संजय कुमार सिंह। राष्ट्रनायक न्यूज।
बनियापुर (सारण)। मॉनसून के सक्रिय होने के साथ ही बिगत एक पखवाड़े से हो रही झमाझम वारिस को लेकर किसानो के चेहरे ख़ुशी से खिल उठे है।हाथ में कुदाल और माथे पर उर्वरक लेकर अपने परिजनों के सहयोग से किसान खेत में धान का बिचड़ा डालने में इन दिनों व्यस्त दिख रहे है। मौसम के मेहरबान होने से खरीफ़ फसलों की बुआई को लेकर किसान कमर कस चुके है। अपनी उम्र के 80 वसंत देख चुके अनुभवी किसान कन्हौली निवासी मदन सिंह जो अब भी खेती किसानी में सक्रीय है, उनका कहना है की धान की रोपनी का उपयुक्त समय चल रहा है। मगर अत्यधिक बारिस की वजह से अबतक बिचड़ा नहीं डाला जा सका है। वही कुछ किसानों का बिचड़ा जलजमाव की वजह से बर्बाद भी गया गया है। अब जब बारिस की रफ्तार कुछ कम हुई है, तो किसानों द्वारा बिचड़ा डालने का कार्य शुरू कर दिया गया है। कई अनुभवी किसानों ने बताया कि आषाढ़ महीने की शुरुआत हो गई है। इस महीने के आखिर तक रोपनी का कार्य संपन्न होने पर उपज अच्छी होती है।वही अगली फसल के लिये खेत समय से खाली हो जाता है।
देर से बिचड़ा डालने की वजह से किसानो को नहीं मिला बारिस का लाभ
देर से बिचड़ा डालने वाले किसानो को इस बारिस का लाभ नहीं मिल सका।बिचड़ा तैयार नहीं होने से वैसे किसान रोपनी का कार्य प्रांरभ नहीं कर सके।हालाँकि अनुभवी किसानो का कहना है की वारिश इसी तरह से होती रही तो बिचरो में तेजी से बृद्धि होगी।जिससे एक पखवारे में बिचड़ा तैयार होने के साथ ही सभी किसान रोपनी का कार्य शुरू कर सकेंगे।
मक्के और अरहर की फसल हुई प्रभावित
लगातार बारिस की वजह से खेतों में जलजमाव को लेकर मक्के और अरहर की बुआई बुरी तरह से प्रभावित हुई है।माना जा रहा कि अगर इसी तरह से बारिस होती रही तो इन फसलों की बुआई करनी मुश्किल हो जाएगी।मालूम हो कि प्रखण्ड में व्यापक स्तर पर मक्के और अरहर की खेती की जाती है।मगर जून महीने में औसत से काफी अधिक बारिस होने की वजह से इन दोनों फसलों की बुआई अबतक प्रारंभ नही हो सकी है।
गर्मी और उमस से मिली राहत
मॉनसून के सक्रिय होने से लोगों को गर्मी और धूप से काफी हद तक राहत मिली है।बिगत एक पखवाड़े से रुक-रुक कर हो रही बारिस से मौसम सुहाना हो गया है।हालांकि लगातार बारिस की वजह से जगह-जगह पर कीचड़ और जलजमाव की वजह से लोगों को आने-जाने में परेशानी भी झेलनी पड़ रही है।कई बाजारों की स्थिति नारकीय हो गई है।
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