नयी दिल्ली, (एजेंसी)। कांग्रेस ने केन्द्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के भारत बंद का सोमवार को समर्थन किया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसानों के साथ बातचीत करनी चाहिए और तीनों ‘काले कानूनों’ को वापस लेना चाहिए। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, किसानों का अहिंसक सत्याग्रह आज भी अखंड है, लेकिन शोषण करने वाली सरकार को यह नहीं पसंद है, इसलिए आज भारत बंद है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीनों ‘काले कानून’ वापस लेना चाहिए।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘खेत किसान का, मेहनत किसान की, फसल किसान की, लेकिन भाजपा सरकार इन पर अपने खरबपति मित्रों का कब्जा जमाने को आतुर है। पूरा हिंदुस्तान किसानों के साथ है। नरेंद्र मोदी, काले कानून वापस लीजिए।’’ कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, ‘‘लड़ाई लड़ेंगे फसलों की, अडिग रहेंगे, डटे रहेंगे, हे अहंकारी निर्दयी मोदी सरकार ! हमारे खेतों की चीख, और माटी की तड़प, तुम्हें सोने नही देगी। किसान के बेटे हैं, इस विराट आन्दोलन में तुम्हारे दमन, उत्पीड़न, हिंसा के खिलाफ सड़कों पर किसानों के साथ फसलों की लड़ाई लड़ेंगे।’’ पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘प्रधानमंत्री जी, क्या कारण है कि आप किसानों से बातचीत नहीं कर रहे हैं।
सरकार के इस रवैये से सिर्फ किसानों का नहीं, बल्कि देश का नुकसान हो रहा है। जिस देश के किसान परेशान हों, वहां के प्रधानमंत्री को नींद नहीं आनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रदर्शन करना, किसानों का लोकतांत्रिक अधिकार है। हम सभी का कर्तव्य है कि हम किसानों का समर्थन करें। हम सभी को मिलकर किसानों का समर्थन करना होगा, तभी यह सरकार झुकेगी।’’ उन्होंने प्रधानमंत्री से किसान संगठनों से बातचीत करने का आग्रह किया और यह सवाल भी किया, ‘‘ आपने 22 जनवरी को कहा था कि मैं किसानों से सिर्फ एक फोन कॉल की दूरी पर हूं। कहां है वो फोन कॉल?’’ खेड़ा ने यह आरोप भी लगाया कि सरकार उद्योगपतियों के दबाव के कारण किसानों की उचित मांग को अनसुना कर रही है। गौरतलब है कि कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने 27 सितंबर को ‘भारत बंद’ का ऐलान किया था।
कांग्रेस समेत विभिन्न विपक्षी दलों ने किसानों के भारत बंद का समर्थन किया। देश के विभिन्न हिस्सों, विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान, पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी केन्द्र के तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। किसानों को भय है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली खत्म हो जाएगी। सरकार इन कानूनों को प्रमुख कृषि सुधारों के रूप में पेश कर रही है। दोनों पक्षों के बीच 10 दौर से अधिक की बातचीत हो चुकी है,लेकिन इनका कोई नतीजा नहीं निकला है।
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