राष्ट्रनायक न्यूज

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राहुल सांकृत्ययन एक बहुआयामी प्रतिभा सम्पन्न  युग द्रष्टा थें: अहमद अली

राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।   

छपरा (सारण)। राहुल सांकृत्यायन न केवल एक लेखक और साहित्यकार थे बल्कि एक महान स्वतन्त्रता सेनानी और किसान नेता भी थें । उन्होंने 1936 में सहजानन्द सरस्वती के साथ मिल कर किसान सभा का गठन कर जमीन्दारों के जुल्म के खिलाफ आन्दोलन का नेतृत्व किया था तथा जेल भी गये। लगभग 150 ग्रंथों के रचईता राहुल जी हिन्दी साहित्य के पितामह कहे जाते हैं, लेकिन उनकी नज़र में सभी भाषा – साहित्य प्रिय थे। घुमक्करी को उन्होंने मानों अपने जीवन का जरीया ही बना लिया हो। उन्होंने विश्व के कई देशों का भ्रमण करते हुए ऐसी संस्कृतियों की खोज कर डाली जो शायद उन्हीं के बस की बात हो। “भागो नहीं दूनिया को बदलो” अपनी पुस्तक में उन्होने समाजजिक कुरीतियों से परिचय कराते हुए उसे बदलने के लिये उत्प्रेरित करते हैं, तो छपरा जेल में  लिखी अपनी कालजयी पुस्तक “तुम्हारी क्षय” में सामज में फैली अंधविश्वास को पूरी तरह नंगा कर देते है। राहुल जी में जो सबसे बडी़ चीज सीखने की है वो है, नीडरता और बेबाकीपन।कई जगह उनको धर्म के ठेकेदारों ने बहिष्कार किया और उनपर लाठियाँ भी बरसाई लेकिन उन्होंने कभी भी अपनी तीक्ष्ण एवं सत्यपूर्ण लेखनी की गति धीमी नहीं होने दी।आज उनके साहित्य को हमें अध्ययन करने की आवश्यकता है जो आज भी पूरी तरह प्रासंगिक हैं।

उपरोक्त बातें माकपा राज्य सचिवमंडल सदस्य अहमद अली ने राहुल सांकृत्यायन की 128 वाँ जयन्ती समारोह को सम्बोधित करते हुए बरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति (छपरा) के सभागार में कही। समारोह की अध्यक्षता राकेश रंजन ने किया राहुल सांकृत्यायन विचार मंच के सचिव उमेश यादव ने अपने सम्बोधन में राहुल जी को एक सामाजिक योद्धा के रुप में अलंकृत करते हुए कहा कि एक ब्रह्मण कुल में जन्म लेने के बावजूद भी उन्होंने ब्रह्मणवाद के विरुद जो अभियान चलाया वह अतुलनीय है।जातिवाद के विरुद्ध उनका अभियान आज भी समाज को आईना दिखाता है।वो हमेशा कहा करते थे कि देश के उज्ज्वल भविष्य के लिये जात पात का क्षय परम आवश्यक है।उनका स्पष्ट मानना था कि पुनर्जन्म सामाजिक शोषकों का एक हथियार है जिसके मकरजाल में जनता को डाल कर उनका बौद्धिक हरण कर उनको लूटते हैं। अन्त में कैलाश पंडित ने सभी उपस्थित आगंतुकों का आभार व्यक्त करते हुए राहुल सांकृत्यायन की दी हुई शिक्षा पर अमन करने की अपील की। समारोह को मुख्य रुप से सरताज खाँ, तसलीम तनहा, बीरेन्द्र सिंह, कामेश्वर पासवान,पंकज यादव आदि  ने सम्बोधित किया।

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