नई दिल्ली, (एजेंसी)। लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी फिलहाल अंतर्कलह से जूझ रही है। लालू के दोनों लाल यानी कि तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव आमने-सामने हैं। एक ओर जहां लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव लगातार प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह पर हमलावर हैं तो वहीं छोटे बेटे और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव जगदा बाबू के साथ हैं। विश्लेषक मानते हैं कि दोनों भाई की तकरार के बीच अब जगदानंद मोहरा बनकर सामने आ चुके हैं। हालांकि जगदानंद लालू यादव के पसंदीदा नेताओं में से हैं और पार्टी के स्थापना के वक्त से जुड़े हुए हैं। आपको बताते हैं जगदानंद सिंह के बारे में।
जगदानंद सिंह राजद के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। यह बात भी सच है कि पिछले कुछ समय में वह हाशिए पर थे। हालांकि 2019 में लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद राजद ने संगठन में बड़ा बदलाव करते हुए उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी। पार्टी के इतिहास में यह पहला मौका था जब आरजेडी ने किसी सवर्ण को अपना प्रमुख बनाया। इसे सवर्ण वोट को साधने के एक तरीके रूप में देखा गया। इसके बाद जगदानंद सिंह पार्टी में अपनी पकड़ को मजबूत करते गए।
जगदानंद सिंह को जब प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था तो इस बात के संकेत मिलने शुरू हो गए थे कि भले ही लालू यादव उस वक्त सक्रिय राजनीति में नहीं थे लेकिन पार्टी के हर फैसले में उनकी हस्तक्षेप रहती है। सबसे खास बात यह है कि राजपूत समुदाय से आने वाले जगदानंद सिंह की पकड़ सभी जातियों में है। वह बक्सर से आते जरूर हैं लेकिन बिहार के सभी जिलों में उन्हें समर्थन मिलता है। जब राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनी थीं तब जगदानंद सिंह का सरकार में कद सबसे बड़ा माना जाता था। राबड़ी देवी के वरिष्ठ सलाहकार के रूप में भी उन्हें देखा जाता था। राजनीतिक विश्लेषक तो यह भी मानते हैं कि वह जगदानंद सिंह ही थे जिन्होंने लालू यादव को राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाने का सुझाव दिया था।
हालांकि यह बात भी सच है कि लालू यादव के जेल जाने के बाद मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे आगे जगदानंद सिंह का ही नाम था। जगदानंद की राजनीति में एक मोड़ उस वक्त आया जब 2009 में उनके बेटे ने परिवार से बगावत कर आरजेडी के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था। लेकिन तब भी पार्टी के प्रति जगदानंद सिंह प्रतिबंध रहें और अपने बेटे को चुनाव हराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बेटा चुनाव हार गया। यही कारण है कि लालू यादव के भरोसेमंद नेताओं में उनका नाम शुमार है। घटना के बाद लालू यादव का भरोसा जगदानंद सिंह पर और बढ़ गया।
इसके बाद जगदानंद सिंह लालू प्रसाद यादव के करीब आते गए। बिहार में जगदा बाबू के नाम से प्रसिद्ध जगदानंद सिंह कई विभागों के मंत्री रह चुके हैं। सबसे लंबा कार्यकाल उनका जल संसाधन मंत्री के रूप में रहा है। 75 साल के जगदानंद सिंह लोकसभा के सदस्य भी रहे हैं। उन्होंने 2009 में बक्सर से भाजपा के तब के कद्दावर नेता लालमुनि चौबे को हराया था। इसके अलावा वह रामगढ़ विधानसभा सीट से 5 बार विधानसभा के चुनाव जीत चुके हैं। जगदानंद सिंह को उस रणनीतिकार के रूप में देखा जाता है जो सियासी प्रबंधन में माहिर है।


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