राष्ट्रनायक न्यूज

Rashtranayaknews.com is a Hindi news website. Which publishes news related to different categories of sections of society such as local news, politics, health, sports, crime, national, entertainment, technology. The news published in Rashtranayak News.com is the personal opinion of the content writer. The author has full responsibility for disputes related to the facts given in the published news or material. The editor, publisher, manager, board of directors and editors will not be responsible for this. Settlement of any dispute

एफएटीएफ की ‘ग्रे लिस्ट’ से बचा पाकिस्तान, कौन है मददगार

राष्ट्रनायक न्यूज।

दिल्ली, एजेंसी। यह विडंबना ही है कि जब पूरी दुनिया को पाकिस्तान द्वारा आतंकियों को अपनी धरती से दी जाने वाली व्यावहारिक और खुली वित्तीय सहायता के बारे में पता है, फिर भी फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने इसे ‘ग्रे लिस्ट’ में बनाए रखा है, और एफएटीएफ की सिफारिशों का पालन करने में विफल रहने के बावजूद वह ‘काली सूची’ में जाने से बच निकला। विगत 21 से 26 फरवरी तक पेरिस में आयोजित एफएटीएफ की वर्चुअल मीटिंग में पाकिस्तान को काली सूची में नहीं डालने का फैसला अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या के मुख्य आरोपी आतंकी उमर सईद शेख को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रिहाई से मेल नहीं खाता, जिसने नए बाइडन प्रशासन को परेशान कर दिया था। एफएटीएफ के अध्यक्ष डॉ मार्कस प्लेयर ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान अब भी बढ़ी हुई निगरानी में है, हालांकि इस्लामाबाद ने आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए तंत्र में कुछ गंभीर कमियों के गैर अनुपालन के बावजूद एक महत्वपूर्ण प्रगति की है। पाकिस्तान को 27 में से तीन बिंदुओं को संबोधित करना बाकी है।

विशेषज्ञों का मानना है कि एफएटीएफ का आशावाद उनकी प्रतिक्रिया से परिलक्षित होता है, जब वह उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान जमीनी स्तर पर अपने वादे निभाएगा। उनका कहना है कि पाकिस्तान को आतंकवादियों और उनके सहयोगियों को वित्तपोषण करने वाले सभी समूहों और संस्थाओं की जांच और अभियोगों में सुधार करना चाहिए और यह दिखाना चाहिए कि अदालतों द्वारा दंड प्रभावी हैं। विश्लेषकों का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह करने की पाकिस्तान की भ्रामक शैली एफएटीएफ के साथ धोखा करने के हालिया प्रयासों से जुड़ी हुई है। 26/11 मुंबई हमले के आरोपी लश्कर-ए तैयबा कमांडर जकीउर रहमान लखवी की गिरफ्तारी ने उसे ‘काली सूची’ में डाले जाने से रोका। पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में रखने से उस पर बहुत असर नहीं पड़ता है, पर ‘ब्लैक लिस्ट’ में रखने पर अन्य प्रतिबंधों के अलावा उसे वैश्विक वित्तीय संगठनों, जैसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, एडीबी बैंक इत्यादि से वित्तीय सहायता नहीं मिल पाएगी। पाकिस्तान चीन, तुर्की, मलयेशिया जैसे अपने मित्र राष्ट्रों से सहायता मांग रहा है, यदि वे सहमत हो जाते हैं, तो जून तक इस्लामाबाद के औपचारिक रूप से ‘ग्रे लिस्ट’ से बाहर आने की संभावना बढ़ जाएगी।

एफएटीएफ अध्यक्ष की टिप्पणी आश्चर्यजनक है, जब वह कहते हैं कि एफएटीएफ एक जांच संगठन नहीं है और हम एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और इसकी रूपरेखा की पूरी प्रणाली का आकलन करते हैं, जो हर घटना के साथ नहीं बदलती है। विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान ने दुनिया और एफएटीएफ को यह दिखाने की कोशिश की कि इमरान खान सरकार मनी लॉन्ड्रिंग को हतोत्साहित करने और आतंकी समूहों को वित्तपोषित नहीं करने की प्रतिबद्धता को गंभीरता से ले रहा है, जो सच्चाई से दूर है। पाकिस्तान ने जो रिपोर्ट प्रस्तुत की, वह पूरी तरह से संतुष्ट नहीं करती। पाकिस्तान सरकार बार-बार एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने और कार्रवाई को रोकने के लिए अमेरिकी लॉबिंग फर्मों पर निर्भर रही है। पाकिस्तान अमेरिका को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है कि वह गंभीरता से आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है, जबकि वास्तविकता कुछ और है। ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए पाकिस्तान को कम से कम बारह देशों के समर्थन की आवश्यकता है, और यह काफी हद तक अमेरिका और चीन के दृष्टिकोण पर निर्भर करेगा।

यह भी कठोर सत्य है कि अमेरिका पाकिस्तान को लाड़-प्यार कर रहा है और उसने कभी भी पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकवादियों द्वारा भारत पर हमले को गंभीरता से नहीं लिया, जब तक कि 9/11 का हमला नहीं हुआ। चीन भी पाकिस्तान को बचाता है, जिसका उद्देश्य भारत की परेशानी को बढ़ाना है। पर वह कभी सफल नहीं होगा।

You may have missed