पटना: नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बिहार की अफसरशाही को लेकर निशाना साधा है। तेजस्वी ने रविवार को ट्वीट कर लिखा है कि बिहार में अफसरशाही चरम पर है। अधिकारी सीना तान सरकारी काम में लापरवाही कर भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी को बढ़ावा देते हैं। जनप्रतिनिधियों को अपमानित करते हैं और नागरिकों को तो पांव के धूल बराबर नहीं समझते। पर सरकार व मंत्रियों को इससे क्या? उन्हें तो बंदरबांट में अपने हिस्से से मतलब है। वहीं एक अन्य ट्वीट में तेजस्वी ने लिखा है कि एनडीए सरकार में सत्तारूढ़ दल व बेखौफ अफसरों के लिए भ्रष्टाचार बाएं हाथ का खेल बन गया है। दोनों मिलकर अवैध कमाई करते हैं और नागरिक घूस, सरकारी बेपरवाही, परेशानी व भ्रष्टाचार के दुष्चक्र में पिस कर रह जाते हैं। जनता भटक-भटक कर रह जाती है पर सुनवाई, कार्रवाई का नामोनिशान नहीं होता।
बिहार में अफसरशाही चरम पर है।अधिकारी सीना तान सरकारी काम में लापरवाही कर भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी को बढ़ावा देते है। जनप्रतिनिधियों को अपमानित करते है और नागरिकों को तो पाँव के धूल बराबर नहीं समझते। वहीं जेडीयू ने भी तेजस्वी पर पलटवार किया है। जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा है कि नीतीश कुमार के राज में कार्यपालिका ने अगर गलत किया है तो डीजीपी तक की संपत्ति जब्त हुई है। तेजस्वी द्वारा लगाए आरोप पर जेडीयू प्रवक्ता ने कहा कि पारिवारिक लोकतंत्र वाले जनता की चिंता कब से करने लगे? अपनी पार्टी के वरीय नेताओं को कैसे अपमानित करवाया जाए, राजद के लोग तो इसी सब में लगे रहते हैं। आम जनता की चिंता नेता प्रतिपक्ष को कब से होने लगी?
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता प्रेमरंजन पटेल ने कहा है कि विपक्षी दलों में गृहयुद्ध की स्थिति पैदा हो गई है। राजद में दो भाइयों के बीच वर्चस्व की लड़ाई है। कांग्रेस में नए प्रदेश अध्यक्ष के मनोनयन के लिए कई दावेदार खुशफहमी पाले बैठे हैं। आरोप लगाया है कि जब एक का नाम उछाला जाएगा तो बाकी रूठकर पार्टी के लिए दीमक का काम करेंगे। राजद अब गरीब-गुरबों की नहीं बल्कि गुरुओं की पार्टी बनकर रह गया है।


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