सीवान डीडीसी का संगीत शिक्षक-शिक्षिकाओं को विभिन्न क्वारंटीन सेंटरों पर जा जाकर मजदूरों के सामने गीत गाकर मनोरंजन करने का आदेश, छपरा के शिक्षक संघ में आक्रोश
छपरा(सारण)। बिहार राजकीयकृत शिक्षक संघ के सारण इकाई के जिलाध्यक्ष डॉ. राजेश यादव ने कहा कि पूर्व से ही शिक्षक सरकारी फरमान को पालन करते हुए कोरोना वायरस यानी कोविड-19 के दंश झेल रहे प्रवाशियों के बीच स्कुल से लेकर स्टेशन तक बिना किसी सुरक्षा सहायता के अपनी जान कि परवाह न करते हुए 12 घंटे की लागातार सेवा में लगे है। बिना किट, ना ही कोई सांत्वना बीमा, सिर्फ कर्तव्य की जवाबदेही को राष्ट्रभत्ति की माला पहना दिया गया है। श्रम के नाम पर सिर्फ 350 रू का मेहनताना खर्च घोषित कर दिया गया।
लेकिन हद तो तब हो गयी जब सीवान डीडीसी के आदेशानुसार दरौली सीवान में संगीत शिक्षक/शिक्षिकाओं को विभिन्न क्वारंटीन सेंटरों पर जा जाकर मजदूरों के सामने गीत गाकर उनका मनोरंजन करने का आदेश दिया है। जिस पर बिहार राजकीयकृत शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष सह सदस्य जिला संघर्ष समन्वय समिति अध्यक्षमंडल डॉ राजेश यादव ने आक्रोश व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है कि सीवान डीडीसी ने शिक्षकों को नचनीयां बजनीयां बनाने का फरमान जारी ही कर दिया और यह साबित कर दिया कि बिहार में शिक्षक दुनिया का सबसे सस्ता और बीकाऊं मजदूर है, जिसे जब चाहे जहां चाहें किसी भी रूप में उपयोग कर लें। कहा कि WHO ने कहा है कि लाॅकडाउन के बाद सेक्स उधोग /वर्कर पर प्रतिबंध लगाकर कोरोना के संकट को 65 से लेकर 70% तक कम किया जा सकता है तो लगे हाथ बेशर्मी की आखिरी फरमान के पायदान पर कदम रखते हुए। अब एक ही काम बच गया है कि पुरूष शिक्षकों को कोठा पर ड्यूटी लगवा दिजिए, नहीं तो मरते वक्त यह अफसोस रह जाएगा कि मैने अपने आखरी फरमान को पूरा नहीं करवा पाया और अफसोस रह जाएगा की एक वही जगह रह गयी जहाॅ शिक्षको की औकात नहीं नापी गयी।


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