राष्ट्रनायक न्यूज

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तीसरी लहर : सम्भलने का वक्त

राष्ट्रनायक न्यूज।
वर्ल्ड हैल्थ आगेर्नाइजेशन ने दुनिया में कोरोना की तीसरी लहर शुुरू होने का ऐलान कर दिया है। अब तक एक दिन में औसतन तीन लाख मामले सामने आ रहे हैं, जो बढ़कर 9 लाख से अधिक हो चुके हैं। पुरानी लहर की तुलना में कोरोना के करीब 40 फीसदी मामले बढ़ चुके हैं। ब्रिटेन में भी तीसरी लहर आ चुकी है। दूसरी लहर में 59 हजार के आसपास मामले मिल रहे थे जबकि तीसरी लहर की शुरूआत में ही 34 हजार से अधिक मामले सामने आ रहे हैं। पड़ोसी देश बंगलादेश में पहले 7 हजार मामले मिल रहे थे लेकिन अब 13 हजार से अधिक मामले सामने आ रहे हैं। इसी तरह इंडोनेशिया में 12 हजार से बढ़कर 40 हजार से अधिक मामले रोजाना मिल रहे हैं। आस्ट्रेलिया में लाकडाउन बढ़ाया गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कोरोना के मामलों और मौतों में हाल में हुई बढ़ौतरी को बहुत गम्भीर माना है। यूरोप और उत्तरी अमेरिका में वैक्सीनेशन कवरेज बढ़ने से इनमें गिरावट आई थी लेकिन दस सप्ताह की गिरावट के बाद मौतें दोबारा बढ़ने लगी हैं। कोरोना का डेल्टा वैरिएंट अब विश्व स्वास्थ्य संगठन के 6 रीजन और 111 से ज्यादा देशों में पहुंच चुका है। यह जल्द पूरी दुनया में फैल सकता है। वायरस का अल्फा वैरिएंट 178 देशों में, बीटा 123 देशों में और गामा 75 देशों में मिल चुका है।

दुनिया में सबसे ज्यादा केस ब्राजील में मिल रहे हैं। अमेरिका में 67 फीसदी और स्पेन में 61 फीसदी मामले बढ़े हैं। भारत में भी तीसरी लहर की आहट सुनाई देने लगी है। एक विदेशी ब्रोकरेज फर्म ने आगाह किया है कि डेल्टा वैरिएंट के बढ़ते मामलों और वायरस के म्यूटेट होने से भारत में कोरोना की तीसरी लहर जल्द ही सच में बदल सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बार-बार दोहराया है कि केवल वैक्सीन से महामारी को रोका नहीं जा सकता। इससे निपटने के लिए लगातार सावधानी बरतनी होगी।
अब महत्वपूर्ण सवाल यह है कि भारत कोरोना की तीसरी लहर का मुकाबला करने के लिए कितना तैयार है? कोरोना के दो अलग वैरिएंट सामने आए हैं। लोग अल्फा और वीटा वैरिएंट से संक्रमित हो रहे हैं। यानी डबल इंफैक्शन का शिकार हो रहे हैं।

दुनिया को इस तरह के इंफैक्शन से सावधान रहने की जरूरत है। वैज्ञानिक इसे कोरोना का एक नया प्रकार मान रहे हैं। भारत के लिए इस तरह के वैरिएंट काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं। पहले ही हमारे देश में डेल्टा, डेल्टा प्लस, लेम्बडा और अल्फा जैसे वैरिएंट एक्टिव हैं और दूसरा भारत वैरिएंट के प्रकार की जांच करने यानी जीनोम सीक्वेंसिंग में काफी पिछड़ा हुआ है।

डबल इंफैक्शन के केस पकड़ने के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग बढ़ाना जरूरी होता है। जीनोम सीक्वेंसिंग आसान नहीं होती। भारत में अभी दूसरी लहर भी खत्म नहीं हुई। तीसरी लहर की स्थिति बनने में कुछ कारणों का होना बहुत जरूरी है। पहला बीते वर्ष संक्रमित हुए लोगों में से एक तिहाई लोग अपनी इम्युनिटी पूरी तरह खो दें और दूसरा वायरस के नए वैरिएंट की रिप्रोडक्टिव दर 4.5 से अधिक हो जाए यानी एक संक्रमित कम से कम चार या पांच लोगों को संक्रमित करे और यह स्थिति पूरी तरह दूसरी लहर की समाप्ति के बाद बने।

केरल का जीका वायरस हमें डरा रहा है। पूर्वोत्तर राज्यों में बढ़ते केस खौफ पैदा कर रहे हैं। मणिपुर में डेल्टा वायरस के बढ़ते असर के चलते दस दिन का कर्फ्यू लगाना पड़ा है। पुड्डुचेरी में 20 बच्चों के संक्रमित पाए जाने से स्कूल-कालेज दोबारा खोलने का निर्णय वापिस लेना पड़ा है। कोरोना के बढ़ते मामलों से मिलते शुरूआती संकेतों को हमें भांपना होगा। लॉकडाउन में दी जा रही ढील तीसरी लहर का कारण बन सकती है। इस वक्त हर कोई तीसरी लहर की चर्चा तो कर रहा है लेकिन अभी यह कोई नहीं कह रहा कि यह लहर आएगी क्यों? भारत के लिए यह सम्भलने का वक्त है, अगर देश का हर व्यक्ति नियमों का पालन करेगा तो हम तीसरी लहर को रोकने में सफल हो जाएंगे। बहुत से लोगों को लगता है कि अगली लहर आने से पहले वे घूम-फिर कर वापिस आ जाएं। कई लोग कहते हैं कि दो साल से घर में बंद पड़े हैं और अब घर भी जेल जैसा लगता है। लोग याद रखें महामारी की भयावह दुरावस्था, गंगा में बहते शव, रेत में दफन मुर्दे, उनके कफन झपटते लोग, आक्सीजन की कमी से तड़प-तड़प कर मरते लोग, घर की जमा पूंजी खर्च कर अस्पतालों में अपना सब कुछ गंवा कर मृतकों को लेकर लौटते लोग। यह सही है कि लोग मस्ती में जीवन गुजारना चाहते हैं लेकिन यह मस्ती भारी पड़ सकती है। इसलिए अभी भी समय है सम्भल जाओ।