पटना: बिहार में लॉकडाउन लगाने के बाद से कोरोना वायरस के मामलों में कमी आ रही है। हालांकि मरीजों को अब भी इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। इसपर पटना हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा कि राज्य में बड़े पैमाने पर कोरोना महामारी के प्रभाव को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाने चाहिए। हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने जनहित के मामलों पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि राज्य में यदि किसी जरूरतमंद को समय पर इलाज देने में निजी अस्पताल नाकाम रहा तो इसे मौलिक अधिकार का उल्लंघन माना जाएगा। हाईकोर्ट का कहना है जरूरतमंद को इलाज देना उसके मौलिक अधिकार का हिस्सा है।
कोर्ट ने ये बातें मरीजों को अस्पतालों में इलाज और जरूरी दवाएं नहीं मिलने को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान कहीं। कोर्ट ने कहा कि कोरोना की स्थिति के कारण सरकार को लॉकडाउन लगाना पड़ा। इस स्थिति में राज्य के सरकारी अस्पताल हों या डॉक्टर सभी को अपने कर्तव्य का पालन करते हुए मरीजों की सेवा करनी होगी।
कोर्ट ने कहा कि बिहार के निजी अस्पतालों को भी लोगों के जीवन जीने के मौलिक अधिकार का पालन करना होगा। अदालत ने राज्य की संबंधित अदालतों को निर्देश दिया है कि पुलिस द्वारा कालाबजारी में पकड़े और जब्त किए गए आॅक्सीजन सिलेंडर को रिलीज करने का आदेश पारित करें। कोर्ट ने यह आदेश इसलिए दिया ताकि सिलेंडरों का इस्तेमाल करके लोगों की जान बचाई जा सके। कोर्ट ने हिदायत दी कि जब्त किए गए सिलेंडरों को छोड़ने से पहले तमाम कानूनी कार्रवाईयों को पूरा कर लिया जाए।


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