लॉकडाउन में भी यूपी बॉडर पार का पैदल आ रहे है मजदूर, ग्रामीण भयभीत
माँझी(सारण)। कोरोना लॉकडाउन को ठेंगा दिखाते हुए दूसरे प्रदेशों से पैदल चलकर मजदूरों का मांझी पहुंचना अब भी बदस्तूर जारी है। शनिवार को जयप्रभा सेतु के रास्ते यूपी के गाजीपुर से तीन दिनों में पैदल चल कर भूखे प्यासे मांझी पहुँचे मजदूर बोले जब मरना ही है तो भूखे क्यों घर पहुंच कर कर खा-पी कर मरेंगे। दोपहर की चिलचिलाती धूप में बलिया मोड़ पर पहुँचे मजदूर कुछ देर आराम करने के बाद फिर सहरसा के लिए प्रस्थान कर गये। इन लोगों के साथ जैसे तैसे चल रहे एक विकलांग मजदूर भी है जो कभी सायकिल से तो कभी पैदल सफर कर रहा था। एक साथ जमीन में बैठ कर आराम फरमा रहे रमेश,दशरथ, शंकर, रणजीत, उदय आदि मजदूरों ने संयुक्त रूप से कहा कि हम लगभग 3 दर्जन लोग गाजीपुर में पोलम्बर मिस्त्री का काम करते हैं। अचानक जनता कर्फ्यू के बाद लॉक डाउन लग जाने से कही भी आना जाना बंद हो गया। हम लोग लॉक डाउन खुलने का इंतजार करते रहे। जबकि इसे खोलने के बजाय और बढ़ा दिया गया। इस बीच जो पैसा था वो 21 दिन के अंदर खा पी गये। अब खाने के लिए एक रुपया तक नहीं बचा। इस पर हम लोगों ने विचार किया कि आखिर यहाँ रह कर भूखे मरने से तो अच्छा है कि घर जाकर परिवार के साथ मरेंगे। सरकारी वायदे का कोई लाभ नही मिला। हम लोगों ने पैदल ही चलने का विचार बना कर निकल पड़े। पैदल चलने का दो कारण था एक तो पैसा नही था और दूसरा गाड़ी नही चल रही थी। तीन दिन चलने के बाद हम लोग माँझी पहुँचे है। पूछने पर बताया कि इस पुल के उस पार यूपी की सीमा में पुलिस कर्मियों द्वारा चूड़ा एवं गुड़ दिया जा रहा था। जिस को खा कर भूख की आग मिटाई और इसी में से थोड़ा बचा लिया है कि कल खा कर पानी पी लेंगे। इन लोगों को सहरसा जाना है। पैसा भी नही है और न ही पास में कोई खाने की कोई वस्तु है। फिर भी हौसला बुलन्द है। सबसे बड़ी बात यह है कि इन लोगों के साथ एक पैर से विकलांग भी चलने में इन लोगों से पीछे नही है।


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