- स्व. बक्शी अवधेश कुमार श्रीवास्तव की स्मृति में आयोजित हुआ वर्चुअल कार्यक्रम ‘सुमिरन’
आरा। महीनों से कोविड के डर के माहौल को झेल रहे लोगों को संगीत का आलाप सुनाकर सकारात्मकता बढ़ाने का अनूठा प्रयास किया गया।रुदन और विलाप के बीच सुरों ने समां बांधा।अवसर था चर्चित कला चिंतक स्व. बक्शी अवधेश कुमार श्रीवास्तव की स्मृति में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम सुमिरन का। सर्वप्रथम कथक नृत्यांगना सोनम कुमारी ने बक्शी अवधेश जी के चित्र पर माल्यार्पण किया। कार्यक्रम के पहले सत्र में संगोष्ठी “बाते गवईयें बजवईयें की” का आयोजन किया गया। जिसमें पिछले एक वर्षों से पैंडेमिक की मार झेल रहे कलाकारों की समस्याओं व समाधानों पर चर्चा की गई। मुख्य वक्ता चौधरी चरण सिंह पी. जी. कॉलेज सैफई के संगीताचार्य प्रोफेसर लाल बाबू निराला ने कहा कि हम कलाकार ना आगजनी कर सकते हैं ना तोड़ फोड़ ना तो सड़क पर आंदोलन।हम प्रार्थना और निवेदन ही कर सकते हैं।हमारी संस्कृति को जीवित रखने के लिए सरकार और समाज को आगे आना होगा।एक ऐसी व्यवस्था करनी होगी कि किसी कलाकार का जीवन मुफलिसी में ना बीते।उनके बच्चों को और समाज को भी सर्वदा गर्व की अनुभूति हो।अग्रिम पंक्ति के कलाकार स्थिति सुधारने में सक्षम हैं, उन्हे एक सार्थक योजना बनाकार सरकार को अवगत करवाना चाहिए। हम कलाकार जितने बड़े होते हैं जिम्मेवारियां भी हमारी बड़ी हो जाती हैं। वहीं दूसरे सत्र में दूरदर्शन के ग्रेडेड कथक नर्तक राजा कुमार ने कथक नृत्य प्रस्तुत करते हुए गणेश वंदना, झपताल में उपज, थाट, उठान, आमद,चक्करदार परण, तोड़ा, टुकड़ा, तिहाई व लरी प्रस्तुत कर अद्भुत समां बांधा।संचालन गुरु बक्शी विकास व धन्यवाद ज्ञापन कथक नर्तक अमित कुमार ने किया। इस कार्यक्रम में देश के कई हिस्सों से लोग शामिल हुए एवं श्रद्धा सुमन अर्पित किया।


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