राष्ट्रनायक न्यूज

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रामनाथ पांडेय को सरकारी सम्मान व उनके नाम पर पुरस्कार शुरू करने की मांग के साथ जयन्ती समारोह का समापन

  • रामनाथ पांडेय ने लिखा था भोजपुरी का प्रथम उपन्यास बिंदिया 

राष्ट्रनायक न्यूज।

एकमा (सारण) एकमा प्रखंड के नवतन गांव निवासी व भोजपुरी के प्रथम उपन्यासकार रामनाथ पांडेय की सात दिवसीय वेब वर्चुअल जयन्ती समारोह का समापन हुआ। जयन्ती के दौरान रामनाथ पांडेय की ऐतिहासिक रचना व भोजपुरी के प्रथम उपन्यास बिंदिया का नये संस्करण का विमोचन किया गया। लोकार्पण के वेब वर्चुअल समारोह में देश के कोने-कोने से नामचीन साहित्यकार क्रमशः डॉ. ब्रजभूषण मिश्र, भगवती प्रसाद द्विवेदी, डॉ. जौहर शाफियावादी, डॉ. संध्या सिन्हा, डॉ. सुनील पाठक, डॉ. मुन्ना कुमार पांडेय, जेपी द्विवेदी, विमलेन्दु भूषण पांडेय, विश्वजीत शेखर राय, सुभाष पाण्डेय, ज्वाला सिंह, सत्यप्रकाश यादव, शैलेन्द्र सरगम, डॉ. सुभाष चन्द रसिया सहित भारी संख्या में भोजपुरी प्रेमी जुड़े। वेब जयंती समारोह से जुड़े भोजपुरी प्रेमी, बुद्धिजीवियों व साहित्यकारों द्वारा एक स्वर से पं. रामनाथ पांडेय को सरकार द्वारा सम्मानित करने व उनके नाम पर पुरस्कार की घोषणा करने की मांग सरकार से की गई। भोजपुरी साहित्यकारों ने सवालिया लहजे में कहा कि आखिर आज तक किसी सरकारी सम्मान से वंचित क्यों रहे भोजपुरी के पहले उपन्यासकार पंडित रामनाथ पांडेय।

युवा साहित्यकार व गीतकार शैलेन्द्र सरगम ने कहा कि कम संसाधनों के बीच स्व. रामनाथ पाण्डेय ने 1955 में भोजपुरी साहित्य का पहला उपन्यास बिंदिया लिख दिया और 1956 में प्रकाशित करवा दिया। उसके बाद 1982 में जिनगी के राह 1996 में महेंदर मिसिर,1997 में इमरतिया काकी 1998 में आधे-आध सहित तीन कहानी संग्रह इन्होंने दिया। पांच पत्रिकाओं में संपादन किए और भोजपुरी भवन छपरा का स्थापना किए। कहा गया कि अपनी रचनाओं में इन्होंने उस समय के समस्याओं को दर्शाया है। कहा जाता है कि “जहाँ न जाए रवि वहां जाए कवि” इस चीज को इन्होंने अपनी रचना के चरितार्थ कर बताया है। एक तरफ जहां परिवार चलाने और बच्चों को पढ़ाने लिखाने की जिम्मेदारी रही। वहीं साहित्य को भी आगे बढ़ाने की, ये वो दौर था जब तनख्वाह भी बहुत कम मिलते थे। समाज आपके इस योगदान को कभी भूला नहीं सकेगा।

 

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