राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। एकमा प्रखंड की चनचौरा पंचायत के बनपुरा गांव निवासी प्रो. सत्यदेव राय 75 वर्ष की उम्र में योग, अध्यात्म के साथ भोजपुरी भाषा के विकास का अलख जगा रहे हैं। सुबह होते ही योग और शाम होते ही उपनिषदों, गीता आदि ग्रन्थों की व्याख्या व प्रवचन कर सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को आत्म पल्लिवत करते हैं।
1948 में एक बड़े किसान परिवार में जन्मे प्रो. राय को जमींदारी उन्मूलन के बाद बदले हुए सामाजिक परिवेश में बचपन में तालमेल बैठाना आसान नहीं था। इसलिए अपने को अध्ययन में अग्रणी रखते हुए कृषि कार्यों में हाथ बंटाना चुनौतीपूर्ण कार्य था। लेकिन जुझारू सोच के साथ सभी परिस्थितियों का सामना करते हुए कदम कभी रूके नहीं। तत्कालीन बिहार विश्वविद्यालय के राजेन्द्र कॉलेज, छपरा से भौतिकी विषय से स्नातक करने के बाद गांव के पास एक हाई स्कूल में कुछ महीने अध्यापन का कार्य किया। फिर 1969 में देश की राजधानी दिल्ली पहुंच गए। इस दौरान विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से भारत सरकार में कैरियर तलाशने लगे। भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय में चार दशक तक अनेक महत्वपूर्ण उच्च पदों पर दायित्व निर्वहन किया।
2008 में संयुक्त निदेशक के पद से सेवानिवृत्ति के बाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अपना बसेरा बना कर रहने लगे। तब से कई सामाजिक संस्थाओं में काम किया और हिन्दी साहित्य की सेवा में लग गये। सेवानिवृत्ति के करीब 12 वर्षों बाद अपने मित्रों की सलाह पर अगस्त 2020 से ग्लोबल भोजपुरी लिटरेचर फाउण्डेशन के माध्यम से मातृ भाषा भोजपुरी का ऋण उतारने में लगे हैं। जीवन के तमाम उतार-चढ़ाव के बीच प्रो. राय ने संगीत के प्रति अपनी रूचि के साथ समझौता नहीं किया। आज भी प्रतिदिन वेदांत स्वाध्याय और योग प्रशिक्षण के द्वारा खुद को व्यस्त रखते हैं।
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