राष्ट्रनायक न्यूज

Rashtranayaknews.com is a Hindi news website. Which publishes news related to different categories of sections of society such as local news, politics, health, sports, crime, national, entertainment, technology. The news published in Rashtranayak News.com is the personal opinion of the content writer. The author has full responsibility for disputes related to the facts given in the published news or material. The editor, publisher, manager, board of directors and editors will not be responsible for this. Settlement of any dispute

60 साल पहले बंद हुआ भारत और चीन के बीच का पुल, फिर खुलने के लिए तैयार

नई दिल्ली, (एजेंसी)। गढ़वाल हिमालय में उत्तरकाशी में सुरम्य नेलोंग घाटी में स्थित एक स्काईवॉक पुल, जो 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद बंद हो गया था, जल्द ही पर्यटकों के लिए खुलने वाला हैं। टीओआई की एक खबर के मुताबिक, यह पुल 150 साल पहले पेशावर से पठानों द्वारा निर्मित किया गया था। आपको बता दें कि यह पुल 11,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस पुल का ऐतिहासिक और सामरिक दोनों का महत्व है। भारत-चीन युद्ध के बाद से बंद यह पुल भारत और तिब्बत के बीच एक व्यापार मार्ग का हिस्सा था और यह नेलॉन्ग घाटी का शानदार दृश्य पेश करता है।

गंगोत्री नेशनल पार्क के रेंज अधिकारी प्रताप सिंह पवार ने टीओआई से बात करते हुए बताया कि, “यह क्षेत्र वनस्पति और जीवों में समृद्ध है और हिम तेंदुए और हिमालयी नीली भेड़ जैसे दुर्लभ जानवरों का घर है।” यदि सब कुछ ठीक रहा, तो लाहौल-स्पीति जैसे पहाड़ी रेगिस्तानी परिदृश्य वाले क्षेत्र को जुलाई तक पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा। 50% बहाली का काम पूरा होने के बाद इस पुल को देखने के लिए विजिटर्स की संख्या की अनुमति, टिकट प्राइस और अन्य औपचारिकताओं को तय किया जाएगा। बता दें कि पीडब्ल्यूडी ने इस महीने की शुरूआत में ढांचे पर काम शुरू कर दिया है।

दून स्थित विरासत कार्यकर्ता और मानवविज्ञानी लोकेश ओहरी, जिन्होंने 2019 में इस क्षेत्र का दौरा किया था, ने कहा कि पुल पहले भारत और तिब्बत के बीच सीमा पार व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग था। ह्लयह ऊन, नमक, गुड़ और मसालों जैसे अन्य वस्तुओं के परिवहन के लिए सबसे पुराने व्यापारिक मार्गों में से एक था। उन्होंने कहा, इस तरह का व्यापार और उससे जुड़ी गतिविधियां उत्तरकाशी में भूटिया समुदाय के लिए आजीविका का स्रोत थीं।

लोकेश ओहरी ने कहा कि पीडब्ल्यूडी को पुनर्गठन के दौरान पुल की विशिष्टता और मौलिकता को बनाए रखना चाहिए। उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड के संयुक्त निदेशक विवेक चौहान ने इस बीच टीओआई को बताया कि केंद्र सरकार द्वारा कुछ समय पहले इसे इनरलाइन परमिट क्षेत्र से हटाने के बाद गर्तांग गली को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना शुरू की गई थी।आरएस खत्री, कार्यकारी अभियंता, पीडब्ल्यूडी से जब काम की तेजी के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि पुल की मरम्मत 64 लाख रुपये की लागत से की जा रही है और अनुमान है कि यह काम इस साल जून तक पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इलाके में लगातार हो रही बर्फबारी और अनिश्चित इलाके के कारण मरम्मत प्रभावित हो रही है।

You may have missed