- विभाग ने 1 साल पहले ही जबरदस्ती पद से हटाया
- लकवा ग्रस्त पत्नी की इलाज व दवा के अभाव में मौत
- न्याय के लिए दर-दर भटक रहा बुजुर्ग
- 2008 में सड़क हादसे में एक पैर गवा चुके है बुजुर्ग
राष्ट्रनायक न्यूज।
भेल्दी (सारण)। हेड पोस्ट ऑफिस छपरा में माली के पद पर 40 साल 8 महीने तक 8 घंटे प्रतिदिन ड्यूटी करने के बाद भी नियमित नौकरी एवं सभी सरकारी सुविधाओं के लिए एक बुजुर्ग कोर्ट से लेकर जनप्रतिनिधि विभाग एवं अन्य जगहों पट न्याय के लिए पिछले 25 वर्षों से भटक रहे हैं। इसी क्रम में लकवा ग्रस्त उनकी पत्नी कलावती देवी की 21 मई 2020 को दवा और ईलाज के अभाव में मौत हो गई परंतु फिर भी न्याय नहीं मिला। परसा प्रखंड के पचरुखी गांव निवासी 70 वर्षीय चंदेश्वर पंडित की बहाली प्रधान डाकघर छपरा में 14 फरवरी 1985 को माली के पद पर हुई, परंतु विभाग विभाग के पदाधिकारियों की लापरवाही के कारण नियमित नौकरी नहीं हो पाई। जिस कारण सरकारी सुविधाओं,वेतन से वंचित रह गए। इतना ही नहीं उनकी रिटायरमेंट 20 फरवरी 2011 को होनी थी परंतु विभाग के अधिकारियों ने जबरदस्ती 3 दिसंबर 2010 को हटा दिया 70 रुपये से मासिक वेतन से कार्य करने वाले 3900 रुपये तक वेतन भुगतान की गई थी। इन्होंने 1995 में सेंट्रल ऐडमिस्टेटिव ट्रिब्यूनल पटना में केस किया। जिसमें 4 सितंबर 1997 को आदेश आया की नियमित नौकरी करते हुए कार्य के दौरान मिलने वाली वेतन व अन्य सुविधाओं को दी जाए। इसके खिलाफ विभाग द्वारा कोर्ट में याचिका सी डब्ल्यू जेसी नं 402/1998 की गई परंतु विभाग की याचिका खारिज हो गई।जिसके बाद ग्रुप डी में नियमित नौकरी कार्य अवधि के वेतन देने के आदेश दी गई,परन्तु आज तक विभाग ने पहल नही किया।
यहां यहां दे चुके हैं आवेदन
न्याय के लिए कोर्ट के अलावे डायरेक्टर जेनरल डाक विभाग नई दिल्ली, चीफ पोस्टेड मास्टर बिहार सरकार पटना, पोस्टल सर्विसेज रिवीजन पटना, सीनियर सुपरिटेंडेंट छपरा, प्रधानमंत्री कार्यालय नई दिल्ली, सांसद राजीव प्रताप रुढी,महामहिम राष्ट्रपति, संचार मंत्री, वित्त मंत्री विजलेंस ऑफिसर ,पटना में अलग अगल आवेदन नौकरी से हटने के बाद पिछले 10 वर्षों में दे चुके हैं ,परन्तु अब तक कोई करवाई नही हुई।
पक्षपात कर रही विभाग
ठीक है ऐसा ही मामला हेड पोस्ट ऑफिस मढ़ौरा के ग्रुप डी के रात्रि प्रहरी हीरालाल प्रसाद के साथ हुई थी। उन पर भी विभाग द्वारा परमानेंट नहीं किया गया था जिसको लेकर उन्होंने कोर्ट ओ ए नं- 606 /1995 किया था आज नियमित नौकरी के साथ वेतन भी मिल रही है। वही उसी कोर्ट के उसी वक्त आदेश पीड़ित चंदेश्वर पंडित को भी मिली परंतु विभाग ने उस पर करवाई नहीं किया।
न विभाग ने न्याय किया न किस्मत ने
70 वर्षीय चन्देश्वर पंडित के साथ 41 वर्ष काम कराने के बाद भी डाक विभाग ने न्याय नही किया।एक दिव्यांग अवस्था मे वेतन के लिए डर डर भटक रहे हैं।किस्तम ने भी साथ नही दिया।2008 में सड़क हादसे में एक पैर गांव चुके चन्देश्वर पण्डित को विभाग ने जबरन 2010 में नौकरी से हटा दिया।जबकि 2020 में ईलाज व दवा के अभाव में पत्नी घुट घुट कर मर गई।
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