राष्ट्रनायक न्यूज।
मांझी (सारण)। मानवता को शर्मसार करने वाली जीता जागता तस्वीर देखनी हो तो उत्तरप्रदेश सीमावर्ती सारण जिला के मांझी प्रखंड के जयप्रभा सेतु पर आकर देखिए। बिहार और उत्तरप्रदेश की सीमा को जोड़ने वाला अति महत्वपूर्ण सड़क पुल जयप्रभा सेतु अब कोविड संक्रमित शवो के निपटारे का साधन बना हुआ है। आये दिन इस पुल से एम्बुलेंस चालक अस्पतालों से लाये गए शवो को फेंक आराम से निकल जाते हैं और प्रशासन आँखे मूंदे स्थिति को सामान्य या नियंत्रण में बताने की कोशिश में लगा रहता है। अगर स्थानीय लोगों की माने तो बिहार हो या उत्तर प्रदेश दोनो राज्यो की तरफ से एम्बुलेंस वाले आते हैं शव को पुल से नीचे फेंकते हैं और निकल भागते हैं। संक्रमित शवो का अंतिम संस्कार भी नही होता है और ना ही उनको मिट्टी में दफनाया जाता है आवारा जानवर का आहार बनते इन शवो को लेकर संवेदनहीन प्रशासन एक बड़े खतरे को अनदेखा कर रही है। आपको बता दें कि बलिया मोड़ के समीप अवस्थित यूपी-बिहार को जोड़ने वाला जय प्रभा सेतु के नीचे सरयू नदी के रेत पर दो शवों को अलग-अलग फेंके जाने के बाद लोगों में दहशत व्याप्त है। क्योंकि एक शव पीपी किट में लिपटा है तो दूसरा कफन में उक्त शव को फेंके जाने से लोगों में दहशत व्याप्त है। लोग बताते हैं कि यूपी बिहार के सीमा क्षेत्र पर होने के कारण यूपी बिहार के अस्पतालों से मरे लोगों को रात के अंधेरे में एंबुलेंस वाले फेंक कर चले जाते हैं जिन्हें पानी का अंदाजा नहीं मिलता और शव पानी में जाने की जगह रेत पर चले जाते हैं। क्योंकि एंबुलेंस वालों को यह डर रहता है कि ग्रामीण देखने के बाद विरोध कर देते हैं बस पुल से ही शव को नीचे फेंक कर फरार हो जाते हैं। शवों के संक्रमित होने से महामारी फैलने की आशंका से लोग सहमे हुए हैं।


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