का भी प्रसव आसानी से करवा दिया जाता है। अस्पताल में आने वाली गर्भवती महिलाओं को सबसे पहले ब्लड सुगर, उच्च रक्तचाप, एनीमिया की जांच कोरोना के गाइड लाइन के अनुसार ही की जाती है। उसके बाद ही प्रसव कक्ष में प्रवेश मिलता है। प्रसव के बाद एक मिनट के अंदर जिसे हमलोग गोल्डेन टाइम बोलते हैं उसी समय सीमा के अंदर ऑक्सीटोसिन की सुई दी जाती जो बहुत ज्यादा कारगर साबित होती है।

आत्मबल के साथ निभाती हैं अपनी जिम्मेदारी: मधुबाला

वहीं केयर इंडिया की ओर से जीएनएम को प्रशिक्षित करने वाली नर्स मेंटर विशेषज्ञ मधुबाला ने कसबा सीएचसी की जीएनएम इंदु कुमारी की इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए बताया जब भी प्रशिक्षण देने के लिए सीएचसी जाती थी तो इंदु जी बारीकियों से हर बात को सुनती थी और पूरी तन्मयता व आत्मबल के साथ सभी कार्यो को बखूबी निभाती थी। किसी भी तरह का कोई प्रशिक्षण होता था तो उसमें बढ़ चढ़ कर भाग लेती थी। सीमित संसाधनों के बीच अपनी मेहनत व कठिन परिश्रम की बदौलत ही उन्होंने मुकाम हासिल किया है। इसके साथ ही अपनी टीम के अन्य सहयोगियों को भी प्रोत्साहित करती रहती थी। शायद यही कारण है कि उनका चयन राज्य स्तरीय चयनकर्ताओं के द्वारा किया गया है। जिसमें बिहार के सभी जिलों से अमानत प्रशिक्षित जीएनएम भाग लेती हैं। उसमें इनको सबसे ज्यादा अंक मिला है  जिस कारण राज्य में तीसरा स्थान मिला है।