पटना: बिहार में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में मरीजों के लिए ऑक्सीजन बेड की मांग भी बढ़ रही है। इसके बावजूद कई अस्पतालों में करीब एक हजार से ज्यादा बेड खाली पड़े हुए हैं। इसकी वजह है क्रायोजेनिक स्टोरेज टैंक की सुविधा न होना। यह जानकारी केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट से सामने आई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि राजधानी में केवल तीन ऐसे अस्पताल हैं जिनके पास क्रायोजेनिक स्टोरेज टैंक की सुविधा उपलब्ध है। जबकि बड़े अस्पतालों के लिए यह एक बुनियादी आवश्यकता है।
पटना हाईकोर्ट को सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी के कारण अस्पतालों के बेड का पूर्ण उपयोग नहीं हो रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (पटना), कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) अस्पताल और पटना के एक निजी पारस अस्पताल में ऑक्सीजन के लिए क्रायोजेनिक स्टोरेज टैंक की सुविधा है।
पीएमसीएच, आईजीआईएमएस और राज्य के पहले डेडिकेटिड कोविड-19 अस्पताल एनएमसीएच जैसे पुराने और बड़े अस्पतालों में भी यह सुविधा मौजूद नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें स्टोरेज टैंक बनाने में समय लगेगा। सरकारी जमीन पर बने मेदांता-जयप्रभा अस्पताल, जिसे सरकार ने कोविड अस्पताल में बदलने की घोषणा की थी, वह भी अबतक शुरू नहीं हो पाया है।
जस्टिस चरणधारी शरण सिंह और जस्टिस मोहित कुमार शाह की पीठ को सूचित किया गया कि मेदांता में वर्तमान में आॅक्सीजन की आपूर्ति की सुविधा नहीं है और यह 50 बेड की सुविधा सुनिश्चित कर सकता है। इसके अलावा पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में कोविड-19 रोगियों के लिए बनाए गए अस्पताल का भी उपयोग नहीं हुआ है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) में 1750 बेड हैं, लेकिन लगभग 1,000 आॅक्सीजन की आपूर्ति के अभाव में अप्रयुक्त हैं। वहीं बिहार केंद्र द्वारा आवंटित 194 मिलियन टन ऑक्सीजन के अपने पूरे कोटो को लेने में असमर्थ है। बिहार ने केंद्रीय कोटे के तहत आवंटित आॅक्सीजन के लगभग 100 मिलियन टन को लिफ्ट किया है, क्योंकि उसके पास टैंकर नहीं हैं।
पीएमसीएच में 1750 में से सिर्फ 450 बेड का उपयोग कोविड-19 रोगियों के लिए किया गया है, जबकि 50 उन कर्मचारियों के लिए आरक्षित हैं जो संक्रमित हो सकते हैं और 250 अन्य बीमारियों के लिए हैं। अधिकांश अस्पताल आपूर्ति के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर पर निर्भर हैं, ऐसे में पीठ के सामने जमाखोरी और कालाबजारी का मामला आया। कुछ स्वैच्छिक संगठनों ने कहा कि उन्हें ऑक्सीजन की जरूरत है क्योंकि उनके पास जरूरतमंदों को आपूर्ति करने के लिए सिलेंडर हैं। पटना के अस्पतालों में उपलब्ध सुविधाओं की जांच के लिए पटना हाईकोर्ट के निर्देश पर केंद्र ने तीन सदस्यीय तकनीकी टीम का गठन किया है। टीम का नेतृत्व पटना एम्स के डॉ. उमेश कुमार भडानी कर रहे हैं।


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