राष्ट्रनायक न्यूज

Rashtranayaknews.com is a Hindi news website. Which publishes news related to different categories of sections of society such as local news, politics, health, sports, crime, national, entertainment, technology. The news published in Rashtranayak News.com is the personal opinion of the content writer. The author has full responsibility for disputes related to the facts given in the published news or material. The editor, publisher, manager, board of directors and editors will not be responsible for this. Settlement of any dispute

महामारी के बीच घुसपैठ: भारत में कोविड से जुड़े नियमों में छूट के बाद बांग्लादेश से आने के मामले बढ़े

राष्ट्रनायक न्यूज। प्रति व्यक्ति आय में भारत को पीछे छोड़ देने के कारण मई, 2020 में बांग्लादेश की काफी चर्चा हुई थी। इस आंकड़े को भारत में बांग्लादेशियों की अवैध घुसपैठ संबंधी धारणा के खिलाफ इस्तेमाल किया गया। यह घटनाक्रम तब हुआ, जब एनआरसी और सीएए लागू करने के प्रति मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को देखते हुए बांग्लादेश के भारत से रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे। अलबत्ता अपने यहां बांग्लादेशी घुसपैठियों के पकड़े जाने के कारण बहस अब उल्टी दिशा में मुड़ गई है। विगत तीन जुलाई को आंध्र प्रदेश पुलिस ने खुफिया सूचनाओं के आधार पर आठ बांग्लादेशी घुसपैठियों को गिरफ्तार किया, जो रोजगार के लिए गोवा जा रहे थे। उन सभी के पास यहां के फर्जी वोटर पहचान पत्र, आधार और पैन कार्ड थे। पर किसी के पास पासपोर्ट नहीं था। जाहिर है, वे अवैध तरीके से भारत आए थे।

उनसे पूछताछ में पता चला कि बागेरहाट और दूसरे जिलों से अनेक बांग्लादेशी अवैध तरीके से सीमा पार कर कोलकाता, नई दिल्ली, बंगलूरू, चेन्नई, हैदराबाद, गोवा और दूसरे शहरों में रह रहे हैं। यह मानने का कारण है कि भारत में कोविड से जुड़े नियमों में छूट के बाद बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ के मामले बढ़े हैं। बांग्लादेशी सिर्फ भारत में ही अवैध तरीके से घुसपैठ नहीं कर रहे, ठीक इसी समय वे भूमध्यसागर को पार कर यूरोप में भी घुस रहे हैं। दुर्भाग्य से कुछ बांग्लादेशी भूमध्यसागर में डूब गए, जबकि कुछ को बचा लिया गया। विगत 24 जून को 264 बांग्लादेशियों को ट्यूनीशिया के समुद्र तट पर बचाया गया।

ट्यूनीशिया स्थित बांग्लादेशी वाणिज्य दूतावास के मुताबिक, पिछले 90 दिनों में ट्यूनीशिया समुद्र तट पर कम से कम 485 बांग्लादेशियों को बचाया गया। इन बांग्लादेशियों को ट्यूनीशिया और लीबिया स्थित वाणिज्य दूतावासों में शरण दी गई है। दरअसल कोविड महामारी से बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। पहले हालांकि यह कहा गया था कि कोरोना से हुई तबाही के बावजूद बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। अब चूंकि कोरोना का असर बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर साफ-साफ दिखने लगा है, तो वहां के लोग रोजगार के लिए गैरकानूनी तरीके से भारत और यूरोप की ओर रुख कर रहे हैं। जून, 2020 में एशियाई विकास बैंक और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा तैयार एक रिपोर्ट में कहा गया था कि अगर बांग्लादेश की सरकार रोजगार सृजन के लिए ठोस कदम नहीं उठाती, तो अगले छह महीने में वहां बेरोजगारी का आंकड़ा दोगुना हो जाएगा।

बांग्लादेश इंस्टीट्यूट आॅफ डेवलपमेंट स्टडीज के एक अध्ययन के मुताबिक, मार्च, 2020 में कोविड की शुरूआत के पहले तीन महीने में देश में बेरोजगारी दर 13 फीसदी थी। वस्त्र उद्योग में ही, जो वहां का सबसे महत्वपूर्ण उद्योग है, हजारों लोग बेरोजगार हो गए। उस दौरान बांग्लादेश में भारी संख्या में नए कामगार भी उभर कर सामने आ गए। बांग्लादेश में रोजगार के अभाव में इन श्रमिकों ने दूसरे देशों का रुख करना शुरू किया। बांग्लादेश के लोग बड़ी संख्या में खाड़ी देशों और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में रोजगार के लिए जाते हैं। लेकिन चूंकि कोविड के कारण उन देशों की अर्थव्यवस्थाएं भी खराब हो गईं, ऐसे में, वहां बांग्लादेशी श्रमिकों की मांग भी घट गई। हालांकि आंकड़े बताते हैं कि इस बीच दो लाख श्रमिकों की विभिन्न देशों में आॅनलाइन नियुक्ति हुई। जबकि बांग्लादेश आम तौर पर सालाना सात से आठ लाख श्रमिकों को दूसरे देशों में भेजता है। तिस पर महामारी के कारण बांग्लादेश में बेरोजगारों की संख्या पहले से अधिक हो गई।

इसमें कोई शक नहीं कि महामारी से पहले के दशक में बांग्लादेश ने आर्थिक मोर्चे पर शानदार प्रदर्शन किया था। अल्प विकसित देशों (एलडीसी) के समूह से निकलकर अब वह मध्यम आय वाले देशों के समूह में प्रवेश की तैयारी कर रहा है। लेकिन बांग्लादेश का यह आर्थिक विकास असमान है। सिर्फ यही नहीं कि आर्थिक विकास बांग्लादेश के कुछ क्षेत्रों तक सीमित है, बल्कि नागरिकों की बड़ी आबादी भी इस आर्थिक प्रगति से बाहर है। जो बांग्लादेशी गरीबी रेखा से बाहर निकल आए थे, उन्हें महामारी ने दोबारा गरीबी के दुश्चक्र में फंसा दिया है। बांग्लादेश ने सामाजिक क्षेत्र में जो प्रगति हासिल की है, वह वहां एकाधिक एनजीओ की मौजूदगी के कारण संभव हुआ है। लेकिन सामाजिक प्रगति के बावजूद रोजगार न मिलने पर लोग बाहर निकलेंगे ही और कानूनी तरीका उपलब्ध न होने पर गैरकानूनी ढंग से सीमा पार करेंगे।

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अनुसार, वर्ष 2020 में 3,204 बांग्लादेशियों को अवैध तरीके से सीमा पार करते हुए पकड़ा गया, जिनमें से 60 लोगों को बांग्लादेश राइफल्स को सौंप दिया गया। जाहिर है, सीमा पर पकड़े गए बांग्लादेशियों की संख्या चोरी-छिपे भारत पहुंचने वालों का एक छोटा हिस्सा भर है। ज्यादातर बांग्लादेशी हमारे यहां के विभिन्न शहरों में पहुंच चुके हैं। पड़ोसी देश होने के कारण भारत लंबे समय से अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों का बोझ ढो रहा है। इस मसले का न सिर्फ समाधान बेहद जटिल है, बल्कि इस मुद्दे के राजनीतिकरण से स्थिति और खराब ही होगी। अपने दक्षिण एशियाई पड़ोसियों में बांग्लादेश उन कुछ देशों में है, जिसके साथ भारत के दोस्ताना रिश्ते हैं।

अवैध घुसपैठियों का मुद्दा इतना जटिल है कि विगत मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बांग्लादेश दौरे में इसका कोई जिक्र नहीं किया था। वह दौरा यह मुद्दा उठाने का अवसर भी नहीं था, क्योंकि मोदी बांग्लादेश की स्वतंत्रता तथा भारत-बांग्लादेश के रणनीतिक संबंधों के 50 साल पूरे होने के अवसर पर वहां पहुंचे थे। इसके बावजूद अवैध घुसपैठ से देश की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर तथा खासकर पूर्वोत्तर के राज्यों में अवैध घुसपैठियों के कारण वहां के लोगों की असुरक्षा भावना तथा जनसांख्यिकी पर पड़ने वाले असर को देखते हुए इस पर चुप नहीं रहा जा सकता। भारत-बांग्लादेश के रिश्तों को प्रभावित किए बगैर अवैध घुसपैठ के मुद्दे का हल तो निकालना ही पड़ेगा।

You may have missed