दिल्ली, एजेंसी। राष्ट्रनायक न्यूज। टीबी का नाम सुनते ही मन में एक अजीब सा डर समा जाता है। आमतौर पर लोग यह मानते हैं कि टीबी होने के बाद उनका जीवित बच पाना लगभग नामुमकिन है। यह सच है कि टीबी एक गंभीर तथा संक्रामक रोग है, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि इसके कारण आपको अपने जीवन से हाथ धोना ही पड़े। आज के समय में टीबी का इलाज मौजूद है। बस जरूरत है कि टीबी का सही समय पर और पूरा इलाज करवाया जाना चाहिए। अगर ऐसा न किया गया, तो ली गई दवाओं का असर कम हो जाता है। साथ ही टीबी एक बार फिर मरीज को प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा घर में किसी एक सदस्य को यह बीमारी हो गई है, तो उससे थोड़ी दूरी बनाना बेहद आवश्यक है।
रखें दवाइयों का रिकॉर्ड: हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि टीबी की बीमारी होने पर समय पर दवा लेना बेहद आवश्यक है। आमतौर जो मरीज अस्पताल में भर्ती होते हैं, वे डॉक्टर और नर्स की देखरेख में सही समय पर सही दवाई लेते हैं। लेकिन अगर आप घर पर रहकर ही टीबी का उपचार कर रहे हैं तो यह जरूरी है कि आप दवा को निश्चित समय पर लें। यदि आपको लगे कि आप दवा लेने का सही समय भूल सकते हैं, तो रोजाना दवा लेने के बाद कैलेंडर की उस निश्चित तारीख पर मार्क करें, जब आपने दवा ली है। इस तरह रोजाना दवाई लेना भी याद रहेगा और कभी मिस भी नहीं होगा।
रहें सबसे दूर: विशेषज्ञों की मानें तो टीबी एक संक्रामक रोग है। यदि घर में किसी एक सदस्य को यह बीमारी है, तो उन्हें अन्य सदस्यों से दूर रहना चाहिए। यदि ऐसा न किया जाए तो देखते ही देखते पूरा परिवार इस बीमारी की चपेट में आ सकता है। इसलिए टीबी होने पर न सिर्फ घर से बाहर निकलना बंद करें बल्कि आॅफिस भी न जाएं और घर के अन्य सदस्यों से दूर रहें। इसका मतलब ये नहीं है कि आप उनसे बातचीत न करें। आपको सिर्फ इतना ध्यान रखना है कि उनके पास न जाएं और खांसते वक्त आपके मुंह में कपड़ा या रूमाल लगा हो। कई बार आपको पता नहीं चलता है और आपकी वजह से दूसरे व्यक्ति को यह बीमारी हो जाती है।
दवा के प्रभाव: टीबी की कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट भी होता है। यदि दवा लेने के शुरूआती सप्ताह में कोई समस्या न हो, तो सब ठीक है। यदि ऐसा नहीं हुआ और आपको तकलीफ होने लगी है, तो सतर्क रहें। आप खुद में निम्न संकेतों को नोटिस कर तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं-
- भूख की कमी
- उल्टी
- आंखों में पीलापन
- त्वचा का पीला पड़ना
- पेट में दर्द
- पैरों की उंगलियों में झनझनाहट
- छाती में जलन
- मसूड़ों से खून निकलना
- खुजली
- त्वचा में खारिश
- नाक से खून निकलना
- ज्वाइंट्स में दर्द
- कान में घंटी बजना या सुनाई न देना
- धुंधला दिखना
- मिताली जैन


More Stories
अब डिजिटल वार से होगा फाइलेरिया पर प्रहार, 15 हजार से अधिक मरीजों का बनेगा ऑनलाइन डैशबोर्ड
सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए अब सरकारी और निजी विद्यालयों के बालिकाओं को लगाया जायेगा एचपीवी वैक्सीन
डेंगू के रोकथाम और जागरूकता के लिए जिले में मनाया जायेगा एंटी डेंगू माह