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प्रवासी मजदूरों को सुरक्षा प्रदान करे सरकार – श्रवण

प्रवासी मजदूरों को सुरक्षा प्रदान करे सरकार – श्रवण

संजय कुमार सिंह की रिपोट

बनियापुर (सारण)- विकासशील इंसान पार्टी के अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव श्रवण कुमार महतो ने सरकार द्वारा प्रवासी मजदूरों के प्रति रवैया पर सवाल उठाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के औरैया में दिल्ली-कानपुर हाईवे पर सड़क हादसे में 24 मजदूरों की मौत की घटना अत्यंत हृदयविदारक है.कोविड19 के कारण लगाए गए लॉकडाउन की भीषण मार झेल रहे प्रवासी मजदूरों के साथ पिछले कुछ दिनों में कई हादसे हुए हैं. पिछले दिनों पैदल घर जा रहे मजदूरों के साथ यूपी और बिहार में हुए अलग-अलग हादसों में आठ मजदूरों की जान चली गई थी. साथ ही औरंगाबाद में हुए रेल हादसे में भी दर्जनों मजदूरों की जान चली गई.इन्हीं दिनों पंजाब से लौट रहे मजदूरों को एक रोडवेज बस द्वारा कुचल दिए जाने से छह मजदूरों की मौत हो गई थी. साथ ही बिहार के समस्तीपुर जिले के उजियारपुर के समीप एनएच 28 पर प्रवासी मजदूरों को लेकर जा रही बस व ट्रक की टक्कर में दो की मौत हो गई थी.इसके अलावा सरकार द्वारा सुविधा ना देने से हजारों किलोमीटर का सफर पैदल पूरा कर रहे दर्जनों मजदूर रास्ते मे ही दम तोड़ रहे हैं. लॉकडाउन के दौरान हो रही दर्जनों मजदूरों की मौत का जिम्मेदार कौन है? सरकार कितने मजदूरों की मौत के बाद जागेगी? लॉकडाउन के दौरान लाखों-लाख प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा की गारंटी सरकार क्यों नहीं कर रही है?प्रदेश सचिव ने कहा कि मजदूर ही देश-समाज और अर्थव्यवस्था के निर्माता हैं. मगर लॉकडाउन के दौरान सरकारों ने लाखों-लाख मजदूरों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से हाथ खींच लिया है. इनके सुरक्षित घर वापसी के सवाल पर सरकारें सिर्फ खानापूर्ति करती दिख रही है. इनकी जान की सुरक्षा की गारंटी नहीं की जा रही है. लॉकडाउन के दौरान इन मजदूरों के प्रति सरकारों की असंवेदनशीलता तथा गैर-जिम्मेदाराना रवैया पूरी तरह से उजागर हो रहा है. मजदूरों के साथ हो रहे इन हादसों की उच्च-स्तरीय जांच करवाई जाए तथा इन मजदूरों की मौत के जिम्मेदार लोगों तथा संस्थाओं की पहचान की जाए. जल्द-से-जल्द देश के तमाम प्रवासी मजदूरों की पूर्ण सुरक्षा की गारंटी की मांग सरकार से की गई.
इस अवसर पर जिला अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष धर्मेन्द्र बैठा, मोहम्मद चांद नवलकिशोर सिंह सहित दर्जनों पार्टी कार्यकर्ता मौजूद थे।

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