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कैरोना लाॅक डाऊन मानविकी व अर्थ संकट का भी संक्रमण काल

कैरोना लाॅक डाऊन मानविकी व अर्थ संकट का भी संक्रमण काल

  • गणितीय जीव विज्ञान पारिस्थितिकी केंद्र का अनुमान, अक्तूबर तक संक्रमण कमीं


लेखक: राणा परमार अखिलेश। दिघवारा

छपरा(सारण)। कैरोना जैसे कहर का जैविक जहर अब भूमंडलीकृत हो चुका है। पूरे विश्व में इस जैविक जहर ने करीब एक करोड़ लोगों की जान ले ली है। एक तरफ कुआँ तो दूसरी ओर खाई, व्यवसायिक प्रतिष्ठान, बाजार, औद्योगिक इकाई आदि लाॅक डाऊन में हैं । ग्रामीण व नगरीय अर्थ व्यवस्था लीक से हटकर चुकी है। बहरहाल, मानविकी व अर्थ संकट का भी संक्रमण काल है, कैरोना संकट।
कहना न होगा कि 1820 में प्लेग जहाजों द्वारा वैश्विक महामारी बन कर आया तो 2020 में चीन के वुहान होते इटली, फ्रांस, जर्मनी, अमरीका, रूस एशियाई देशों में हवा बनकर फैला। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा चीनी प्रयोगशाला में जांच के बाद ही स्पष्ट होगा कि कैरोना जैसे जैविक शस्त्र से चीन की विस्तारवादी साम्राज्यवादी क्राउन की शक्ल वाला वायरस विस्तार में मंशा क्या रही है। बहरहाल, ऐसी विषम परिस्थितियों में चीन की रक्षा बजट में वृद्धि और भारत को घेरने की नीति के साथ अमरीका, रूस सहित 140 देशों का भारतीय पक्ष में समर्थन का परिणाम तृतीय विश्व युद्ध होगा या चीन के कुटनयिक प्रयास से शांति ? इजरायल व ईरान के वाक् युद्ध, पीओके व एलओसी पर आमने-सामने भारत- पाक, लद्दाख में चीन व भारतीय सैन्य जमवड़ा का परिणाम क्या होगा? यह समय के हाथों में है ।
फिलवक्त, दवा व वैक्सीन का अन्वेषण अभी परिक्षण काल में है । भारतीय आयुर्वेदिक औषधियां, भारतीय जीवन शैली, खानपान आदि भूमंडलीकृत हो चुके हैं। पूरा विश्व अब सनातन संस्कृति सत्य को स्वीकारने लगा है। किंतु, मानविकी व अर्थ संकट का संक्रमण विस्तार पर प्रतिबंध लाॅक डाऊन के चक्रीय सक्रियता से ही संभव है। इस संबंध में कुछ शोध-प्रज्ञों का सुझाव हमारे सामने है।
यादवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता, पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ प्रोफेसर डाक्टर नंदा दुलाल बैरागी व अन्य शोधार्थियों ने गणितीय जीव विज्ञान पारिस्थितिकी केद्र के शोध का निष्कर्ष है कि जून में संक्रमण का आक्रमण बढ़ सकता है, किंतु जुलाई के दूसरे सप्ताह तक कमीं आते आते अक्टूबर तक कमीं संभव है, समापन नहीं। बहरहाल, लाॅक डाऊन को लाॅक फ्री करना मानव हित में नहीं है। 2022 तक रूक रूक कर लाॅक डाऊन आवश्यक है। यूरोपीय जर्नल ईपोयोडेमोलाॅजी में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, लंदन के शोध-प्रज्ञ डाक्टर राजीव चौधरी ने लिखा है कि 80 दिनों का मॉड्यूल मृत्यु दर में कमीं ला सकता है। 30 दिन लाॅक फ्री में अर्थव्यवस्था व्यवस्थित होगी और 50 दिनों के लाॅक डाऊन में मानवता सुरक्षित व संरक्षित रहेगी। यह चक्र 18 माह तक चलना आवश्यक है। चाहे लाॅक डाऊन फ्री हो या लाॅक डाऊन हो फिज़िकल व सोशल डिस्टेंश मेनटेनेश व ननवेज बहिष्कार आवश्यक होना चाहिए।
बहरहाल, अभी विभिन्न विश्वविद्यालयों व शोध संस्थानों द्वारा शोध जारी है। अमरीका का दावा है कि वह भारतीय औषधि का परीक्षण कर लिया गया और भारतीय कंपनियों को निर्माण की जिम्मेदारी दी गई है। जापान ने भी वैक्सीन खोज निकालने का दावा किया है । यदि दो चार दिन या एक सप्ताह में ये औषधियां व वैक्सीन अपना असर दिखलाने में सफल रहीं तो कैरोना पर शीघ्र ही विजय संभव होगा। हाँ भारत के लिए गर्व का विषय है कि डब्ल्यूएचओ के निदेशक पद पल भारतीय स्वास्थ्य मंत्री डाक्टर हर्षवर्धन आसीन हैं और संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता प्राप्ति में अब शायद ही चाइनीज आड़ंगा पेश हो, क्योंकि वह अपने ही बुने जाल में फँस चुका है। ताइवान की संप्रभुता को मान्यता सहित हांगकांग की स्वतंत्रता या स्वायत्तता ? जैसे मर्ज की दवा उसे कुटनयिक प्रयास से खोजना होगा। पाकिस्तान, नेपाल व बांग्लादेश के कँधे अभी इतने मजबूत नहीं हैं कि चाइनीज हथियारों से अपने मंसूबों में कामयाब होंगे ।