राष्ट्रनायक न्यूज

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भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति ने 26 मई को काला दिवस मनाने की अपील की

  • राष्ट्रीय महासचिव सह राष्ट्रीय प्रवक्ता व झारखंड प्रदेश प्रभारी शैलेश कुमार गिरि ने संयुक्त बयान जारी कर दूरभाष पर दी जानकारी

राष्ट्रनायक न्यूज
छपरा (सारण)। भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति के राष्ट्रीय अध्यक्ष मास्टर श्यौराज सिंह भाटी के निर्देश में राष्ट्रीय महासचिव सह राष्ट्रीय प्रवक्ता व झारखंड प्रदेश प्रभारी शैलेश कुमार गिरि ने संयुक्त बयान जारी कर दूरभाष पर जानकारी देते हुए कहा सम्पूर्ण देशवासियों व झारखंड के किसानों और समर्थित संगठनों से 26 मई काला दिवस मनाने के लिए अपील करते हुए कहा कि आप सभी अपने अपने घरों, सभी प्रकार की गाड़ीयों, चौंक चौराहों पर काले झण्डे लगा देशविरोधी सरकार का पुतला काले कपड़े बना अपने अपने हाथों और सिर में काली पट्टी बांध कर पुतला दहन करें।

काला दिवस मनाने के पक्ष में दिए तर्क:

ज्ञातव्य है कि 26 नवंबर 2020 से दिल्ली के तमाम बार्डरों और देश के अन्य हिस्सों में चल रहे किसान आंदोलन जो तीन कृषि काले कानून को रद्द कराने, बिजली संशोधन बिल को वापस लेने व सभी कृषि उत्पादों पर एमएसपी गारंटी कानून को कानूनी मान्यता देने की मांगों को लेकर जो बिल्कुल ही अहिंसात्मक तरीके चल रहे हैं। उसे 26 मई को 6 माह पूरे हो जाएंगे और मोदी सरकार को भी 7 साल पूरे होने जा रहे है। भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति व संयुक्त किसान मोर्चा ने कोरोना महामारी से बचाव हेतु डाक्टर, दवाई, वेंटिलेटर, आक्सीजन व अस्पताल की व्यवस्था न होने और साथ ही साथ नमस्ते ट्रंप, बिहार- बंगाल चुनाव में धुंआधार चुनावी प्रचार के साथ उत्तर प्रदेश में पंचायती चुनावों में भीड़ जुटाने और स्वयं लागु किये गये कोरोना गाईड लाईन की धज्जियां उड़ाते नज़र आई और कोरोनावायरस संक्रमण को तीव्रतम गति से फैलाने का खलनायक बने रहने का जो असंवैधानिक कुकृत्य को अंजाम दिया। जिसके कारण लाखों देशवासियों की मौत हुई, महामारी से पूर्व रोजगार में लगे करोड़ों लोग बेरोजगारी के शिकार हो गए और किसान आंदोलन के दौरान 550 किसान भाइयों की शहादत के लिए शत् प्रतिशत असफल मोदी सरकार के काले कारनामों को जिम्मेदार ठहराते हुए 26 मई को *काला-दिवस* मनाने के लिए सम्पूर्ण देशवासियों के साथ साथ किसानों के इस *काला-दिवस* में सभी ड्रेड यूनियन, महिला, युवा, पत्रकार , मानवाधिकार संगठन और अधिवक्ता संगठन भी बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें अपील की जाती है।

आप सभी से अपील करते हुए ये अवगत कराना है कि 26 मई 2021 को किसान आंदोलन के 6 माह पूरे हो जाएंगे परंतु अंधी, बहरी, गूंगी सरकार की आंख, मुंह , कान सब बंद है इस लिए सम्पूर्ण देश का किसान काला-दिवस मना रहा है। जबकि किसान का तो हर दिन ”काला” समान ही है- जब फ़सल नहीं बिकती तब, फ़सल का उचित मूल्य नहीं मिलता तब, किसान अपनी बेटी का कन्यादान नहीं कर पाता तब, बच्चों को पढ़ा नहीं पाता तब, सही ढंग से इलाज नहीं करवा पाता तब, बरसात में हर रोज छत टपकती तब, फ़सल पर प्राकृतिक प्रकोप सूखा, अतिवृष्टि, ओलावृष्टि , दहाड़ – सूखाड़ की मार झेलता तब यानि किसानों का हर एक सवेरा काला दिवस के रुप में ही शुरुआत होती है और इसी 70% किसानों ने अपना बहुमूल्य मत दे वर्तमान सरकार को सत्ता पर बिठाया की देश की आत्मा कृषि और कृषकों के भी अच्छे दिन आएगें लेकिन ये अपने *मन की बात* के सिवाय देश के *लोगों की मन की बात* कभी सुनी ही नहीं ।

किसानों को अभी तक मुकदमे, लाठी, आंसू गैस के गोले,पानीयों की बौछार और गोली के सिवाय कुछ नहीं मिला अब तक कब आयेंगे किसानों के अच्छे दिन! कब होगा किसान कर्ज मुक्त,कब होगा देश में किसान आयोग का गठन ,कब मिलेगा 50 वर्ष से उपर के किसान को 6 हजार रुपए मासिक पेंशन, कब मिलेगा फसलों का उचित मूल्य,कब होगा डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस, बिजली का बिल खाद, बीज, दवाई सस्ती ?

बहुतेरे सवाल है वर्तमान मोदी सरकार से न शिक्षा न स्वास्थ्य न रोजगार और साथ ही देश को आजादी के बाद पहली बार रिजर्व बैंक से भी बेतहाशा अधिक से अधिक क़र्ज़ ले , कोरोना के नाम पर विदेशी कर्जों में डुबोया ,पीएमकेयर फंड और ये तमाम पैसों की सिर्फ और सिर्फ कागजी खानापूर्ति की जा रही है । ये धरातल पर कही नहीं दीख रहें क्योंकि नगरों व महानगरों के अस्पतालों में तमाम स्वास्थ्य सुविधाओं की पूर्ति तो हो ही नहीं रही है और ये गांव-गांव दवा व स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करा रहे हैं जबकि सच्चाई ये है कि बड़े बड़े अस्पतालों में डॉक्टर व पारा मेडिकल स्टाफ की बेहद कमी है और गांवों-देहातों में तो ये स्वास्थ्य केंद्र खुलते ही नहीं है तमाम कमियां हैं जिसे आप सभी भी जानते हैं तो आखिर ये सारे पैसे कहां गए ?  सिर्फ और सिर्फ फाईव स्टार पार्टी आफिस और चुनाव प्रचार तंत्र के भेंट चढ़ गए क्या ? बेशर्मों की जमात लोग मर रहे हैं और ये चुनाव पर मंथन कर रहे हैं।

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