सहरसा, बिहार। देश के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में महिषी के उग्रतारा स्थान का विशेष महत्व है। बिहार राज्य के कोसी प्रमंडलीय मुख्यालय व सहरसा जिले से लगभग 17 कि.मी. पश्चिम धर्ममूला नदी के तट पर अवस्थित प्राचीन माहिष्मती अब महिषी गांव में वर्तमान मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी में दरभंगा राज परिवार से जुड़ी महारानी पद्मावती ने कराया था।
यहाँ तारा, एकजटा तथा नीलसरस्वती की तीनों मूर्तियों एक साथ हैं। मध्य में बड़ी मूर्ति व दोनों तरफ छोटी मूर्तियाँ हैं। बाबा-भागलपुर विगत 23 वर्षों से निरन्तर इस शक्ति स्थल पर साधना हेतु समय-समय पर जाते रहते हैं। चूंकि बाबा-भागलपुर का माँ उग्रतारा के प्रति श्रद्धा-भक्ति ही अद्भुत है। इसी क्रम में 09 मार्च 2021 (मंगलवार) को माता उग्रतारा शक्ति स्थल पर अभिषेक कुमार सिंह, हितेष कुमार और गौरव कुमार सहित कई लोगों के साथ पहुँच कर बाबा-भागलपुर ने दर्शन-पूजन कर माता उग्रतारा से प्रार्थना कि हे माता! विश्व मानव समुदाय का कल्याण हो, शीघ्रताशीघ वैश्विक महामारी कोरोना का शमन हो तथा आकाश मंडल में ग्रहों की गोचर भ्रमण के क्रम में बने अत्यंत खराब योगों का शीघ्रताशीघ्र शमन हो। घण्टों तपस्या के बाद बाबा-भागलपुर उग्रतारा स्थान, महिषि, सहरसा से अपने साधना स्थल, भागलपुर के लिए प्रस्थान कर गये। माता उग्रतारा के सम्बन्ध में बाबा-भागलपुर ने बतलाया कि माँ तारा का उग्र रूप ही उग्रतारा है। तारा महाविद्या साधना दुर्गा तंत्र में दस महाविद्याओं को शक्ति के दस प्रधान स्वरूपों के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। ये दस महाविद्याएँ हैं श्रीकाली तारा महाविद्या षोडसी भुवनेश्वरी भैरवी छिन्नमस्ता च विद्या धूमावती तथा श्रीबग्लासिद्धिविद्या च मातंगी कमलात्मिका एता दशमहाविद्या: सिद्धि विद्या प्रकीर्तिता:।।
महाविद्याओं को दो कुलों में बांटा गया है:- पहला काली कुल तथा दूसरा श्रीकुल। काली कुल की प्रमुख महाविद्या है तारा। इस साधना से कुछ भी असम्भव नहीं है। इस महाविद्या के साधकों में जहाँ महर्षि वशिष्ठ जैसे प्राचीन साधक रहे हैं, वहीं वामाखेपा जैसे साधक वर्तमान युग में बंगाल प्रांत में हो चुके हैं। विश्व प्रसिद्ध तांत्रिक तथा लेखक गोपीनाथ कविराज के आदरणीय गुरुदेव स्वामी विशुद्धानंद जी तारा साधक थे। इस साधना के बल पर उन्होंने अपनी नाभी से कमल की उत्पत्ति करके दिखाया था।
सर्वविदित हो कि अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त ज्योतिष योग शोध केन्द्र, बिहार के संस्थापक दैवज्ञ पंङ्म आर. के. चौधरी उर्फ बाबा-भागलपुर, भविष्यवेता एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ की 2003 ईङ्म से अब तक अनेकानेक (एक-दो को छोड़कर) भविष्यवाणी सही साबित हुई है। शनि-केतु ग्रह कर सकता है कोलाहल व क्रन्दन सजग रहे संसारवासी विशेषकर भारत नन्दन। इस भविष्यवाणी के तहत भारत सहित विश्व के 89 से अधिक देशों में चाइनीज रोग कोराना के कहर से मुसीबतों का सामना करना पड़ा। फलस्वरूप बाबा-भागलपुर की यह भी भविष्यवाणी इतिहास के पन्ने में स्वर्णाक्षरों में अंकित हुई। लेकिन आज तक बिहार सरकार और केन्द्र सरकार का ध्यान इस ओर तो नहीं गया है।


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