बेगूसराय: इस साल किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। पहले तो जरूरत से बहुत ज्यादा बारिश होने से जिले में बड़े पैमाने पर खेती प्रभावित हुई। खेत मे पानी जमा होने के कारण किसान सोयाबीन व अन्य खरीफ फसल की बुआई नहीं कर सके। बाद में गंगा नदी व अन्य नदियों में आयी विनाशकारी बाढ़ की वजह से जिले के हजारों एकड़ में लगी फसल बर्बाद हो गई। रही सही कसर पिछले तीन दिनों से बेमौसम हो रही बारिश ने पूरी कर दी है। तेज हवा के साथ हुई बारिश ने जिले के किसानों की कमर तोड़ दी है। खोदावंदपुर, छौड़ाही समेत अन्य प्रखंड में धान की फसल को व्यापक नुकसान पहुंचा है।
जुलाई- अगस्त में हुई भारी बारिश से जिले के अधिकतर प्रखंड में निचले खेतों में अब तक पानी जमा है। किसानों को रबी की खेती के लिए इन खेतों से पानी सूखने का इंतजार था। लेकिन अक्टूबर माह में हो रही बेमौसम बारिश ने इन किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ऐसे में जिस सरसों को किसान 25 अक्टूबर तक बुआई कर लेते थे। इसमें अब विलंब होना तय है। यानी कि किसानों को खरीफ के बाद अब रबी फसल पर भी खतरा मंडरा रहा है। तेघड़ा के कृषि समन्वयक भारत भूषण ने बताया कि बिन मौसम हो रही बारिश से किसानों की परेशानी बढ़ गई है। लेकिन प्रकृति के आगे हर कोई लाचार है। सहायक निदेशक उद्यान राजीव रंजन ने बताया कि इस बारिश से हॉर्टिकल्चर को कोई खास नुकसान नहीं होगा। हां फसल को अवश्य नुकसान पहुंच सकता है।
अक्टूबर के पूरे माह का औसत वषार्नुपात 79 एमएम है। लेकिन इस माह के पहले चार दिन में ही 115 एमएम से अधिक बारिश हो चुकी है। वहीं पिछले तीन दिनों में भी 30 एमएम से ज्यादा बारिश हुई है। ऐसे में अक्टूबर माह में हो रही बारिश किसानों पर भारी पड़ रही है। खेती व फसल चौपट होने से किसानों की आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। इसका सीधा असर आने वाले पर्व त्योहार और बाजार पर साफ तौर पर दिखाई देगा। जिलाधिकारी के द्वारा बाढ़ग्रस्त क्षेत्र के किसानों को फसल क्षतिपूर्ति की राशि देने के लिए 20 अगस्त को ही रिपोर्ट निदेशालय भेजी जा चुकी है। लेकिन दो माह बीतने के बाद भी किसानों से क्षतिपूर्ति के लिए आॅनलाइन आवेदन लेने की प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हुई है। विभागीय अधिकारी सिर्फ दिलासा दिला रहे हैं कि जल्द ही किसानों को फसल क्षतिपूर्ति की राशि किसानों के खाते में भेजने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।


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