नई दिल्ली, (एजेंसी)। भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर को फिर से लागू करने के ऐलान के बाद दोनों देशों के बीच बातचीत के लिए जगी उम्मीदों के बाद पाकिस्तान ने एक बार फिर से अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया है। भारत के साथ पर्दे के पीछे चल रही डिप्लोमैटिक बातचीत से पाकिस्तान ने किनारा कर लिया है। इसके पीछे की वजह ये मानी जा रही है कि अफगानिस्तान में जंग जैसे हालात की वजह से पाकिस्तान टेंशन में आ गया है। पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) और इमरान खान के बेहद करीबी माने जाने वाले डॉ. मोईद युसूफ ने कहा है कि अब भारत के साथ पर्दे के पीछे से कोई बातचीत नहीं होगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत और पाकिस्तान के आला-अधिकारी बातचीत को फिर से शुरू करने के लिए किसी तीसरे देश में मिल चुके हैं।
पाकिस्तानी एनएसए ने दावा किया कि भारत ने जम्मू कश्मीर सहित सभी मुद्दों पर बात करने की इच्छा के साथ पाकिस्तान से संपर्क किया था। 3 जुलाई को एक निजी चैनल से बात करते हुए मोईद युसूफ ने कहा कि हमने बातचीत फिर से शुरू करने के लिए अपनी मांग यानी अगस्त 2019 के कदम को बदलने के लिए उन्हें साफ तौर पर अवगत कराया है। उन्होंने कहा कि संसद द्वारा पारित आवश्यक कानून के साथ राष्ट्रपति की अधिसूचना के कारण अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया और उसके बाद जम्मू-कश्मीर का विभाजन हो गया। उन्होंने यह भी दावा किया कि पीएम मोदी अपनी हालिया सर्वदलीय बैठक के दौरान केंद्र के एजेंडे के बारे में प्रमुख जम्मू-कश्मीर नेताओं को समझाने में विफल रहे।
पाकिस्तान के एक प्रख्यात पत्रकार हामिद मीर ने अपने अखबार द न्यूज में दावा किया कि पाकिस्तान की तालिबान से पटरी नहीं बैठ रही है। बाजवा की चिंता की वजह यह है कि उसे तालिबान पर भरोसा नहीं है और वह नहीं चाहता कि उसकी भारत से नजदीकी बढ़े। उधर विदेश मंत्री एस जयशंकर की रूस यात्रा के दौरान भी अफगानिस्तान की स्थिति पर अहम चर्चा होने की संभावना है। जिससे भी पाकिस्तान और बौखलाया हुआ है।


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