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मिशन उत्तर प्रदेश: अयोध्या और राम मंदिर के दम पर चुनाव जीतना चाहती हैं राजनीतिक पार्टियां

लखनऊ, (एजेंसी)। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने संबंधी उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद उत्तर प्रदेश में पहली बार हो रहे विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दिलों का अपने-अपने चुनाव अभियान की शुरूआत अयोध्या से करना इस बात का पर्याप्त संकेत हैं कि अयोध्या और राम मंदिर राज्य के चुनावी समर में खासे अहम होंगे। शीर्ष अदालत ने छह नवंबर 2019 को एक ऐतिहासिक फैसले में अयोध्या में कानूनी लड़ाई का केंद्र रही भूमि पर राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया था। विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी बढ़ने के साथ अयोध्या एक बार फिर चर्चा में है। भरतीय जनता पार्टी (भाजपा) हो, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) हो या फिर समाजवादी पार्टी (सपा) हो, सभी पार्टियां अपने चुनाव अभियान की शुरूआत के लिए अयोध्या को चुन रही हैं। आॅल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम)और जनसत्ता लोकतांत्रिक दल जैसे दलों ने भी अपने चुनावी समर की शुरूआत के लिए अयोध्या को ही चुना है।

अयोध्या निर्वाचन क्षेत्र से वर्तमान में भाजपा के वेदप्रकाश गुप्ता विधायक हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच अगस्त 2020 को अयोध्या में भव्य मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन किया था। उसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का लगातार राम नगरी आना-जाना रहा है। इससे जाहिर होता है कि भाजपा मंदिर मुद्दे को जिंदा रखने की कोशिश कर रही है। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने पांच सितंबर से अपने प्रबुद्ध सम्मेलनों की श्रृंखला की शुरूआत के लिए अयोध्या को ही चुना। प्रथम प्रबुद्ध सम्मेलन में भाजपा की उप्र इकाई के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने वर्ष 1966 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा संसद का घेराव कर रहे संतों पर और 1990 में उत्तर प्रदेश की तत्कालीन सपा सरकार द्वारा अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलाने के आदेश दिए जाने का जिक्र कर यह संकेत दिया कि भाजपा अयोध्या के मुद्दे में अब भी अपनी चुनावी खेती के लिए खाद-पानी देख रही है। पार्टी ने राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नेताओं में शामिल रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की अस्थियों के विसर्जन के लिए अयोध्या स्थित सरयू नदी को ही चुना। अब चुनाव नजदीक आने पर और अधिक संख्या में भाजपा नेताओं की अयोध्या में आवाजाही शुरू हो गई है। हालांकि पहले की ही तरह अब भी भाजपा अयोध्या और राम मंदिर को राजनीतिक मुद्दा मानने से इनकार कर रही है।

प्रदेश भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने पीटीआई- से कहा कि भगवान राम और उनका मंदिर हमारे लिए आस्था का विषय है और हमेशा रहेगा। हमने कभी इसे चुनावी मुद्दे के तौर पर नहीं देखा। सिर्फ भाजपा ही नहीं, बल्कि अन्य पार्टियां भी अयोध्या में अपनी चुनावी कामयाबी महसूस कर रही हैं। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की अगुवाई वाली बसपा ने गत 23 जुलाई को अयोध्या से ही अपने ब्राह्मण सम्मेलनों की शुरूआत की थी। बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने अयोध्या में रामलला के दर्शन करने के बाद प्रथम ब्राह्मण सम्मेलन को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि सत्तारूढ़ भाजपा को पिछले तीन दशकों के दौरान राम मंदिर के नाम पर इकट्ठा किए गए चंदे का हिसाब देना चाहिए। समाजवादी पार्टी ने भी आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अयोध्या को ‘लॉन्चिंग पैड’ के तौर पर इस्तेमाल किया है।

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने तीन सितंबर को अयोध्या में आयोजित खेत बचाओ, रोजगार बचाओ अभियान में हिस्सा लिया। अयोध्या से सपा के पूर्व विधायक तेज नारायण पांडे उर्फ पवन पांडे ने कहा कि तीन सितंबर को हुआ सपा का कार्यक्रम भाजपा की जनविरोधी, किसान विरोधी और गरीब विरोधी नीतियों के खिलाफ पार्टी का 2022 विधानसभा चुनाव का बिगुल है। सपा वर्ष 2012 में मिली 224 सीटों से कहीं ज्यादा सीटों पर इस बार जीत हासिल करेगी। इस सवाल पर कि पार्टी अयोध्या को कितना महत्व देती है, सपा प्रवक्ता जूही सिंह ने कहा, अयोध्या हमारे लिए महत्वपूर्ण है और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल द्वारा की जा रही यात्रा का यह एक प्रमुख पड़ाव है। प्रदेश में जब अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा की सरकार थी तो उसने सबसे बड़ा विकास पैकेज अयोध्या को ही दिया था। चाहे वह 16 कोसी परिक्रमा हो, रामायण के अनुरूप वृक्षारोपण हो, संग्रहालय की स्थापना की बात हो या फिर विभिन्न तीर्थ स्थलों और घाटों के सौंदर्यीकरण की बात हो, सभी के लिए अखिलेश सरकार ने ही सार्थक काम किया। सपा सरकार के कार्यकाल में ही पूर्वांचल एक्सप्रेस वे में जरूरी बदलाव किए गए ताकि अयोध्या भी इस एक्सप्रेस-वे से जुड़ सके। जनसत्ता लोकतांत्रिक दल की अगुवाई कर रहे बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने गत 31 अगस्त को अयोध्या से ही उत्तर प्रदेश के अपने चुनावी अभियान की शुरूआत करते हुए पार्टी कार्यकतार्ओं से बातचीत की।

हैदराबाद से सांसद और एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी अयोध्या के धन्नीपुर क्षेत्र को अपनी चुनावी मुहिम की शुरूआत के लिए चुना। यह वही गांव है जहां अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का निर्देश देते वक्त उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश पर मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन दी गई है। ओवैसी ने धर्मनिरपेक्षता के नाम पर मुसलमानों को ठगे जाने का आरोप लगाते हुए ऐलान किया कि उनकी पार्टी भाजपा को हराने के लिए उत्तर प्रदेश की 100 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि उनका प्रयास है कि उत्तर प्रदेश में मुसलमानों का एक नेतृत्व तैयार हो। सुल्तानपुर और बाराबंकी में अपनी जनसभाओं में ओवैसी ने मुसलमानों को यह बताने की कोशिश की कि किस तरह से विभिन्न राजनीतिक दलों ने उनसे वोट तो लिए लेकिन उनके लिए किया कुछ भी नहीं। विभिन्न राजनीतिक पार्टियां जहां अयोध्या में अपना चुनावी हित ढूंढ़ रही हैं, वहीं कांग्रेस इससे अछूती है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अब्बास हैदर ने कहा कि कांग्रेस के लिए अयोध्या, मथुरा, काशी, महादेवा और देवा शरीफ एक बराबर हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न गांवों और कस्बों में 12,000 किलोमीटर की यात्रा निकालने का ऐलान किया है।

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