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भारतीय राजदूत तिरुमूर्ति का यूएन में बयान, हम आतंकवाद से निपटने पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेंगे

संयुक्त राष्ट्र, (एजेंसी)। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि और इस महीने के लिए सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष टी एस तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत आतंकवाद से निपटने के मामले पर जोर देता रहेगा और आतंकवाद को मिल रहा वित्त पोषण एवं आतंकवादियों द्वारा अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का बढ़ता इस्तेमाल ‘‘गहरी चिंता का विषय’’ है। भारत 2021-22 के लिए सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र की शक्तिशाली संस्था की बारी-बारी से मिलने वाली अध्यक्षता की अगस्त के लिए जिम्मेदारी संभाली है। तिरुमूर्ति ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में परिषद के कार्यक्रम की जानकारी देते हुए कहा कि भारत समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद से निपटने और शांतिरक्षक पर मुख्य कार्यक्रम आयोजित करेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नौ अगस्त को समुद्री सुरक्षा पर आॅनलाइन उच्च स्तरीय खुली बहस की अध्यक्षता करेंगे। समुद्री सुरक्षा के अफ्रीका के लिए महत्वपूर्ण होने के मद्देनजर कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के राष्ट्रपति एवं अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष फेलिक्स एंटोनी शीसेकेडी शीलोम्बो भी इस समारोह में भाग लेंगे। विदेश मंत्री एस जयशंकर 18 अगस्त को संरक्षकों की रक्षा के व्यापक विषय के तहत प्रौद्योगिकी और शांतिरक्षा पर एक खुली बहस की अध्यक्षता करेंगे। वह 19 अगस्त को आईएसआईएस पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस की रिपोर्ट पर चर्चा के लिए एक उच्च स्तरीय कार्यक्रम की अध्यक्षता भी करेंगे। ‘पीटीआई’ ने सवाल किया कि क्या आईएसआईएस पर महासचिव की रिपोर्ट में पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों को भी शामिल किया जाना चाहिए। इसके जवाब में तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत आतंकवाद से निपटने पर मुख्य कार्यक्रम आयोजित करने वाला है, यह तथ्य इस बात का ‘‘स्पष्ट संकेत’’ है कि ‘‘हम आतंकवाद के मामले पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं’’। उन्होंने कहा, ‘‘और हम आतंकवाद के सभी पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहते है। यह केवल सीमा पार से आतंकवाद की बात नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि आतंकवादी अब हमले के लिए अत्याधुनिक तरीके और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो ‘‘गहरी चिंता’’ का विषय है। तिरुमूर्ति ने कहा, ‘‘हमारा इरादा आतंकवाद से निपटने पर ध्यान केंद्रित करना है और आईएसआईएल की दुनिया भर में पहुंच है।’’ उन्होंने कहा कि अफ्रीका में आतंकवाद में वृद्धि सुरक्षा परिषद के सभी सदस्यों के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने स्पष्ट रूप से कहा है कि आप इसे केवल अपने जोखिम पर अनदेखा करते हैं।’’ तिरुमूर्ति ने कहा, ह्लऐसे प्रतिबंधित आतंकवादी हैं जिनके आपस में संबंध हैं। इन संबंधों के मद्देनजर महासचिव की रिपोर्ट का व्यापक होना महत्वपूर्ण है, जिसमें इन संबंधों को शामिल किया गया हो।’’ तिरुमूर्ति ने अपनी शुरूआती टिप्पणी में कहा कि आतंकवाद से निपटना भारत की राष्ट्रीय प्राथमिकता है। उन्होंने कहा, ‘‘हम हर प्रकार के आतंकवाद के खिलाफ हैं और हमारा मानना है कि आतंकवाद को किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता। हम पहले की तरह परिषद के भीतर और बाहर इस मामले पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेंगे।’’

तिरुमूर्ति ने समुद्री सुरक्षा पर कहा कि भारत को लगता है कि अब समय आ गया है कि समुद्री सुरक्षा और अपराध के विभिन्न आयाम पर समग्र रूप से चर्चा की जाए और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से इससे निपटा जाए। उन्होंने कहा कि समुद्री डकैती, अपराधों को अंजाम देने के लिए समुद्र का इस्तेमाल, नशीले पदार्थों की अवैध तस्करी, व्यक्तियों और अवैध आग्नेयास्त्रों की तस्करी तथा अवैध, बिना जानकारी दिए और अनियमित तरीके से मछली पकड़ने जैसे मुद्दों का तटीय समुदायों की आजीविका और सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय व्यापार, ऊर्जा सुरक्षा और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता है। उन्होंने कहा, ‘‘महासागरों के वैध इस्तेमाल और समुद्र में लोगों के जीवन की रक्षा के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जो समुद्री क्षेत्र के भीतर शत्रुतापूर्ण या अवैध कृत्यों के खतरे का मुकाबला करते हुए हमारी साझा समृद्धि और सुरक्षा सुनिश्चित करता है।’’

तिरुमूर्ति ने कहा कि समुद्री सुरक्षा पर खुली बहस के दौरान ‘‘सदस्य देश कुछ सवालों के जवाब तलाशेंगे, जैसे कि समुद्री अपराध और असुरक्षा के वाहकों से निपटने के लिए क्या किया जा सकता है, सदस्य देश अपनी क्षमताओं को कैसे बढ़ा सकते हैं और समुद्री सुरक्षा से संबंधित खतरों से निपटने के लिए अभियानों में समन्वय कैसे सुधारा जा सकता है और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के जरिए कार्यान्वयन को कैसे आगे बढ़ाया जा सकता है।’’ उन्होंने समुद्री सुरक्षा पर परिषद के स्थायी सदस्यों के दृष्टिकोण संबंधी एक सवाल के जवाब में कहा कि संयुक्त राष्ट्र की संस्था में पहली बार एक समग्र अवधारणा के रूप में इस मुद्दे पर चर्चा की जा रही थी।

उन्होंने कहा, ‘‘यह ऐसा विषय है जिसे लेकर मुझे सुरक्षा परिषद के प्रत्येक सदस्य से समर्थन मिला है।’’ तिरुमूर्ति ने कहा, ‘‘इस पर हमारे विचार अलग-अलग हो सकते हैं कि समुद्री सुरक्षा हमारे लिए क्या मायने रखती है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि कोई यह कहता है कि यह महत्वपूर्ण नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि भारत शांतिरक्षक पर भी एक मुख्य कार्यक्रम की मेजबानी करेगा और यह एक ऐसा मामला है, जो ‘‘हमारे दिल के बहुत करीब’’ है क्योंकि भारत को महिला शांतिरक्षकों की भागीदारी सहित संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में योगदान की अपनी पुरानी और समृद्ध परंपरा पर गर्व है। तिरुमूर्ति ने कहा, ‘‘सुरक्षा परिषद के आदेशों को लागू करने के लिए शांतिरक्षक अस्थिर और जटिल परिस्थितियों में काम करते हैं, इस तथ्य के मद्देनजर हम शांति के रक्षकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उन्नत उपायों की पुरजोर वकालत करेंगे।’’

भारत शांति स्थापना से संबंधित दो विशिष्ट पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करेगा – प्रौद्योगिकी के उपयोग से शांतिरक्षकों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए और शांतिरक्षकों के खिलाफ अपराध करने वालों को न्याय के दायरे में कैसे लाया जाए। तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत शांतिरक्षकों के खिलाफ अपराधों के लिए दण्ड से छूट के मामले संबंधी एक मजबूत खाके पर परिषद के अन्य सदस्यों के साथ चर्चा करने और इस मुद्दे पर एक प्रस्ताव पारित करने पर विचार कर रहा है।

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