ये दुआ है मेरी रब्ब से
जीत जाये इंडिया सब से
इतिहास इक बनाये
कहता है ये खुदा भी
कुछ भी नहीं नामुमकिन
गर हो बुलंद इरादे
कोरोना हम हराये।
रह लेंगे हम अकेले
दिल से तो मिलेंगे
चाहे जो भी हो सितमगर
हम साथ मुस्कराये
अब देर ना करो तुम
इक पल भी डरो तुम
जिन्दगी का ये तराना
जी भर के गुनगुनाये
ये दुआ है मेरी रब्ब से
जीत जाये इंडिया सब से।
सूर्येश प्रसाद निर्मल
शीतलपुर, तरैया सारण।


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