राष्ट्रनायक न्यूज।
दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 11 के अनुसार भारत निर्वाचन आयोग और राज्य निर्वाचन आयोग यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी मतदान केंद्र दिव्यांग व्यक्तियों के लिए सुलभ हों और चुनावी प्रक्रिया से संबंधित सभी सामग्री तक उनकी आसानी से पहुंच हो और वह उनके समझने योग्य हों। यह अधिनियम ‘दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों के बारे में संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन’ को प्रभावी बनाने और उससे जुड़े या आनुषंगिक मामलों के लिए बनाया गया था। दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों के बारे में कन्वेंशन संयुक्त राष्ट्र की एक अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संधि है, जिसका उद्देश्य समाज में दिव्यांग व्यक्तियों की पूर्ण और प्रभावी भागीदारी और समावेश को सुनिश्चित करना है।
चार जुलाई, 2018 को हुए नेशनल कन्सल्टेशन आॅन एक्सेसिबल इलेक्शन में अपनाए गए ‘स्ट्रेटेजिक फ्रेमवर्क फॉर एक्सेसिबल इलेक्शन’ के अनुसार, भारत निर्वाचन आयोग जवाबदेही, सम्मान और गरिमा के मूल सिद्धांतों के आधार पर दिव्यांग व्यक्तियों का चुनाव के प्रति विश्वास बढ़ाने के लिए और बेहतर सेवाओं द्वारा उनकी चुनावी भागीदारी बढ़ाने के लिए वचनबद्ध है। चुनाव आयोग विभिन्न श्रेणियों के दिव्यांग व्यक्तियों को वोट डालने की सुविधा प्रदान करने वाले सुलभ तकनीकी उपकरणों के उपयोग को मान्यता देता है।
साथ ही, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 के तहत राज्य किसी भी नागरिक (दिव्यांग सहित) के खिलाफ धर्म, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता। फिर भी, दिव्यांग व्यक्ति अन्य नागरिकों के समान वोट देने के अपने अधिकार के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में लगभग 2.68 करोड़ दिव्यांग व्यक्ति हैं, जिनमें से लगभग 50 लाख व्यक्ति दृष्टिहीन हैं। दृष्टिहीन मतदाता किसी साथी की सहायता से चुनाव में मतदान कर सकते हैं। इस प्रकार की सहायता से किया गया मतदान गुप्त और स्वतंत्र नहीं माना जा सकता, लेकिन फिर भी इससे ऐसे मतदाताओं को चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर मिलता है। हालांकि, ईवीएम के माध्यम से मतदान की वर्तमान प्रणाली में यह जानने का कोई तरीका नहीं है कि क्या सहायता करने वाले व्यक्ति ने दृष्टिहीन मतदाता द्वारा चुने गए उम्मीदवार के लिए ही अपना वोट डाला है।
दृष्टिहीन मतदाताओं की सुविधा के लिए ईवीएम की बैलेट यूनिट पर ब्रेल साइनेज लगा हुआ होता है। ऐसे मतदाताओं के मार्गदर्शन हेतु बैलेट यूनिट के दाईं ओर उम्मीदवारों के वोट बटन के साथ ब्रेल साइनेज में एक से सोलह तक अंक उकेरे होते हैं। हालांकि, दृष्टिहीन मतदाता बटन दबा सकता है, लेकिन वह यह पता नहीं लगा सकता कि वास्तव में उसने किसे वोट दिया है। मतदाता यह सुनिश्चित नहीं कर पाता है कि उसका वोट दर्ज हुआ है या नहीं, यदि दर्ज हुआ है, तो उस की इच्छा के उम्मीदवार के पक्ष में दर्ज हुआ है या नहीं। इसके अलावा, हर दृष्टिहीन व्यक्ति ब्रेल को नहीं समझता है।
वोटर वेरिफिएबल पेपर आॅडिट ट्रेल (वीवीपैट) यह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से जुड़ी एक स्वतंत्र प्रणाली है, जो मतदाताओं को यह सत्यापित करने में मदद करती है कि उनके वोट उनकी इच्छा के अनुसार डाले गए हैं या नहीं। हालांकि, ऐसी कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं है, जिससे दृष्टिहीन मतदाता अपने वोटों का सत्यापन कर सकें। एक ऐसी प्रणाली प्रदान करने की आवश्यकता है, जिससे दृष्टिहीन मतदाता अपने डाले गए वोटों का तत्काल ऑडियो सत्यापन कर सकें। इसी के मद्देनजर इमेज टेक्स्ट टू स्पीच कन्वर्जन (आईटीटीएस) डिवाइस प्रस्तावित की गई है।
इस प्रस्तावित स्टैंड-अलोन रियल-टाइम सिस्टम की मूल संकल्पना वीवीपैट में प्रिंटर द्वारा उत्पन्न पेपर स्लिप की इमेज को कैप्चर करना, उसमें से टेक्स्ट का निष्कर्षण करना और टेक्स्ट को आॅडियो में परिवर्तित करना है जिसे हेडफोन के माध्यम से सुना जा सकता है। आईटीटीएस डिवाइस को वीवीपैट मशीन के अंदर इस तरह से लगाया जाएगा कि वीवीपैट की पारदर्शी विंडो से देखने में मतदाताओं को कोई बाधा न हो और वीवीपैट में सात सेकंड के लिए दिखाई जाने वाली प्रिटेंड पेपर स्लिप्स इसके कैमरा लेंस के क्षेत्र में आ जाएं। बा‘त: इसमें हेडफोन के एक सेट की आवश्यकता होती है, जिसमें वॉल्यूम नियंत्रण की सुविधा हो।
बूथ में प्रवेश करने के बाद मतदाता हेडफोन लगा लेता है। जब वोट डाला जाता है, तब वीवीपैट में एक पेपर स्लिप छप जाती है जिसमें सीरियल नंबर, उम्मीदवार का नाम, सिंबल की इमेज और सिंबल का नाम होता है और इस पेपर स्लिप को पारदर्शी विंडो से सात सेकंड तक देखा जा सकता है। प्रस्तावित स्टैंड-अलोन प्रणाली में हेरफेर की कोई संभावना नहीं है। ईवीएम के निमार्ता (भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉपोर्रेशन आॅफ इंडिया लिमिटेड) वर्तमान तकनीकों का उपयोग करके सस्ते और कार्यक्षम इमेज टेक्स्ट टू स्पीच कन्वर्जन (आईटीटीएस) डिवाइस बनाने में सक्षम हैं। मतदान कुछ और नहीं, बल्कि अभिव्यक्ति स्वतंत्रता का ही एक स्वरूप है, जिसका लोकतांत्रिक व्यवस्था में अत्यधिक महत्व है। निर्वाचन प्रणाली में पूर्ण पारदर्शिता लाने और दृष्टिहीन मतदाताओं का ईवीएम में विश्वास स्थापित करने के लिए उन्हें अपने वोटों को सत्यापित करने की सुविधा प्रदान करना आवश्यक है। मतदान सफल हुआ है यह अनुभव स्वयं मतदाताओं को होना जरूरी है। निर्वाचन आयोग को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में ‘इमेज टेक्स्ट टू स्पीच कन्वर्जन’ की प्रणाली को शामिल कर दृष्टिहीन मतदाताओं में भरोसा जगा सकता है।
More Stories
हर घर दस्तक देंगी आशा कार्यकर्ता, कालाजार के रोगियों की होगी खोज
धन्यवाद सुप्रीम कोर्ट! यूपी के मदरसे अब बन्द नहीं होगें
विनम्र श्रद्धांजलि! अपसंस्कृति के विरुद्ध खडी़ एक मौसीकी़ को…