राष्ट्रनायक न्यूज

Rashtranayaknews.com is a Hindi news website. Which publishes news related to different categories of sections of society such as local news, politics, health, sports, crime, national, entertainment, technology. The news published in Rashtranayak News.com is the personal opinion of the content writer. The author has full responsibility for disputes related to the facts given in the published news or material. The editor, publisher, manager, board of directors and editors will not be responsible for this. Settlement of any dispute

शूटर दादी के सहारे भाजपा जाटों को साधने की कर रही कोशिश, चंद्रो तोमर के नाम पर होगा नोएडा शूटिंग रेंज

नई दिल्ली, (एजेंसी)। योगी सरकार ने बड़ा फैसला करते हुए नोएडा शूटिंग रेंज का नाम बदलकर अब चंद्रो तोमर के नाम पर रखे जाने का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से इस संबंध में निर्देश दे दिए गए है। नोएडा स्थित स्थित शूटिंग रेंज अब चंद्रो तोमर के नाम से जाना जाएगा। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर ऐसा सरकार ने क्यों किया? इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि सरकार अब जाटों को लुभाने की कोशिश में है। बागपत की शूटर दादी चंद्रो के जरिए भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटों को लुभाने की कोशिश कर रही है। इससे भाजपा का बड़ा सियासी दांव माना जा रहा है। आपको बता दें कि चंद्रो तोमर को शूटर दादी के नाम से भी जाना जाता था। इस साल 89 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। शूटर दादी 60 साल की उम्र में प्रोफेशनल शूटिंग की शुरूआत की थी।

दरअसल, चंद्रो तोमर पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आती थीं। वर्तमान में देखे तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के प्रति नाराजगी है। इसका सबसे बड़ा कारण किसान आंदोलन है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पश्चिम उत्तर प्रदेश में अच्छी खासी नाराजगी है। नाराजगी सबसे ज्यादा जाट समुदायों में है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ऐसे कई गांव और घर है जहां भाजपा नेताओं का खुलेआम विरोध किया जा रहा है। पंचायत चुनाव में भी हमने देखा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा को समर्थन नहीं मिल सका। ऐसे में पार्टी की बेचैनी बढ़नी लाजमी है।

सीएम योगी का यह फैसला पश्चिम उत्तर प्रदेश के लिहाज से काफी मायने रखता है। यह ऐलान एक खास जाति को लुभाने के लिए है। इतना ही नहीं, क्षेत्रीय अध्यक्षों की घोषणा में भी जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश की गई। 2013 के मुजफ्फरनगर हिंसा के बाद जाटों का साथ भाजपा को हासिल हुआ। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के साथ-साथ 2017 के विधानसभा चुनाव में भी जाटों का वोट भाजपा को गया। किसान आंदोलन में जाटों की नाराजगी देखने को मिली थी। इसका सीधा असर अब चुनाव पर हो सकता है।