राष्ट्रनायक न्यूज। संकट के समय सबसे बड़ी परीक्षा देश का नेतृत्व करने वाले व्यक्ति की ही होती है। कोरोना संकट के समय दुनिया ने देखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किस तरह न केवल गरीब-गुरबों के लिए दो वक्त की रोटी की चिंता की, बल्कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के जरिये उनके सशक्तीकरण का भी बीड़ा उठाया। देश के 80 करोड़ लोगों को 18 महीने तक भोजन के लिए मुफ्त अनाज उपलब्ध कराना अपने-आप में एक बहुत बड़ी बात है। ऐसी कल्पना आज से पहले किसी ने भी नहीं की थी कि भारत जैसे विशाल देश में एक साथ 80 करोड़ लोगों को लगातार दो वर्ष में नौ-नौ महीने तक मुफ्त राशन भी उपलब्ध कराया जा सकता है।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना दुनिया के इतिहास में मानव सेवा की सबसे बड़ी लकीर बन कर उभरी है। इसने पूरी दुनिया को हैरान किया है। महामारी की वजह से उत्पन्न आर्थिक दिक्कतों के कारण गरीबों को होने वाली कठिनाइयों का निवारण करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल 26 मार्च को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का एलान किया था। इसके तहत देश के 80 करोड़ से ज्यादा गरीबों को अप्रैल से लेकर नवंबर 2020 तक, नौ महीने के लिए राशन कार्ड में दर्ज सदस्यों के आधार पर प्रति व्यक्ति पांच किलो गेहूं या चावल और प्रति परिवार एक किलो दाल मुफ्त दिया गया था। इस पर लगभग डेढ़ लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च आया था। इस वर्ष भी जब कोरोना की दूसरी लहर आई, तो प्रधानमंत्री ने फिर से इस योजना की घोषणा की। इस वर्ष अब तक राज्यों को केंद्र सरकार द्वारा 70 लाख टन से भी अधिक अनाज का वितरण किया जा चुका है।
यही नहीं, मोदी सरकार ने देश में ‘वन नेशन, वन राशन कार्ड’ की व्यवस्था भी लागू की। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि देश के किसी भी हिस्से में रह रहे मजदूर या गरीब व्यक्ति अपने हिस्से का राशन ले सकते हैं। अब तक अधिकांश राज्यों ने इसे लागू कर दिया है। इसका सबसे अधिक फायदा उन गरीबों और प्रवासी मजदूरों को हो रहा है, जो रोजगार के लिए अपने घरों से दूर रहते हैं। इससे फर्जी राशन कार्ड पर रोक लगाने में भी मदद मिली है और सही लाभार्थियों तक राशन पहुंच पा रहा है।
इसके अलावा, मोदी सरकार ने भारत माता के सच्चे सपूत किसानों की आत्मनिर्भरता और उनके सशक्तीकरण के लिए भी कदम उठाया। सरकार ने 2014 में सत्ता संभालते ही यह एलान कर दिया था कि उनकी सरकार किसानों की आय दोगुना करने के लिए काम करेगी। चाहे स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को लागू करना हो, किसानों को दलालों के चंगुल से आजाद कराना हो या फिर किसी भी मंडी में उन्हें अपनी फसल बेचने का अधिकार देना हो, मोदी सरकार ने हर निर्णय किसानों के हक में किए हैं। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत अब तक देश के 10 करोड़ से अधिक किसानों के खाते में 1.36 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि पहुंचाई जा चुकी है। इतना ही नहीं, डीएपी खाद पर प्रति बोरी खाद की सब्सिडी भी 140 फीसदी बढ़ा कर 1,200 रुपये कर दी गई है, जिससे किसानों को काफी लाभ हुआ है। किसानों के लिए 3,000 रुपये मासिक पेंशन की व्यवस्था भी की गई है।
इस बार बढ़ी हुई एमएसपी पर गेहूं और धान, दोनों की रिकॉर्ड खरीद हुई है, जो अब तक का उच्चतम स्तर है। इससे करोड़ों किसानों को लाभ हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न केवल कोरोना को मात देने के लिए सुदृढ़ कदम उठाए, बल्कि देश का मनोबल भी गिरने न दिया। जब लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हुए, तो मनरेगा का दायरा बढ़ाते हुए उसके बजट में भारी वृद्धि की गई, ताकि गरीबों, मजदूरों को आमदनी होती रहे। प्रवासी मजदूरों का पलायन बढ़ा, तो उन्हें अपने ही जिले में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए गरीब कल्याण रोजगार योजना की नींव डाली गई। कोविड संक्रमण से बचने के लिए जब लोग अपने घरों में कैद हुए, तो गरीब कल्याण अन्न योजना लागू की गई। सरकार ने अपने फैसले से सिद्ध कर दिया कि भारत अब चुनौतियों को टालने में नहीं, बल्कि आगे बढ़ कर उसका सामना करने और उसे परास्त करने में यकीन रखता है।


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